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विवाद के बाद बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने दिया असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद होने के बाद उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया.

बेसिक शिक्षा मंत्री
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Published : May 26, 2021, 9:18 PM IST

सिद्धार्थनगर : आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद उठने के बाद उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने यहां बताया कि मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर गत शुक्रवार को पदभार ग्रहण करने वाले अरुण कुमार द्विवेदी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. त्यागपत्र में अरुण द्विवेदी ने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राकेश कुमार ने एक पत्र के जरिए अरुण को बताया कि कुलपति सुरेंद्र दुबे ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.

मीडिया और सोशल मीडिया में उन पर निरर्थक आरोप लगाए : अरुण

इस्तीफा देने के बाद अरुण ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुई थी, मगर दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद इस नियुक्ति को लेकर उनके बड़े भाई और प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी को इस नियुक्ति से जोड़कर मीडिया और सोशल मीडिया में उन पर निरर्थक निराधार और अपमानजनक आरोप लगाए गए. ऐसा करके उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा 'मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कारण मेरे ईमानदार एवं कर्मठ बड़े भाई के ऊपर कोई बेबुनियाद आरोप लगे. यह सब मेरे लिए असहनीय है. मैं मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहा हूं. मेरे लिए मेरे परिवार और बड़े भाई के सामाजिक राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत और किसी भी चीज की नहीं है. इस महत्वपूर्ण पद की भी नहीं, इसलिए मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने विवेक से अपने पद से त्यागपत्र दे चुका हूं.'

सारी प्रक्रिया अपने विवेक से पूरी की थी

अरुण ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन करने से लेकर साक्षात्कार और कार्यभार ग्रहण तक की सारी प्रक्रिया उन्होंने स्वयं अपने विवेक से पूरी की थी. इसमें उनके बड़े भाई मंत्री सतीश द्विवेदी की कोई भूमिका नहीं थी.

उन्होंने बताया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाण पत्र बनवा कर आवेदन किया था. बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की से विवाह का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी के लिए प्रयास किया, जिसका अधिकार भारत का संविधान भी देता है लेकिन इस पर भी आहत करने वाले आरोप लगाए गए.

नियम से ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी हुआ था : एसडीएम

इटवा तहसील के उप जिलाधिकारी उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पूरी तरह से नियम कायदों के अनुसार ही जारी हुआ था.

श्रीवास्तव ने बताया कि ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र उन्हीं लोगों को जारी किया जाता है जिनके परिवार की कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपए से कम हो और उसके पास पांच एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि, 1000 वर्ग फुट अथवा इससे अधिक क्षेत्रफल का मकान, अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड और अधिसूचित नगर पालिका से इतर क्षेत्र में 200 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड नहीं हो.

कांग्रेस व आप पार्टी ने उठाए थे सवाल

गौरतलब है कि अरुण कुमार द्विवेदी को आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिली थी और उन्होंने पिछले शुक्रवार को कार्यभार ग्रहण किया था. उसके बाद से उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे थे. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया था कि आखिर मंत्री के भाई गरीब कैसे हो सकते हैं. दोनों पार्टियों ने अरुण कुमार की नियुक्ति को रद्द करने और मामले की जांच की मांग की थी.

पीटीआई (भाषा)

सिद्धार्थनगर : आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद उठने के बाद उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने यहां बताया कि मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर गत शुक्रवार को पदभार ग्रहण करने वाले अरुण कुमार द्विवेदी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. त्यागपत्र में अरुण द्विवेदी ने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राकेश कुमार ने एक पत्र के जरिए अरुण को बताया कि कुलपति सुरेंद्र दुबे ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.

मीडिया और सोशल मीडिया में उन पर निरर्थक आरोप लगाए : अरुण

इस्तीफा देने के बाद अरुण ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुई थी, मगर दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद इस नियुक्ति को लेकर उनके बड़े भाई और प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी को इस नियुक्ति से जोड़कर मीडिया और सोशल मीडिया में उन पर निरर्थक निराधार और अपमानजनक आरोप लगाए गए. ऐसा करके उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा 'मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कारण मेरे ईमानदार एवं कर्मठ बड़े भाई के ऊपर कोई बेबुनियाद आरोप लगे. यह सब मेरे लिए असहनीय है. मैं मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहा हूं. मेरे लिए मेरे परिवार और बड़े भाई के सामाजिक राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत और किसी भी चीज की नहीं है. इस महत्वपूर्ण पद की भी नहीं, इसलिए मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने विवेक से अपने पद से त्यागपत्र दे चुका हूं.'

सारी प्रक्रिया अपने विवेक से पूरी की थी

अरुण ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन करने से लेकर साक्षात्कार और कार्यभार ग्रहण तक की सारी प्रक्रिया उन्होंने स्वयं अपने विवेक से पूरी की थी. इसमें उनके बड़े भाई मंत्री सतीश द्विवेदी की कोई भूमिका नहीं थी.

उन्होंने बताया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाण पत्र बनवा कर आवेदन किया था. बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की से विवाह का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी के लिए प्रयास किया, जिसका अधिकार भारत का संविधान भी देता है लेकिन इस पर भी आहत करने वाले आरोप लगाए गए.

नियम से ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी हुआ था : एसडीएम

इटवा तहसील के उप जिलाधिकारी उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पूरी तरह से नियम कायदों के अनुसार ही जारी हुआ था.

श्रीवास्तव ने बताया कि ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र उन्हीं लोगों को जारी किया जाता है जिनके परिवार की कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपए से कम हो और उसके पास पांच एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि, 1000 वर्ग फुट अथवा इससे अधिक क्षेत्रफल का मकान, अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड और अधिसूचित नगर पालिका से इतर क्षेत्र में 200 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड नहीं हो.

कांग्रेस व आप पार्टी ने उठाए थे सवाल

गौरतलब है कि अरुण कुमार द्विवेदी को आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिली थी और उन्होंने पिछले शुक्रवार को कार्यभार ग्रहण किया था. उसके बाद से उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठ रहे थे. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया था कि आखिर मंत्री के भाई गरीब कैसे हो सकते हैं. दोनों पार्टियों ने अरुण कुमार की नियुक्ति को रद्द करने और मामले की जांच की मांग की थी.

पीटीआई (भाषा)

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