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पंजाब में रिकॉर्ड जीत के बाद राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने की तैयारी में है 'आप' - आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी शानदार प्रदर्शन कर राष्ट्रीय राजनीति की ओर तेजी के कदम बढ़ाया है. उसे पंजाब में रिकॉर्ड जीत हासिल हुई है. पार्टी गुजरात में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा पर भी उसकी नजर है. वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

Aam Aadmi Party
आम आदमी पार्टी
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Published : Mar 12, 2022, 9:33 PM IST

नई दिल्ली : नौ साल पहले नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस साल विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत की है. पहली बार पार्टी ने कई राज्यों में एक साथ अपनी किस्मत आजमाई. विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब की 117 में से 92 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की. पार्टी का वोट प्रतिशत 42 रहा.

इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अन्ना हजारे से अलग होकर केजरीवाल ने 2013 में राजनीतिक संगठन बनाया. आम आदमियों की पार्टी कही जाने वाली 'आप' नौ साल में तेजी से बढ़ रही है. पंजाब में पार्टी ने 92 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया है. पंजाब की राजनीति में लगभग सभी स्थापित खिलाड़ी जिनमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व कैप्टन अमरिंदर सिंह भी चुनाव हार गए. वास्तव में, केजरीवाल की भविष्यवाणी कि मौजूदा चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों- चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव हार जाएंगे, भी सही निकली.

मौजूदा मुख्यमंत्री को हराने के अलावा, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने क्रिकेटर से राजनेता बने और कांग्रेस पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को अमृतसर पूर्व सीट से हराया. यही नहीं पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अपनी लंबी सीट नहीं बचा पाए. दो बार के मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला अर्बन सीट से चुनाव हार गए. शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को भी जलालाबाद सीट गंवानी पड़ी.

यह राज्य में किसी बड़े परिवर्तन से कम नहीं है. इस राज्य ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेतृत्व में धर्म आधारित राजनीति देखी है. जबकि राज्य ने 1970 और 1980 के दशक में सिख चरमपंथी समूहों और जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसे नेताओं के अलग देश खालिस्तान बनाने के हिंसक अलगाववादी आंदोलन भी देखा है. आम आदमी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया. उस चुनाव में लगभग 24% वोट हासिल कर पार्टी ने चौंकाया था. 20 सीटें जीतकर शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए आप प्रमुख विपक्षी दल बन गया था.

गोवा में दो सीटें जीतीं, वोट प्रतिशत भी बढ़ा
पश्चिमी राज्य गोवा में आप ने 2017 के चुनाव से शुरुआत की थी. उसे 6% वोट हासिल हुए, लेकिन कोई भी सीट जीतने में विफल रही. हालांकि इस चुनाव में पार्टी ने गोवा में पैर जमाए. उसने न सिर्फ दो सीटें जीतीं बल्कि उसका वोट शेयर इस बार मामूली रूप से बढ़कर 6.8% हो गया.
उत्तराखंड में 1.78 लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव लड़ी. 2022 के चुनाव में उसे 1.78 लाख से अधिक वोट हासिल हुए. राज्य में उसके वोट का प्रतिशत 3.31 रहा. हालांकि पार्टी कोई भी सीट जीतने में विफल रही. उसके राज्य प्रमुख अजय कोठियाल भी अपनी सीट नहीं बचा सके लेकिन आप ने राज्य में न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि राज्य में चुनावी गणित को बिगाड़ने में भूमिका निभाई.

अब पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में अपने आधार का विस्तार करने की कोशिश कर रही है. पिछले साल फरवरी में हुए सूरत नगर पालिका चुनावों में आप ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. पार्टी ने 27 सीटें जीतकर नगर पालिका में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरी थी.
गुजरात के अलावा पार्टी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी अपना आधार बढ़ाने पर विचार कर रही है. आम आदमी पार्टी दो राष्ट्रीय दलों - सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आधिपत्य को चुनौती देना चाहती है.

पढ़ें- पंजाब के माननीयों से ज्यादा आमजन की सुरक्षा महत्वपूर्ण : भगवंत मान

पढ़ें- हार के साथ कांग्रेस का पंजाब में राज्यसभा का सपना टूटा, सभी सीटें 'आप' को जाना तय!

नई दिल्ली : नौ साल पहले नौकरशाह से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस साल विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत की है. पहली बार पार्टी ने कई राज्यों में एक साथ अपनी किस्मत आजमाई. विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब की 117 में से 92 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की. पार्टी का वोट प्रतिशत 42 रहा.

इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अन्ना हजारे से अलग होकर केजरीवाल ने 2013 में राजनीतिक संगठन बनाया. आम आदमियों की पार्टी कही जाने वाली 'आप' नौ साल में तेजी से बढ़ रही है. पंजाब में पार्टी ने 92 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया है. पंजाब की राजनीति में लगभग सभी स्थापित खिलाड़ी जिनमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व कैप्टन अमरिंदर सिंह भी चुनाव हार गए. वास्तव में, केजरीवाल की भविष्यवाणी कि मौजूदा चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों- चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव हार जाएंगे, भी सही निकली.

मौजूदा मुख्यमंत्री को हराने के अलावा, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने क्रिकेटर से राजनेता बने और कांग्रेस पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को अमृतसर पूर्व सीट से हराया. यही नहीं पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी अपनी लंबी सीट नहीं बचा पाए. दो बार के मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला अर्बन सीट से चुनाव हार गए. शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को भी जलालाबाद सीट गंवानी पड़ी.

यह राज्य में किसी बड़े परिवर्तन से कम नहीं है. इस राज्य ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेतृत्व में धर्म आधारित राजनीति देखी है. जबकि राज्य ने 1970 और 1980 के दशक में सिख चरमपंथी समूहों और जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसे नेताओं के अलग देश खालिस्तान बनाने के हिंसक अलगाववादी आंदोलन भी देखा है. आम आदमी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया. उस चुनाव में लगभग 24% वोट हासिल कर पार्टी ने चौंकाया था. 20 सीटें जीतकर शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए आप प्रमुख विपक्षी दल बन गया था.

गोवा में दो सीटें जीतीं, वोट प्रतिशत भी बढ़ा
पश्चिमी राज्य गोवा में आप ने 2017 के चुनाव से शुरुआत की थी. उसे 6% वोट हासिल हुए, लेकिन कोई भी सीट जीतने में विफल रही. हालांकि इस चुनाव में पार्टी ने गोवा में पैर जमाए. उसने न सिर्फ दो सीटें जीतीं बल्कि उसका वोट शेयर इस बार मामूली रूप से बढ़कर 6.8% हो गया.
उत्तराखंड में 1.78 लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव लड़ी. 2022 के चुनाव में उसे 1.78 लाख से अधिक वोट हासिल हुए. राज्य में उसके वोट का प्रतिशत 3.31 रहा. हालांकि पार्टी कोई भी सीट जीतने में विफल रही. उसके राज्य प्रमुख अजय कोठियाल भी अपनी सीट नहीं बचा सके लेकिन आप ने राज्य में न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि राज्य में चुनावी गणित को बिगाड़ने में भूमिका निभाई.

अब पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में अपने आधार का विस्तार करने की कोशिश कर रही है. पिछले साल फरवरी में हुए सूरत नगर पालिका चुनावों में आप ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. पार्टी ने 27 सीटें जीतकर नगर पालिका में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरी थी.
गुजरात के अलावा पार्टी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी अपना आधार बढ़ाने पर विचार कर रही है. आम आदमी पार्टी दो राष्ट्रीय दलों - सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आधिपत्य को चुनौती देना चाहती है.

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