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पुरस्कार विजेता फिल्मकार फूड कार्नर चलाने को मजबूर

लॉकडाउन के बाद फिल्मों के नहीं मिलने की वजह से कई फिल्मों को बनाने वाले प्रेमांगशु रॉय को फूड कार्नर चलाने के लिए विवश होना पड़ा. पढिए पूरी खबर...

famous filmmaker now runs food corner
पुरस्कार विजेता फिल्मकार फूड कार्नर चलाने को मजबूर
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Published : May 12, 2022, 6:51 PM IST

Updated : May 12, 2022, 8:15 PM IST

कोलकाता : कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल में कई लोगों की जान चली गई वहीं कई लोगों की आजीविका भी छिन गई. उन्हीं में से एक हैं चिलकोठा और कटकुट्टी फिल्म को बनाने वाले प्रेमांगशु रॉय. लाकडाउन के बाद फिल्म नहीं मिलने से रॉय ने बेहाला के बागपेटा में अपनी पत्नी मौसमी के साथ सूचक फूड कॉर्नर की शुरुआत की. बता दें रॉय के 'चिलकोठा' को सिडनी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया. फिल्म में ब्रत्य बसु, ऋत्विक चक्रवर्ती और धृतिमान चट्टोपाध्याय मुख्य भूमिका में थे.

पुरस्कार विजेता फिल्मकार फूड कार्नर चलाने को मजबूर

फूड कॉर्नर में उन्होंने चिली चिकन, चिकन पकोड़ा, चिकन लॉलीपॉप, फिश फ्राई और अन्य व्यंजनों को बनाने और बेचने में हाथ आजमाया. उन्होंने खाना ऑनलाइन भेजा. चूंकि रॉय को व्यंजन तैयार करने के बारे में कुछ पता नहीं था लिहाजा अधिकांश काम उनकी पत्नी मौसमी ने किया.इस संबंध में मौसमी ने कहा कि उन्हें (प्रेमांगशु रॉय) को ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने यह सब पहले कभी नहीं किया है, यह विचलित करता है.

गौरतलब है कि रॉय ने कुछ दिन पहले फेसबुक पर सिल्वर स्क्रीन से अस्थायी ब्रेक लेने के अपने फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने लिखा कि मैं बंगाली वर्ष पर एक निर्णय की घोषणा कर रहा हूं कि मैं वर्तमान में बंगाली नाटक की दुनिया में हूं, लेकिन खुद को इससे दूर कर रहा हूं. मैं 27 वर्षों में बंगाली नाटक की दुनिया में कोई बड़ी रचना या सुधार नहीं कर पाया हूं. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं फिल्में कर रहा हूं या नहीं, लेकिन फिल्में नहीं करने से मुझ पर असर पड़ता है क्योंकि यह पिछले 27 सालों से मेरी आदत है!

रॉय ने कहा कि मैं खुद को क्यों हटा रहा हूं? उन्होंने कहा कि पहला कारण मेरी अपनी वित्तीय समस्याएं हैं. दूसरा कारण पूरी तरह से व्यक्तिगत है, इसलिए सभी को नहीं बताया जा सकता है. और तीसरा कारण यह है कि इतने सालों के नाटक (गलत या सही) के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने अभी भी लोगों को पहचानना नहीं सीखा है. उन्होंने कहा कि पहले मैंने लिखा था कि मैं अभी के लिए नाटक की दुनिया को छोड़ चुका हूं, हालांकि मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं. मैं निश्चित रूप से लौटूंगा. क्योंकि, मुझे कई लोगों को जवाब देना है, कुछ लोगों के चेहरों से नकाब उतारने के लिए और सबसे बढ़कर मेरे कुछ सपने पूरे होने बाकी हैं.

ये भी पढ़ें - जंक फूड पैकेट पर 'चेतावनी का स्तर' दिया जाना चाहिए : विशेषज्ञों का सुझाव

कोलकाता : कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल में कई लोगों की जान चली गई वहीं कई लोगों की आजीविका भी छिन गई. उन्हीं में से एक हैं चिलकोठा और कटकुट्टी फिल्म को बनाने वाले प्रेमांगशु रॉय. लाकडाउन के बाद फिल्म नहीं मिलने से रॉय ने बेहाला के बागपेटा में अपनी पत्नी मौसमी के साथ सूचक फूड कॉर्नर की शुरुआत की. बता दें रॉय के 'चिलकोठा' को सिडनी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया. फिल्म में ब्रत्य बसु, ऋत्विक चक्रवर्ती और धृतिमान चट्टोपाध्याय मुख्य भूमिका में थे.

पुरस्कार विजेता फिल्मकार फूड कार्नर चलाने को मजबूर

फूड कॉर्नर में उन्होंने चिली चिकन, चिकन पकोड़ा, चिकन लॉलीपॉप, फिश फ्राई और अन्य व्यंजनों को बनाने और बेचने में हाथ आजमाया. उन्होंने खाना ऑनलाइन भेजा. चूंकि रॉय को व्यंजन तैयार करने के बारे में कुछ पता नहीं था लिहाजा अधिकांश काम उनकी पत्नी मौसमी ने किया.इस संबंध में मौसमी ने कहा कि उन्हें (प्रेमांगशु रॉय) को ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने यह सब पहले कभी नहीं किया है, यह विचलित करता है.

गौरतलब है कि रॉय ने कुछ दिन पहले फेसबुक पर सिल्वर स्क्रीन से अस्थायी ब्रेक लेने के अपने फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने लिखा कि मैं बंगाली वर्ष पर एक निर्णय की घोषणा कर रहा हूं कि मैं वर्तमान में बंगाली नाटक की दुनिया में हूं, लेकिन खुद को इससे दूर कर रहा हूं. मैं 27 वर्षों में बंगाली नाटक की दुनिया में कोई बड़ी रचना या सुधार नहीं कर पाया हूं. उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं फिल्में कर रहा हूं या नहीं, लेकिन फिल्में नहीं करने से मुझ पर असर पड़ता है क्योंकि यह पिछले 27 सालों से मेरी आदत है!

रॉय ने कहा कि मैं खुद को क्यों हटा रहा हूं? उन्होंने कहा कि पहला कारण मेरी अपनी वित्तीय समस्याएं हैं. दूसरा कारण पूरी तरह से व्यक्तिगत है, इसलिए सभी को नहीं बताया जा सकता है. और तीसरा कारण यह है कि इतने सालों के नाटक (गलत या सही) के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने अभी भी लोगों को पहचानना नहीं सीखा है. उन्होंने कहा कि पहले मैंने लिखा था कि मैं अभी के लिए नाटक की दुनिया को छोड़ चुका हूं, हालांकि मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं. मैं निश्चित रूप से लौटूंगा. क्योंकि, मुझे कई लोगों को जवाब देना है, कुछ लोगों के चेहरों से नकाब उतारने के लिए और सबसे बढ़कर मेरे कुछ सपने पूरे होने बाकी हैं.

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Last Updated : May 12, 2022, 8:15 PM IST
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