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आरिफ के बाद मऊ के रामसमुझ की भी हुई सारस से दोस्ती, एक साल से साये की तरह रहता है साथ

अमेठी के रहने वाले आरिफ और सारस की दोस्ती के किस्से आपने बहुत बार सुन रखे होंगे. बेजुबानों से दोस्ती का ऐसी ही एक वाकया मऊ जिले में भी सामने आया है. यहां के एक युवक ने बीमार सारस की देखभाल कर दी तो वह उनका दोस्त बन गया.

मऊ के रामसमुझ की भी सारस से दोस्ती हो गई है.
मऊ के रामसमुझ की भी सारस से दोस्ती हो गई है.
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Published : Apr 15, 2023, 8:02 PM IST

मऊ के रामसमुझ की भी सारस से दोस्ती हो गई है.

मऊ : कुछ समय पहले अमेठी में आरिफ और सारस की दोस्ती का मामला सामने आया था. हालांकि अब दोनों की राहें जुदा हो गईं हैं. सारस कानपुर चिड़ियाघर में है. इसके बावजूद आरिफ हमेशा उसे याद करते रहते हैं. मऊ में भी सारस से दोस्ती का एक मामला सामने आया है. दोस्ती की इस कहानी की शुरुआत एक साल पहले हुई थी. युवक के तमाम प्रयासों के बावजूद सारस उसे छोड़कर जाने को तैयार नहीं है.

जिले के घोसी थाना क्षेत्र के बरईपुर मालिक गांव के रहने वाले रामसमुझ ने बताया कि एक साल पहले वह अपने खेत पर काम करने गए थे. इस दौरान एक सारस जमीन पर पड़ा तड़प रहा था. देखने पर समझ नहीं आ रहा था कि उसे हुआ क्या है. इसके बाद खेत में उसके लिए दाना-पानी का इंतजाम किया गया. सारस काफी कमजोर लग रहा था. कुछ समय तक नियमित खेत पर जाकर उसकी देखभाल की गई. इसके बाद सारस पूरी तरह स्वस्थ हो गया. एक दिन वह खेत से लौट रहे थे तो सारस उनके पीछे-पीछे उनके घर तक पहुंच गया.

रामसमुझ बताते हैं कि उन्होंने काफी प्रयास किया कि सारस अपने कुनबे में लौट जाए, इसके बावजूद वह नहीं लौटा. सारस हमेशा साये की तरह उनके साथ रहता है. एक आवाज पर ही दौड़ा चला आता है. रामसमुझ बताते हैं कि सारस के साथ रहना और उसकी देखभाल करना उन्हें अच्छा लगता है. उनका कहना है कि सारस को उन्होंने पाला नहीं है, केवल उसकी देखभाल की. अब सारस उनसे दूर ही नहीं होना चाहता है, मैं कहीं भी जाता हूं, वह साथ चलने की कोशिश करता है.

यह भी पढ़ें : कानपुर जू में अपने दोस्त आरिफ को देख बाड़े से बाहर आने के लिए तड़पने लगा सारस, देखें वीडियो

मऊ के रामसमुझ की भी सारस से दोस्ती हो गई है.

मऊ : कुछ समय पहले अमेठी में आरिफ और सारस की दोस्ती का मामला सामने आया था. हालांकि अब दोनों की राहें जुदा हो गईं हैं. सारस कानपुर चिड़ियाघर में है. इसके बावजूद आरिफ हमेशा उसे याद करते रहते हैं. मऊ में भी सारस से दोस्ती का एक मामला सामने आया है. दोस्ती की इस कहानी की शुरुआत एक साल पहले हुई थी. युवक के तमाम प्रयासों के बावजूद सारस उसे छोड़कर जाने को तैयार नहीं है.

जिले के घोसी थाना क्षेत्र के बरईपुर मालिक गांव के रहने वाले रामसमुझ ने बताया कि एक साल पहले वह अपने खेत पर काम करने गए थे. इस दौरान एक सारस जमीन पर पड़ा तड़प रहा था. देखने पर समझ नहीं आ रहा था कि उसे हुआ क्या है. इसके बाद खेत में उसके लिए दाना-पानी का इंतजाम किया गया. सारस काफी कमजोर लग रहा था. कुछ समय तक नियमित खेत पर जाकर उसकी देखभाल की गई. इसके बाद सारस पूरी तरह स्वस्थ हो गया. एक दिन वह खेत से लौट रहे थे तो सारस उनके पीछे-पीछे उनके घर तक पहुंच गया.

रामसमुझ बताते हैं कि उन्होंने काफी प्रयास किया कि सारस अपने कुनबे में लौट जाए, इसके बावजूद वह नहीं लौटा. सारस हमेशा साये की तरह उनके साथ रहता है. एक आवाज पर ही दौड़ा चला आता है. रामसमुझ बताते हैं कि सारस के साथ रहना और उसकी देखभाल करना उन्हें अच्छा लगता है. उनका कहना है कि सारस को उन्होंने पाला नहीं है, केवल उसकी देखभाल की. अब सारस उनसे दूर ही नहीं होना चाहता है, मैं कहीं भी जाता हूं, वह साथ चलने की कोशिश करता है.

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