कोलकाता : चीनी जासूस (Chinese spy) हान जुनबे (Han Junbe) का लैपटॉप और मोबाइल जब्त किए 96 घंटे से अधिक समय बीत चुका है लेकिन जांच एजेंसियां चाहें वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) हो या पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), उसके दोनों गैजेट्स के पासवर्ड क्रैक नहीं कर पाई हैं.
गुरुवार को पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा (India-Bangladesh International Border) पर चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया गया था. मालदा जिले में सीमा के पास बीएसएफ के एक दल ने उसे पकड़ा था.
जानकारी के अनुसार हान के लैपटॉप और मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है ताकि इस पर कुछ जानकारी हासिल हो सके. हान फिलहाल एसटीएफ की हिरासत में है. अब सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी तकनीकी उपलब्धियों के बावजूद, जांच एजेंसियां गैजेट के पासवर्ड को क्रैक करने में असमर्थ क्यों हैं.
ये बताई जा रही वजह
बताया जा रहा चूंकि लैपटॉप और मोबाइल दोनों का पासवर्ड मंदारिन भाषा में दिया गया है इसलिए उस भाषा के बारे में जानकारी रखने वाले व्यक्ति की मदद से ही पासवर्ड क्रैक हो सकता है. एक जांच अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'एक बार पासवर्ड क्रैक हो जाए तो निश्चित रूप से बड़ी जानकारी हासिल होगी, जिससे हमें जांच को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.'
यहां सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या हकीकत में जांच एजेंसियां इतने घंटों के बाद भी दोनों गैजेट्स के पासवर्ड क्रैक नहीं कर पाई हैं या यह सिर्फ कहानी है जो जांच एजेंसियों ने गोपनीयता बनाए रखने के लिए बनाई. राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के पूर्व कमांडो दीपंजन चक्रवर्ती को लगता है कि जानबूझकर ऐसा करने की संभावना ज्यादा लगती है.
पूर्व कमांडो ने ये बताई वजह
चक्रवर्ती ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि 'दुनिया में कोई पासवर्ड नहीं है जिसे NSG या NIA की टीमें क्रैक न कर पाएं, लेकिन हमें एक बात समझनी होगी सामान्य या नियमित अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपराधों में बहुत अंतर होता है. पहले मामले में कुछ सूचनाओं के लीक होने से जांच की प्रगति पर वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन दूसरे मामले में यदि जांच की प्रगति की जानकारी लीक हो जाती है तो अपराध से जुड़े लोग सतर्क हो सकते हैं और यह राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी.
पूर्व कमांडो दीपंजन चक्रवर्ती का कहना है कि चूंकि यह विशेष मामला भारत-चीन से संबंधित है, इसलिए जांच एजेंसियों और उनके अधिकारियों को और अधिक सावधान रहने की जरूरत है. उनका कहना हो कि मुझे यह भी लगता है कि ऐसे मामलों में जांच की प्रगति के बारे में सख्त गोपनीयता बनाए रखनी होगी.
पीएलए से संबंध होने का शक
इस बीच कई दौर की पूछताछ के बाद एसटीएफ के अधिकारियों को गिरफ्तार चीनी जासूस के हवाला लिंक के बारे में कुछ जानकारी मिली है. एक एसटीएफ अधिकारी ने कहा, 'हमें संदेह है कि हान और उसका एक सहयोगी बिटकॉइन के माध्यम से चीन को धन हस्तांतरित करता था. उन्होंने उस उद्देश्य के लिए चाइना मेक के विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया था. हमें हान के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ संबंध होने का भी संदेह है.'
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जांच अधिकारियों ने हान से गुड़गांव में एक होटल के मालिक के बारे में भी विशेष जानकारी हासिल की है, जिसे उसने हवाला के जरिए प्राप्त धन से खरीदा था. जांच अधिकारी ने कहा, 'हमें संदेह है कि वह भारत की सीमा से लगे बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से उसी हवाला के जरिए चीन को धन हस्तांतरित करने में भी शामिल था.'
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