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तालिबान ने हजरा समुदाय के नौ लोगों की हत्या की : एमनेस्टी - एमनेस्टी इंटरनेशनल

जैसा कि अफगानिस्तान में भयावह हिंसा देखी जा रही है, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हजारों अफगानों की सुरक्षा का आह्वान किया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि गजनी प्रांत में हजरा जाति के नौ लोगों की यातना देकर हत्या की गई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

तालिबान ने हजरा समुदाय के नौ लोगों की हत्या की
तालिबान ने हजरा समुदाय के नौ लोगों की हत्या की
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Published : Aug 20, 2021, 8:05 PM IST

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान विद्रोहियों द्वारा की गई हत्याओं और अत्याचारों की खबरों के बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान लड़ाकों ने पिछले महीने अफगानिस्तान के गजनी प्रांत (Ghazni province) पर नियंत्रण करने के बाद हजरा जाति नौ जातीय पुरुषों (ethnic Hazara men) की हत्या कर दी.

अधिकार समूह ने कहा कि अफगानिस्तान में उसके शोधकर्ताओं ने चश्मदीदों से बात की, जिन्होंने 4-6 जुलाई के बीच मलिस्तान (Malistan) जिले के मुंडारख्त गांव में हुई हत्याओं का दुखद ब्यौरा दिया.

तीन को प्रातड़ित कर मारा गया इसमें कहा गया है कि छह लोगों को गोली मार दी गई और तीन को प्रताड़ित किया गया. एक व्यक्ति का उसके दुपट्टे से गला घोंट दिया गया और उसकी बांह की मांसपेशियां काट दी गई थीं.

अल्पसंख्यकों को विशेष खतरा
एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) के प्रमुख, एग्नेस कैलामार्ड (Agnes Callamard) ने कहा, 'जिस निर्मम तरीके से ये हत्याएं की गईं वह तालिबान की क्रूरता की याद दिलाती हैं. साथ ही ये भयावह संकेत है कि तालिबान शासन क्या कर सकता है.'

उन्होंने कहा कि जिस तरह से ये हत्याएं की गई हैं यह इस बात का सबूत हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेष खतरा है. इसके अलावा कैलामार्ड ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से एक आपातकालीन प्रस्ताव लाने का आग्रह किया जिसमें मांग की गई कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का सम्मान करें, और सभी अफगानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, चाहे वह किसी भी जातीय पृष्ठभूमि के हों और उनकी धर्मिक आस्था कुछ भी हो.

अधिकार समूह ने जोर देकर कहा कि ये नृशंस हत्याएं तो सिर्फ तालिबान की क्रूरता की बानगीभर ही हैं. पूरे क्षेत्र में उसने क्या किया है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है. क्योंकि हाल ही में कब्जा किए गए कई क्षेत्रों में मोबाइल फोन सेवा बाधित कर दी गई है, ऐसे में असल तस्वीरें और वीडियो सामने नहीं आ पा रहे हैं.

अधिकार समूह ने कहा 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को पूरे अफगानिस्तान में चल रहे अपराधों और मानवाधिकारों के हनन के सबूतों को एकत्र और संरक्षित कर जांच शुरू करनी चाहिए. यह देश में गंभीर अपराधों को बढ़ावा देने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.'

एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इस तरह से यातना देना और हत्या करना जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की रोम संविधि के तहत युद्ध अपराध है.

पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस मना रहे लोगों पर तालिबानी लड़ाकों ने की फायरिंग, कइयों के मरने की आशंका

कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान लड़ाकों ने जर्मन प्रसारक डॉयचे वेले के लिए काम करने वाले एक अफगान पत्रकार के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी है, जो यह दिखाता कि अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद स्वतंत्र मीडियाकर्मियों का जीवन गंभीर खतरे में है.

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान विद्रोहियों द्वारा की गई हत्याओं और अत्याचारों की खबरों के बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान लड़ाकों ने पिछले महीने अफगानिस्तान के गजनी प्रांत (Ghazni province) पर नियंत्रण करने के बाद हजरा जाति नौ जातीय पुरुषों (ethnic Hazara men) की हत्या कर दी.

अधिकार समूह ने कहा कि अफगानिस्तान में उसके शोधकर्ताओं ने चश्मदीदों से बात की, जिन्होंने 4-6 जुलाई के बीच मलिस्तान (Malistan) जिले के मुंडारख्त गांव में हुई हत्याओं का दुखद ब्यौरा दिया.

तीन को प्रातड़ित कर मारा गया इसमें कहा गया है कि छह लोगों को गोली मार दी गई और तीन को प्रताड़ित किया गया. एक व्यक्ति का उसके दुपट्टे से गला घोंट दिया गया और उसकी बांह की मांसपेशियां काट दी गई थीं.

अल्पसंख्यकों को विशेष खतरा
एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) के प्रमुख, एग्नेस कैलामार्ड (Agnes Callamard) ने कहा, 'जिस निर्मम तरीके से ये हत्याएं की गईं वह तालिबान की क्रूरता की याद दिलाती हैं. साथ ही ये भयावह संकेत है कि तालिबान शासन क्या कर सकता है.'

उन्होंने कहा कि जिस तरह से ये हत्याएं की गई हैं यह इस बात का सबूत हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेष खतरा है. इसके अलावा कैलामार्ड ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से एक आपातकालीन प्रस्ताव लाने का आग्रह किया जिसमें मांग की गई कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का सम्मान करें, और सभी अफगानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, चाहे वह किसी भी जातीय पृष्ठभूमि के हों और उनकी धर्मिक आस्था कुछ भी हो.

अधिकार समूह ने जोर देकर कहा कि ये नृशंस हत्याएं तो सिर्फ तालिबान की क्रूरता की बानगीभर ही हैं. पूरे क्षेत्र में उसने क्या किया है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है. क्योंकि हाल ही में कब्जा किए गए कई क्षेत्रों में मोबाइल फोन सेवा बाधित कर दी गई है, ऐसे में असल तस्वीरें और वीडियो सामने नहीं आ पा रहे हैं.

अधिकार समूह ने कहा 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को पूरे अफगानिस्तान में चल रहे अपराधों और मानवाधिकारों के हनन के सबूतों को एकत्र और संरक्षित कर जांच शुरू करनी चाहिए. यह देश में गंभीर अपराधों को बढ़ावा देने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.'

एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इस तरह से यातना देना और हत्या करना जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की रोम संविधि के तहत युद्ध अपराध है.

पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस मना रहे लोगों पर तालिबानी लड़ाकों ने की फायरिंग, कइयों के मरने की आशंका

कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान लड़ाकों ने जर्मन प्रसारक डॉयचे वेले के लिए काम करने वाले एक अफगान पत्रकार के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी है, जो यह दिखाता कि अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद स्वतंत्र मीडियाकर्मियों का जीवन गंभीर खतरे में है.

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