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अफगानिस्तान निवासियाें ने बयां किया दर्द, कहा- जान बचाने के लिए सभी छाेड़ना चाहते हैं देश - लाजपत नगर आए ओमिद सिरत

25 वर्षीय ओमिद 10 साल तक अफगानिस्तान सेना में कमांडो था. वह अब नई दिल्ली के लाजपत बाजार में शावरमा रोल और बर्गर बना रहा है. जैसा कि तालिबान अफगानिस्तान के क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के बाद अब काबुल पर कब्जा करने के लिए तैयार है. ऐसे में भारत में अफगान नागरिक अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों काे लेकर चिंतित हैं जो वहां फंसे हुए हैं और अपनी जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र छोड़ना चाहते हैं.

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Published : Aug 14, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : कुछ महीने पहले लाजपत नगर आए ओमिद सिरत (Omid Sirat) ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात पर अफसोस जताया. मूल रूप से तखार प्रांत के रहने वाले ओमिद ने कहा कि मेरे सभी दोस्त तालिबानियों से लड़ते हुए शहीद हो गए.

उन्होंने कहा कि जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र से भागना ही एकमात्र विकल्प बचा था. पूर्व कमांडो ने कहा कि यहां आकर उसने शावरमा रोल और बर्गर बनाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे कोई और काम नहीं मिल रहा था. मुझे रोजाना लगभग 300 रुपये मिलते हैं और जब तक मुझे एक बेहतर नौकरी नहीं मिल जाती तब तक मैं काम करता रहूंगा.

ओमिद अपने भविष्य को लेकर दुविधा में है. उसने कहा कि मैं भारत सरकार से शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के अधिकारियों के साथ चर्चा करने का आग्रह करूंगा ताकि हमारे नाम पंजीकृत किए जा सकें और हमें नॉर्वे, अमेरिका, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में फिर से बसाया जा सके.

अफगानिस्तान निवासियाें ने बयां किया दर्द

सैयद नदीम सादात ने कहा कि वहां स्थिति बदतर होती जा रही है. मैं भारत सरकार से वीज़ा मानदंडों को आसान बनाने का अनुरोध करूंगा ताकि जो अफगानी भारत आना चाहते हैं वे आसानी से आ सकें.

अफगानिस्तान से आने वाले लोगों के लिए गेस्ट हाउस चलाने वाले सादात ने कहा कि हम स्थायी निवास के लिए नहीं, बल्कि केवल अस्थायी आधार के लिए कह रहे हैं. स्थिति सामान्य होने पर वे अफगानिस्तान वापस चले जाएंगे. सैयद नदीम सादात ने मौजूदा स्थिति के लिए पूरी तरह से पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया.

सादात के मुताबिक, अफगानिस्तान की सीमाओं पर भारत की तरह बाड़ नहीं लगाई गई है और आतंकवादी आसानी से तोरखम सीमा से हमारे देश में प्रवेश कर जाते हैं. उन्हाेंने कहा कि तखर, जजजान और निमरोज में रहने वाले मेरे दोस्तों को तालिबानियों द्वारा पीटा जा रहा है और उनकी बहनों और बेटियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.

काबुल निवासी अली अहमद पिछले चार साल से नई दिल्ली में रह रहा है. अहमद के रिश्तेदार भारत आना चाहते हैं, लेकिन वीजा की कीमत 74,000 रुपये तक पहुंच गई है. एक व्यक्ति जो 100 रुपये से कम कमा रहा है, वह वीजा प्राप्त करने और अपनी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान से बाहर जाने के लिए इतने पैसे की व्यवस्था नहीं कर सकता है.

इसे भी पढ़ें : अफगानिस्तान से पलायन करने को मजबूर सिख-हिंदू समुदाय के लोग

अहमद अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा प्रताड़ित और हमला किए जाने के लिए परेशान है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान ने केवल हमें धोखा दिया है.

नई दिल्ली : कुछ महीने पहले लाजपत नगर आए ओमिद सिरत (Omid Sirat) ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात पर अफसोस जताया. मूल रूप से तखार प्रांत के रहने वाले ओमिद ने कहा कि मेरे सभी दोस्त तालिबानियों से लड़ते हुए शहीद हो गए.

उन्होंने कहा कि जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र से भागना ही एकमात्र विकल्प बचा था. पूर्व कमांडो ने कहा कि यहां आकर उसने शावरमा रोल और बर्गर बनाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे कोई और काम नहीं मिल रहा था. मुझे रोजाना लगभग 300 रुपये मिलते हैं और जब तक मुझे एक बेहतर नौकरी नहीं मिल जाती तब तक मैं काम करता रहूंगा.

ओमिद अपने भविष्य को लेकर दुविधा में है. उसने कहा कि मैं भारत सरकार से शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के अधिकारियों के साथ चर्चा करने का आग्रह करूंगा ताकि हमारे नाम पंजीकृत किए जा सकें और हमें नॉर्वे, अमेरिका, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में फिर से बसाया जा सके.

अफगानिस्तान निवासियाें ने बयां किया दर्द

सैयद नदीम सादात ने कहा कि वहां स्थिति बदतर होती जा रही है. मैं भारत सरकार से वीज़ा मानदंडों को आसान बनाने का अनुरोध करूंगा ताकि जो अफगानी भारत आना चाहते हैं वे आसानी से आ सकें.

अफगानिस्तान से आने वाले लोगों के लिए गेस्ट हाउस चलाने वाले सादात ने कहा कि हम स्थायी निवास के लिए नहीं, बल्कि केवल अस्थायी आधार के लिए कह रहे हैं. स्थिति सामान्य होने पर वे अफगानिस्तान वापस चले जाएंगे. सैयद नदीम सादात ने मौजूदा स्थिति के लिए पूरी तरह से पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया.

सादात के मुताबिक, अफगानिस्तान की सीमाओं पर भारत की तरह बाड़ नहीं लगाई गई है और आतंकवादी आसानी से तोरखम सीमा से हमारे देश में प्रवेश कर जाते हैं. उन्हाेंने कहा कि तखर, जजजान और निमरोज में रहने वाले मेरे दोस्तों को तालिबानियों द्वारा पीटा जा रहा है और उनकी बहनों और बेटियों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.

काबुल निवासी अली अहमद पिछले चार साल से नई दिल्ली में रह रहा है. अहमद के रिश्तेदार भारत आना चाहते हैं, लेकिन वीजा की कीमत 74,000 रुपये तक पहुंच गई है. एक व्यक्ति जो 100 रुपये से कम कमा रहा है, वह वीजा प्राप्त करने और अपनी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान से बाहर जाने के लिए इतने पैसे की व्यवस्था नहीं कर सकता है.

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अहमद अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा प्रताड़ित और हमला किए जाने के लिए परेशान है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान ने केवल हमें धोखा दिया है.

Last Updated : Aug 14, 2021, 11:03 PM IST
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