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कठिन समय से जूझ रहा पद्मनाभस्वामी मंदिर, खर्चों को पूरा करने के लिए दान पर्याप्त नहीं : प्रशासन ने SC से कहा

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Published : Sep 17, 2021, 5:18 PM IST

केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने न्यास की लेखा परीक्षा का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मंदिर बहुत मुश्किल समय से जूझ रहा है और वहां चढ़ाया जाने वाला दान इसके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

कठिन समय से जूझ रहा पद्मनाभस्वामी मंदिर
कठिन समय से जूझ रहा पद्मनाभस्वामी मंदिर

नई दिल्ली : केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने न्यास की लेखा परीक्षा का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मंदिर बहुत मुश्किल समय से जूझ रहा है और वहां चढ़ाया जाने वाला दान इसके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ से कहा कि केरल के सभी मंदिर बंद हैं. उन्होंने कहा, 'मासिक खर्च 1.25 करोड़ रुपये है, जबकि हमें मुश्किल से 60-70 लाख रुपये मिल पाते हैं इसलिए हमने कुछ दिशा-निर्देशों का अनुरोध किया है.'

बसंत ने पीठ से कहा कि न्यायालय के आदेश पर एक न्यास का गठन किया गया है और उसे मंदिर में योगदान देना चाहिए.

न्यास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने तर्क दिया कि यह शाही परिवार द्वारा बनाया गया एक सार्वजनिक न्यास है और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है और यह न्यास याचिका में पक्षकार नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले में न्यायमित्र ने न्यास का केवल जिक्र किया है.

उन्होंने कहा, 'इस न्यास का गठन मंदिर में परिवार की संलिप्तता वाली पूजा एवं अनुष्ठानों की निगरानी करने के लिए किया गया था और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है. न्यास के खातों की लेखा-परीक्षा किए जाने की न्यायमित्र की मांग के बाद ही यह उच्चतम न्यायालय के समक्ष इसका जिक्र किया गया.'

दातार ने कहा कि इसकी लेखा-परीक्षा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह मंदिर से अलग है.

यह भी पढ़ें- कोर्ट की सुनवाई के एक दिन बाद, न्यायमूर्ति चीमा ने एनसीएलएटी में अपना पदभार संभाला

न्यायालय ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर न्यास को 25 साल का लेखा परीक्षा कराने के पिछले साल के आदेश से छूट के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई पूरी करके अपना आदेश सुरक्षित रखा था. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के 2011 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था, जिसमें ऐतिहासिक मंदिर के प्रबंधन और सम्पत्तियों का नियंत्रण लेने के लिए एक न्यास गठित किए जाने का राज्य सरकार को आदेश दिया गया था.

शीर्ष अदालत ने देश में सबसे अमीर समझे जाने वाले मंदिरों में शामिल इस मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार बरकरार रखे थे.

न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के सुझाव के अनुसार, न्यायालय ने प्रशासनिक समिति को पिछले 25 वर्षों से मंदिर की आय और व्यय की लेखा-परीक्षा का आदेश दिया था.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने न्यास की लेखा परीक्षा का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मंदिर बहुत मुश्किल समय से जूझ रहा है और वहां चढ़ाया जाने वाला दान इसके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ से कहा कि केरल के सभी मंदिर बंद हैं. उन्होंने कहा, 'मासिक खर्च 1.25 करोड़ रुपये है, जबकि हमें मुश्किल से 60-70 लाख रुपये मिल पाते हैं इसलिए हमने कुछ दिशा-निर्देशों का अनुरोध किया है.'

बसंत ने पीठ से कहा कि न्यायालय के आदेश पर एक न्यास का गठन किया गया है और उसे मंदिर में योगदान देना चाहिए.

न्यास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने तर्क दिया कि यह शाही परिवार द्वारा बनाया गया एक सार्वजनिक न्यास है और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है और यह न्यास याचिका में पक्षकार नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले में न्यायमित्र ने न्यास का केवल जिक्र किया है.

उन्होंने कहा, 'इस न्यास का गठन मंदिर में परिवार की संलिप्तता वाली पूजा एवं अनुष्ठानों की निगरानी करने के लिए किया गया था और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है. न्यास के खातों की लेखा-परीक्षा किए जाने की न्यायमित्र की मांग के बाद ही यह उच्चतम न्यायालय के समक्ष इसका जिक्र किया गया.'

दातार ने कहा कि इसकी लेखा-परीक्षा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह मंदिर से अलग है.

यह भी पढ़ें- कोर्ट की सुनवाई के एक दिन बाद, न्यायमूर्ति चीमा ने एनसीएलएटी में अपना पदभार संभाला

न्यायालय ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर न्यास को 25 साल का लेखा परीक्षा कराने के पिछले साल के आदेश से छूट के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई पूरी करके अपना आदेश सुरक्षित रखा था. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के 2011 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था, जिसमें ऐतिहासिक मंदिर के प्रबंधन और सम्पत्तियों का नियंत्रण लेने के लिए एक न्यास गठित किए जाने का राज्य सरकार को आदेश दिया गया था.

शीर्ष अदालत ने देश में सबसे अमीर समझे जाने वाले मंदिरों में शामिल इस मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार बरकरार रखे थे.

न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के सुझाव के अनुसार, न्यायालय ने प्रशासनिक समिति को पिछले 25 वर्षों से मंदिर की आय और व्यय की लेखा-परीक्षा का आदेश दिया था.

(पीटीआई)

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