नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गया है. दरअसल इस बार सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज द्वारा 'जेंडर रेजिस्टेंस एंड फ्रेश चैलेंजेज इन पोस्ट-2019 कश्मीर' शीर्षक पर वेबिनार का आयोजन किया जा रहा था. इस वेबिनार को लेकर जारी हुए पोस्टर में भारत अधिकृत कश्मीर शब्द लिखा हुआ था.
इसको लेकर विवाद शुरू हो गया. विवाद को बढ़ते देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्काल कार्यक्रम को रद्द करने का निर्देश दिया था. इसी कड़ी में शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और जेएनयू टीचर्स फेडरेशन ( जेएनयूटीएएफ) ने इस पूरे मामले को लेकर गंगा ढाबा से साबरमती हॉस्टल तक एक मार्च निकाला. प्रदर्शनकारियों ने भारतीय सेना जिंदाबाद, कश्मीर हमारा है सहित पाकिस्तान और वामपंथ के खिलाफ नारेबाजी की.
प्रदर्शन कर रहे एबीवीपी जेएनयू इकाई अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने कहा कि जेएनयू में देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम नहीं देने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वामपंथी विचारधारा के लोग जेएनयू में भारत विरोधी कार्यक्रम कर चुके हैं. साथ ही इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी निशाना साधा और कहा कि इस मामले में विश्वविद्यालय की भी गलती है. उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज की प्रोफेसर पर कार्रवाई करने की मांग की है.
प्रदर्शन कर रहे प्रोफेसर नागेंद्र श्रीनिवासन, अध्यक्ष, जेएनयूटीएफ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जेएनयू में भारत विरोधी गतिविधियां आज भी चल रही है. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि बिना पोस्टर को जांचे परखे कैसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया. टेक्निकल टीम और विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी सवाल उठता है.
साथ ही कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इस कार्यक्रम के आयोजनकर्ता भारत की अखंडता और संप्रभुता को सीधी चुनौती दे रहे थे. इसके अलावा कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि सेंटर पर वूमेन स्टडीज द्वारा भारत विरोधी कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था. इस पूरे मामले को लेकर उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है.