नई दिल्ली : गुजरात के गांधीनगर में 10 मार्च से 14 मार्च तक डिफेंस एक्सपो का 12वां संस्करण आयोजित किया जाना था. इसके लिए जोर-शोर से तैय़ारियां भी की गईं. अचानक छह दिन पहले शुक्रवार को एशिया की जमीन पर होने वाले सबसे बड़े आयोजन DefExpo 2022 को स्थगित कर दिया गया. रक्षा मंत्रालय ने इसे स्थगित करने के पीछे 'प्रतिभागियों द्वारा अनुभव की गई रसद समस्याओं' का हवाला दिया. हालांकि मंत्रालय के सबसे बड़े द्विवार्षिक शो को स्थगित करने के वास्तविक कारण को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसी भी चर्चा है कि यूक्रेन-रूस युद्ध बीच कुछ देशों को रूसी कंपनियों के हथियारों का प्रचार-प्रसार करने पर एतराज था. उनका मानना था कि रूस यूक्रेन की कंपनियां एक दूसरे के पास हथियारों को प्रदर्शित करने वाले स्टाल कैसे लगा सकती हैं.
पहली बार ये आयोजन प्रधानमंत्री के मूल राज्य गुजरात में होना था, जिसे लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी रोज निगरानी कर रहा था. इसी वजह से प्रतिभागिता को लेकर होड़ थी. सबसे ज्यादा स्वदेशी स्टार्ट-अप प्रभावित हुए हैं, जिनके उपकरण गांधीनगर पहुंच भी चुके थे. पहचान न उजागर करने की शर्त पर एक स्टार्ट-अप कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि 'इसने हमें चौंका दिया है, जहां तक मेरी कंपनी का सवाल है, हमने पहले ही काफी तैयारी कर ली थी. बहुतों ने भारी और महंगे उपकरण गांधीनगर पहुंचा दिए थे. हम अपने नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे?'
इसमें भी कारण ये देना कि 'प्रतिभागियों द्वारा अनुभव की जाने वाली तार्किक समस्याओं' की वजह से ऐसा किया गया है, और चौंका देता है. क्योंकि 6 मार्च को उन्हीं कंपनियों में से कई ने सऊदी अरब की सरकार द्वारा प्रायोजित पहले 'वर्ल्ड डिफेंस शो' में भाग लिया है.
दुनिया भर से नवीनतम तकनीक को प्रदर्शित करने और सभी डोमेन में रक्षा इंटरऑपरेबिलिटी प्रदर्शित करने वाला सऊदी शो 9 मार्च को समाप्त होना था. डिफेंस एक्सपो की प्रस्तावित 10 मार्च की तारीख से एक दिन पहले. इन दो शो में शामिल होने वाली कई कंपनियां और प्रतिनिधि एक थे. अमेरिका की बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन जैसी प्रमुख कंपनियां इसमें शामिल होनी थीं. वहीं, रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, रोस्टेक, अल्माज़-एंटे और टेक्नोडिनामिका जैसी कंपनियों को भी प्रतिभाग करना था. सवाल यही उठ रहा है कि जब ये कंपनियां और प्रतिनिधिमंडल सऊदी शो में शामिल हो सकते हैं तो भारतीय शो में क्यों नहीं.
कार्यक्रम स्थगित होना उन रिपोर्टों को हवा देता है कि 3 मार्च को 'क्वाड' देशों के नेताओं की वर्चुअल बैठक के दौरान भारत पर कड़ा दबाव बनाया गया कि ऐसे समय में जब रूस युद्ध का हिस्सा है, उसके हथियारों और सैन्य प्रणालियों का प्रदर्शन कैसे किया जा सकता है. अगर रूस की कंपनियां शामिल हुईं तो अमेरिकी कंपनियां इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगी. उनका कहना था कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है तो उनकी कंपनियां विमान-रोधी, वायु रक्षा प्रणालियों और सामरिक बख्तरबंद वाहनों और ड्रोन प्रणालियों को प्रदर्शित करने वाले स्टाल एक दूसरे के पास कैसे लगा सकती हैं?
गुजरात में आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो में करीब 12 लाख लोगों के आने की उम्मीद थी. डिफेंस एक्सपो को 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मानिर्भर भारत' के दो-आयामों के साथ तीन स्थानों पर 1,00,000 वर्ग मीटर से अधिक जगह में आयोजित किया जाना था. इसमें 78 देशों के शामिल होने का अनुमान था. यही नहीं, 39 मंत्रिस्तर के प्रतिनिधिमंडल शामिल होने थे. 3,000 से ज्यादा प्रतिनिधियों को विभिन्न सेमिनार और चर्चाओं में भाग लेने की उम्मीद थी. आधिकारिक तौर पर सच्चाई 'बाहर' आने की संभावना नहीं है, ऐसे में डिफेंस एक्सपो का रहस्य कायम रहेगा.
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