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पुलिस सब इंस्पेक्टर बना कूड़ा उठाने वाला, हकीकत जान रह जाएंगे दंग

कर्नाटक के चिंतामणि शहर में एक शख्स कूड़ा उठाता था. चिंतामणि के सर्किल इंस्पेक्टर को उस पर शक हुआ, तो अपने सहकर्मियों की मदद से पूरी जानकारी एकत्र की. जानकारी मिलने पर सर्किल इंस्पेक्टर के होश उड़ गए. पढ़िए पूरी रिपोर्ट.

Madhusudan Rao
मधुसूदन राव
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Published : Nov 7, 2020, 10:12 PM IST

चिक्काबल्लापुरा (कर्नाटक) : मजबूरी इंसान से कुछ भी करा सकती है. कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. कोलारा और चिक्काबल्लापुर जिलों में पुलिस सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) के रूप में काम कर चुके मधुसूदन राव चिंतामणि शहर में कूड़ा बीनने का काम करते मिले.

बेटियों और बेटा से बचने के लिए घर छोड़ा

मधुसूदन राव चिंतामणि, गौरीबिदानूर, मंचेनाहल्ली, कोलार, गल्पेट, रायलपादु, मस्ती और मलूर सहित कई जिलों में तीन दशकों तक सब इंस्पेक्टर के रूप में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं. 6 साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद मधुसूदन राव बेंगलुरु के उत्तररहल्ली में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहे थे, लेकिन तीन साल पहले उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई. बाद में, दोनों बेटियां और बेटा उनके साथ झगड़ा करने लगे. हताश होकर मधुसूदन राव ने अपना घर और पेंशन छोड़ दिया और चिंतामणि में भीख मांगना शुरू कर दिया.

अब मधुसूदन नया जीवन जी रहे

कुछ महीनों तक भीख मांगने के बाद मधुसूदन को लगा कि हाथ-पैर ठीक होते हुए भीख मांगना ठीक नहीं है. इसके बाद मधुसूदन जीने के लिए चिंतामणि शहर में कूड़ा उठाने ले गए. चिंतामणि के सर्किल इंस्पेक्टर आनंद को कूड़ा उठाने वाले मधुसूदन पर शक हुआ, तो अपने सहकर्मियों की मदद से पूरी जानकारी एकत्र की. सर्किल इंस्पेक्टर आनंद को पता चला कि मधुसन एक सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर थे. इसके बाद आनंद तुरंत मधुसूदन के पास चले गए और आश्रय प्रदान किया. बाद में उन्होंने मधुसूदन के लिए एक नया काम भी ढूंढा और अब मधुसूदन नया जीवन जी रहे हैं.

चिक्काबल्लापुरा (कर्नाटक) : मजबूरी इंसान से कुछ भी करा सकती है. कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. कोलारा और चिक्काबल्लापुर जिलों में पुलिस सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) के रूप में काम कर चुके मधुसूदन राव चिंतामणि शहर में कूड़ा बीनने का काम करते मिले.

बेटियों और बेटा से बचने के लिए घर छोड़ा

मधुसूदन राव चिंतामणि, गौरीबिदानूर, मंचेनाहल्ली, कोलार, गल्पेट, रायलपादु, मस्ती और मलूर सहित कई जिलों में तीन दशकों तक सब इंस्पेक्टर के रूप में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं. 6 साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद मधुसूदन राव बेंगलुरु के उत्तररहल्ली में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहे थे, लेकिन तीन साल पहले उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई. बाद में, दोनों बेटियां और बेटा उनके साथ झगड़ा करने लगे. हताश होकर मधुसूदन राव ने अपना घर और पेंशन छोड़ दिया और चिंतामणि में भीख मांगना शुरू कर दिया.

अब मधुसूदन नया जीवन जी रहे

कुछ महीनों तक भीख मांगने के बाद मधुसूदन को लगा कि हाथ-पैर ठीक होते हुए भीख मांगना ठीक नहीं है. इसके बाद मधुसूदन जीने के लिए चिंतामणि शहर में कूड़ा उठाने ले गए. चिंतामणि के सर्किल इंस्पेक्टर आनंद को कूड़ा उठाने वाले मधुसूदन पर शक हुआ, तो अपने सहकर्मियों की मदद से पूरी जानकारी एकत्र की. सर्किल इंस्पेक्टर आनंद को पता चला कि मधुसन एक सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर थे. इसके बाद आनंद तुरंत मधुसूदन के पास चले गए और आश्रय प्रदान किया. बाद में उन्होंने मधुसूदन के लिए एक नया काम भी ढूंढा और अब मधुसूदन नया जीवन जी रहे हैं.

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