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अनुच्छेद 370 मामले में एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की समीक्षा याचिका

Article 370 in Kashmir, Review Petition for Aricle 370, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा करने के लिए मुजफ्फर इकबाल खान ने एक समीक्षा याचिका दायर की है. बता दें कि इकबाल खान इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2024, 8:04 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक मुजफ्फर इकबाल खान ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखने वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की है. इकबाल खान ने बुधवार को फोन पर बातचीत के दौरान याचिका दायर करने की पुष्टि की.

यह कदम 11 दिसंबर, 2023 को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा अगस्त 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की कानूनी वैधता की पुष्टि करने के बाद आया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए केंद्र को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने में तेजी लाने और 30 सितंबर, 2024 से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया था.

इकबाल खान की समीक्षा याचिका एक निरंतर कानूनी लड़ाई को जन्म देती है और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आसपास के जटिल और विवादास्पद मुद्दों पर सवाल उठाती है. आपको बता दें कि हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर बयान देते हुए कहा कि 370 इस चिंता के कारण लागू किया गया था कि विभाजन के बाद पंजाब से लोग जम्मू-कश्मीर में आकर बस सकते थे.

बीते दिन ही उन्होंने जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 'हम अनुच्छेद 370 नहीं लाए. इसे 1947 में महाराजा हरि सिंह ने लागू किया था. यह केवल इस डर से था कि विभाजन के बाद पंजाब के लोग यहां आकर बस जाएंगे और हमारे राज्य के गरीब लोग कम दरों पर अपनी जमीन बेच देंगे.'

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक मुजफ्फर इकबाल खान ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखने वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की है. इकबाल खान ने बुधवार को फोन पर बातचीत के दौरान याचिका दायर करने की पुष्टि की.

यह कदम 11 दिसंबर, 2023 को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा अगस्त 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की कानूनी वैधता की पुष्टि करने के बाद आया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए केंद्र को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने में तेजी लाने और 30 सितंबर, 2024 से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया था.

इकबाल खान की समीक्षा याचिका एक निरंतर कानूनी लड़ाई को जन्म देती है और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आसपास के जटिल और विवादास्पद मुद्दों पर सवाल उठाती है. आपको बता दें कि हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर बयान देते हुए कहा कि 370 इस चिंता के कारण लागू किया गया था कि विभाजन के बाद पंजाब से लोग जम्मू-कश्मीर में आकर बस सकते थे.

बीते दिन ही उन्होंने जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 'हम अनुच्छेद 370 नहीं लाए. इसे 1947 में महाराजा हरि सिंह ने लागू किया था. यह केवल इस डर से था कि विभाजन के बाद पंजाब के लोग यहां आकर बस जाएंगे और हमारे राज्य के गरीब लोग कम दरों पर अपनी जमीन बेच देंगे.'

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