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India-China Relation: घर वापसी से पहले अरुणाचल प्रदेश के युवक ने की लंबी यात्रा

गरूवार को हुए एक घटनाक्रम में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People's Liberation Army of China) ने अरुणाचल प्रदेश के लापता युवक को भारतीय सेना को सौंप (Missing youth handed over to Indian Army) दिया. दरअसल, युवक को वापस सौपने की जगह वहां से काफी दूर है, जहां से अरुणाचल के युवक को चीनी पीएलए ने करीब 10 दिन पहले हिरासत में लिया था. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jan 27, 2022, 7:24 PM IST

नई दिल्ली : चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ चाइना (People's Liberation Army of China) द्वारा हिरासत में लिए गए अरुणाचल प्रदेश के 17 वर्षीय मिराम टैरोन नामक युवक को गुरुवार को भारतीय सेना (Missing youth handed over to Indian Army) को सौंप दिया गया. हालांकि इससे पहले युवक ने कई इस पहाड़ी इलाके की कई सौ किलोमीटर यात्रा की.

आपको जानकर हैरानी होगी कि टैरोन को पीएलए के गश्ती दल ने 18 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के लुंगटा जोर इलाके से हिरासत में लिया था. जबकि उसे गुरुवार को दमाई-किबिथू के निर्धारित बैठक बिंदु पर भारतीय सेना को सौंप दिया गया. यह जगह अंजु जिला से लगभग 1000 किमी दूर है. यानि युवक को हिरासत में लेने और वापस सौंपने की जगह में काफी दूरी है.

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अरुणाचल प्रदेश के लापता युवक को भारतीय सेना को सौंप दिया है. अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले से 19 वर्षीय मिराम टैरोन 18 जनवरी को लापता हो गया था. रिजिजू ने एक ट्वीट में बताया कि लड़के की चिकित्सकीय जांच सहित अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं. उन्होंने ट्वीट किया, 'चीन के पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के मिराम टैरोन (arunachal youth Miram Taron) को भारतीय सेना को सौंप दिया. चिकित्सकीय जांच सहित अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं.

पीएलए का दमाई सीमा स्टेशन, जिसे चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के जनरल स्टाफ डिपार्टमेंट (GSD) के तहत पीएलए के द्वितीय विभाग का एक सैन्य खुफिया प्रतिष्ठान माना जाता है. यह भारतीय सेना की सीमा चौकी किबिथू से लगभग 2.5 किमी दूर है. GSD का दूसरा विभाग मानव बुद्धि (HUMINT) के साथ जुड़ा है. जबकि तीसरा और चौथा विभाग तकनीकी टोही (TECHINT) और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ELINT) जिम्मेदारी के साथ तैनात है. हालांकि इन तीनों विभागों के कुछ तत्वों को सूचना दी गई थी.

टैरोन को किबिथु-दमई-जो कि भारतीय सेना के दीमापुर स्थित 3 कोर और पीएलए के लिए निर्दिष्ट सीमा मिलन बिंदु है, में सौंपने का कारण यह है कि वह स्थान जहां से उसे अपर सियांग में उठाया गया था, वह 3 कोर के अंतर्गत आता है. इससे पहले भी पीएलए द्वारा 2 सितंबर,2020 को ऊपरी सुबनसिरी जिले में भारत-चीन सीमा के पास से उठाए गए पांच अरुणाचली युवाओं को भी उसी स्थान पर सौंप दिया गया था. ऊपरी सियांग पृथ्वी पर सबसे प्राचीन और दूरस्थ क्षेत्रों में से एक है. जहां गहरी घाटियों, गर्जन वाली पहाड़ी नदियों और प्रचुर मात्रा में हरा परिवेश है. स्थानीय लोगों का मानना ​​​​है कि इसमें जादुई गुण हैं. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में संदर्भित करता है और राज्य पर भारतीय आधिपत्य को मान्यता नहीं देता है.

यह भी पढ़ें- चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लापता युवक को भारतीय सेना को सौंपा : किरेन रिजिजू

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाओ ने 19 जनवरी को दावा किया था कि पीएलए ने अपर सियांग जिले के सियुंगला इलाके (बिशिंग गांव) के लुंगटा जोर से टैरोन को अगवा कर लिया है. टैरोन के दोस्त जॉनी यायिंग ने पीएलए द्वारा अगवा किए जाने के बारे में प्राधिकारियों को सूचित किया. दोनों जिदो गांव के स्थानीय शिकारी हैं. घटना उस स्थान के पास हुई थी जहां से त्सांगपो नदी भारत में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है. त्सांगपो को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.

नई दिल्ली : चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ चाइना (People's Liberation Army of China) द्वारा हिरासत में लिए गए अरुणाचल प्रदेश के 17 वर्षीय मिराम टैरोन नामक युवक को गुरुवार को भारतीय सेना (Missing youth handed over to Indian Army) को सौंप दिया गया. हालांकि इससे पहले युवक ने कई इस पहाड़ी इलाके की कई सौ किलोमीटर यात्रा की.

आपको जानकर हैरानी होगी कि टैरोन को पीएलए के गश्ती दल ने 18 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के लुंगटा जोर इलाके से हिरासत में लिया था. जबकि उसे गुरुवार को दमाई-किबिथू के निर्धारित बैठक बिंदु पर भारतीय सेना को सौंप दिया गया. यह जगह अंजु जिला से लगभग 1000 किमी दूर है. यानि युवक को हिरासत में लेने और वापस सौंपने की जगह में काफी दूरी है.

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अरुणाचल प्रदेश के लापता युवक को भारतीय सेना को सौंप दिया है. अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले से 19 वर्षीय मिराम टैरोन 18 जनवरी को लापता हो गया था. रिजिजू ने एक ट्वीट में बताया कि लड़के की चिकित्सकीय जांच सहित अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं. उन्होंने ट्वीट किया, 'चीन के पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के मिराम टैरोन (arunachal youth Miram Taron) को भारतीय सेना को सौंप दिया. चिकित्सकीय जांच सहित अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं.

पीएलए का दमाई सीमा स्टेशन, जिसे चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के जनरल स्टाफ डिपार्टमेंट (GSD) के तहत पीएलए के द्वितीय विभाग का एक सैन्य खुफिया प्रतिष्ठान माना जाता है. यह भारतीय सेना की सीमा चौकी किबिथू से लगभग 2.5 किमी दूर है. GSD का दूसरा विभाग मानव बुद्धि (HUMINT) के साथ जुड़ा है. जबकि तीसरा और चौथा विभाग तकनीकी टोही (TECHINT) और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ELINT) जिम्मेदारी के साथ तैनात है. हालांकि इन तीनों विभागों के कुछ तत्वों को सूचना दी गई थी.

टैरोन को किबिथु-दमई-जो कि भारतीय सेना के दीमापुर स्थित 3 कोर और पीएलए के लिए निर्दिष्ट सीमा मिलन बिंदु है, में सौंपने का कारण यह है कि वह स्थान जहां से उसे अपर सियांग में उठाया गया था, वह 3 कोर के अंतर्गत आता है. इससे पहले भी पीएलए द्वारा 2 सितंबर,2020 को ऊपरी सुबनसिरी जिले में भारत-चीन सीमा के पास से उठाए गए पांच अरुणाचली युवाओं को भी उसी स्थान पर सौंप दिया गया था. ऊपरी सियांग पृथ्वी पर सबसे प्राचीन और दूरस्थ क्षेत्रों में से एक है. जहां गहरी घाटियों, गर्जन वाली पहाड़ी नदियों और प्रचुर मात्रा में हरा परिवेश है. स्थानीय लोगों का मानना ​​​​है कि इसमें जादुई गुण हैं. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के हिस्से के रूप में संदर्भित करता है और राज्य पर भारतीय आधिपत्य को मान्यता नहीं देता है.

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गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाओ ने 19 जनवरी को दावा किया था कि पीएलए ने अपर सियांग जिले के सियुंगला इलाके (बिशिंग गांव) के लुंगटा जोर से टैरोन को अगवा कर लिया है. टैरोन के दोस्त जॉनी यायिंग ने पीएलए द्वारा अगवा किए जाने के बारे में प्राधिकारियों को सूचित किया. दोनों जिदो गांव के स्थानीय शिकारी हैं. घटना उस स्थान के पास हुई थी जहां से त्सांगपो नदी भारत में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है. त्सांगपो को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.

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