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लोकसभा चुनाव 2024 में पहली बार कानपुर की 997 सेक्स वर्कर करेंगी वोट, बनेगा इतिहास

आगामी लोकसभा चुनाव में कानपुर की सेक्स वर्कर भी मतदान करेंगे, जो अपने आप में इतिहास होगा. कानपुर के कैंट व किदवई नगर विधानसभा में 500 से अधिक सेक्स वर्करों को समाज की मुख्य धारा जोड़ने की पहल.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 10:41 PM IST


कानपुर: सोचिए, क्या सेक्स वर्कर कभी वोट कर सकते हैं? आमतौर पर इसका जवाब तो होगा नहीं. क्योंकि, पहले के चुनावों में भी कभी सेक्स वर्कर का जिक्र हुआ ही नहीं. मतदाताओं की तीन श्रेणियों- महिला, पुरुष व थर्ड जेंडर के द्वारा ही मतदान किया गया. लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में कानपुर से 997 सेक्स वर्कर वोट की चोट करेंगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इनका नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाएगा. ऐसे में साफ है कि यह लोकतंत्र के पर्व के नजरिए से ऐतिहासिक कदम होगा. अधिक से अधिक सेक्स वर्कर जोकि अभी तक मार्जिनलाइज सेक्शन के अंतर्गत थे, उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा. खुद इस काम का जिम्मा कानपुर के डीएम विशाख जी ने लिया है. उन्होंने इस पूरे काम की देखरेख का जिम्मा एडीएम को सौंपा है.

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कानपुर डीएम विशाख जी ने दी जानकारी.

सेक्स वर्करों को भी जागरूक किया जाएगाः डीएम विशाख जी ने बताया कि 'सेक्स वर्कर के अलावा मार्जिनलाइज सेक्शन के तहत ही कई अन्य वर्गों जैसे अनुसूचित जाति-जनजाति समूह के लोगों को भी मतदाता बनाएंगे. हमारा मकसद है कि ऐसा तबका भी वोट करे. अभी तक की जो कवायद इस दिशा में की गई है, उससे मिली जानकारी के मुताबिक शहर के कैंट व किदवई नगर में सेक्स वर्कर की संख्या 545-545 है. जबकि महाराजपुर विधानसभा में इनकी संख्या नौ है. आने वाले समय में जब मतदाता जागरूकता कार्यक्रम होंगे तो सेक्स वर्कर को भी जागरूक किया जाएगा'.

इसे भी पढ़ें-लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कानपुर में जुटे यूपी के 18 जिलाधिकारी, जानिए क्या है वजह


इस मामले के बाद हुई सेक्स वर्कर के वोट करने की कवायद: जिला प्रशासन के अफसरों के मुताबिक बुद्धदेव कर्मकार बनाम स्टेट आफ वेस्ट बंगाल एंड अदर्स स्टेट के मामले की सुनवाई कर सर्वोच्च न्यायालय ने सेक्स वर्करों का नाम मतदाता सूची में जोड़ने का आदेश 10 जनवरी 2022 को दिया था. इसके बाद एक आदेश 28 फरवरी 2022 को हुआ था. सेक्स वर्करों ने मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड व राशन कार्ड बनाने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लंबी लड़ाई लड़ी थी. उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से सात मार्च तक आयोजित हुए विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग ने सेक्स वर्कर के नाम मतदाता सूची में जोड़ने पर काम शुरू किया था. वहीं, 15 जुलाई 2022 को तत्कालीन एडीएम वित्त और उप जिला निर्वाचन अधिकारी दयानंद प्रसाद ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी उप्र को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि सभी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों के सत्यापन के बाद सेक्स वर्कर के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए गए हैं.

इसे भी पढ़ें-छोटे चौधरी की विरासत को आगे बढ़ाने चल पड़े जयंत, भाईचारा सम्मेलन के जरिए 2024 पर हैं निगाहें


कानपुर: सोचिए, क्या सेक्स वर्कर कभी वोट कर सकते हैं? आमतौर पर इसका जवाब तो होगा नहीं. क्योंकि, पहले के चुनावों में भी कभी सेक्स वर्कर का जिक्र हुआ ही नहीं. मतदाताओं की तीन श्रेणियों- महिला, पुरुष व थर्ड जेंडर के द्वारा ही मतदान किया गया. लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में कानपुर से 997 सेक्स वर्कर वोट की चोट करेंगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इनका नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाएगा. ऐसे में साफ है कि यह लोकतंत्र के पर्व के नजरिए से ऐतिहासिक कदम होगा. अधिक से अधिक सेक्स वर्कर जोकि अभी तक मार्जिनलाइज सेक्शन के अंतर्गत थे, उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा. खुद इस काम का जिम्मा कानपुर के डीएम विशाख जी ने लिया है. उन्होंने इस पूरे काम की देखरेख का जिम्मा एडीएम को सौंपा है.

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कानपुर डीएम विशाख जी ने दी जानकारी.

सेक्स वर्करों को भी जागरूक किया जाएगाः डीएम विशाख जी ने बताया कि 'सेक्स वर्कर के अलावा मार्जिनलाइज सेक्शन के तहत ही कई अन्य वर्गों जैसे अनुसूचित जाति-जनजाति समूह के लोगों को भी मतदाता बनाएंगे. हमारा मकसद है कि ऐसा तबका भी वोट करे. अभी तक की जो कवायद इस दिशा में की गई है, उससे मिली जानकारी के मुताबिक शहर के कैंट व किदवई नगर में सेक्स वर्कर की संख्या 545-545 है. जबकि महाराजपुर विधानसभा में इनकी संख्या नौ है. आने वाले समय में जब मतदाता जागरूकता कार्यक्रम होंगे तो सेक्स वर्कर को भी जागरूक किया जाएगा'.

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इस मामले के बाद हुई सेक्स वर्कर के वोट करने की कवायद: जिला प्रशासन के अफसरों के मुताबिक बुद्धदेव कर्मकार बनाम स्टेट आफ वेस्ट बंगाल एंड अदर्स स्टेट के मामले की सुनवाई कर सर्वोच्च न्यायालय ने सेक्स वर्करों का नाम मतदाता सूची में जोड़ने का आदेश 10 जनवरी 2022 को दिया था. इसके बाद एक आदेश 28 फरवरी 2022 को हुआ था. सेक्स वर्करों ने मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड व राशन कार्ड बनाने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लंबी लड़ाई लड़ी थी. उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से सात मार्च तक आयोजित हुए विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग ने सेक्स वर्कर के नाम मतदाता सूची में जोड़ने पर काम शुरू किया था. वहीं, 15 जुलाई 2022 को तत्कालीन एडीएम वित्त और उप जिला निर्वाचन अधिकारी दयानंद प्रसाद ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी उप्र को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि सभी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों के सत्यापन के बाद सेक्स वर्कर के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए गए हैं.

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