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CJI DY Chandrachud : 'बजट में E COURTS के लिए 7000 करोड़ से अदालतों की संख्या बढ़ेगी'

सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने बजट में ई-न्यायालय परियोजना के लिए 7000 करोड़ आवंटित किए जाने पर संतोष व्यक्त किया है. CJI चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे.

CJI DY Chandrachud
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
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Published : Feb 4, 2023, 4:37 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने शनिवार को ई-न्यायालय परियोजना के चरण 3 के लिए 2023-24 के बजट में 7000 करोड़ रुपये आवंटित करने के सरकार के फैसले की सराहना की है. सीजेआई ने कहा कि इससे न्यायिक संस्थान बढ़ाएगा और यह सुनिश्चित होगा कि अदालतें हर नागरिक की पहुंच में हों.

CJI चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे. स्थापना के उपलक्ष्य में एक वार्षिक व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करने का निर्णय लिया गया, जिसके लिए सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सुंदरेश मेनन को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने भी संबोधित किया.

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान शीर्ष अदालत ने लोगों तक पहुंचने के लिए नवीन तकनीकों को अपनाया और 3 मार्च, 2020 से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 3.37 लाख मामलों की सुनवाई की. उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में सुनवाई का हाईब्रिड सिस्टम है.

CJI ने कहा 'हमने अदालत कक्षों में अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बुनियादी ढांचे को मेटा स्केल पर अपडेट किया. हम अदालती सुनवाई के हाइब्रिड मोड की अनुमति देने के लिए ऐसे तकनीकी बुनियादी ढांचे का उपयोग करना जारी रख रहे हैं जो पार्टियों को दुनिया के किसी भी हिस्से से ऑनलाइन अदालती कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देता है.'

उन्होंने कहा कि 'सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास भारतीय लोगों के दैनिक जीवन के संघर्षों का इतिहास है.' सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई से पहले हर सुबह होने वाले मामलों के दैनिक उल्लेख के बारे में बात करते हुए, CJI ने कहा कि अदालत इन उल्लेखों के माध्यम से राष्ट्र की नब्ज को भांप लेती है और यह आश्वासन देती है कि नागरिकों को अन्याय से बचाने के लिए अदालत मौजूद है.

CJI ने कहा जैसा कि उनकी स्वतंत्रता हमारे लिए कीमती है, न्यायाधीश हमारे नागरिकों के साथ निकट संपर्क में काम करते हैं. अदालत के लिए कोई बड़ा या छोटा मामला नहीं होता- हर मामला महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि यह नागरिकों की शिकायतों से जुड़े प्रतीत होने वाले छोटे और नियमित मामलों में है कि संवैधानिक और न्यायशास्त्रीय महत्व के मुद्दे सामने आते हैं. ऐसी शिकायतों को दूर करने में, न्यायालय एक सादा संवैधानिक कर्तव्य, दायित्व और कार्य करता है.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन ने कहा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय दुनिया की सबसे व्यस्त अदालतों में से एक है और इसके न्यायधीश सबसे कठिन काम करने वालों में से हैं, क्योंकि उन पर केसों का भारी बोझ है.

सीजे मेनन ने कहा कि वैश्विक चुनौतियां नए कानूनी मुद्दों को जन्म दे रही हैं, मुद्दे पहले राजनीतिक हैं लेकिन अंततः उनके कानूनी आयाम हैं. उन्होंने कहा कि बढ़ते जटिल मुद्दों के साथ, न्यायपालिका केवल पारंपरिक तरीकों पर भरोसा नहीं कर सकती है. नए तौर तरीकों के साथ आना होगा. उन्होंने कहा कि कानूनी मुद्दे सीमाओं की अवहेलना करते हैं क्योंकि दुनिया पहले से कहीं अधिक आपस में जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को अब विदेशी कानूनों के प्रति संवेदनशील होने और विदेशी समकक्षों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता होगी.

उन्होंने इस बारे में भी बात की कि कैसे न्यायाधीशों को फैसलों के लिए निशाना बनाया जाता है. उन पर व्यक्तिगत पक्षपात का आरोप लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि यह अदालतों को कमजोर करता है और न्यायाधीशों के काम को कमजोर करता है.

पढ़ें- CJI Chandrachud On Court : चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ बोले: हम लैंगिक समानता के मजबूत पक्षधर

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने शनिवार को ई-न्यायालय परियोजना के चरण 3 के लिए 2023-24 के बजट में 7000 करोड़ रुपये आवंटित करने के सरकार के फैसले की सराहना की है. सीजेआई ने कहा कि इससे न्यायिक संस्थान बढ़ाएगा और यह सुनिश्चित होगा कि अदालतें हर नागरिक की पहुंच में हों.

CJI चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे. स्थापना के उपलक्ष्य में एक वार्षिक व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करने का निर्णय लिया गया, जिसके लिए सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सुंदरेश मेनन को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने भी संबोधित किया.

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान शीर्ष अदालत ने लोगों तक पहुंचने के लिए नवीन तकनीकों को अपनाया और 3 मार्च, 2020 से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 3.37 लाख मामलों की सुनवाई की. उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में सुनवाई का हाईब्रिड सिस्टम है.

CJI ने कहा 'हमने अदालत कक्षों में अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बुनियादी ढांचे को मेटा स्केल पर अपडेट किया. हम अदालती सुनवाई के हाइब्रिड मोड की अनुमति देने के लिए ऐसे तकनीकी बुनियादी ढांचे का उपयोग करना जारी रख रहे हैं जो पार्टियों को दुनिया के किसी भी हिस्से से ऑनलाइन अदालती कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देता है.'

उन्होंने कहा कि 'सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास भारतीय लोगों के दैनिक जीवन के संघर्षों का इतिहास है.' सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई से पहले हर सुबह होने वाले मामलों के दैनिक उल्लेख के बारे में बात करते हुए, CJI ने कहा कि अदालत इन उल्लेखों के माध्यम से राष्ट्र की नब्ज को भांप लेती है और यह आश्वासन देती है कि नागरिकों को अन्याय से बचाने के लिए अदालत मौजूद है.

CJI ने कहा जैसा कि उनकी स्वतंत्रता हमारे लिए कीमती है, न्यायाधीश हमारे नागरिकों के साथ निकट संपर्क में काम करते हैं. अदालत के लिए कोई बड़ा या छोटा मामला नहीं होता- हर मामला महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि यह नागरिकों की शिकायतों से जुड़े प्रतीत होने वाले छोटे और नियमित मामलों में है कि संवैधानिक और न्यायशास्त्रीय महत्व के मुद्दे सामने आते हैं. ऐसी शिकायतों को दूर करने में, न्यायालय एक सादा संवैधानिक कर्तव्य, दायित्व और कार्य करता है.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन ने कहा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय दुनिया की सबसे व्यस्त अदालतों में से एक है और इसके न्यायधीश सबसे कठिन काम करने वालों में से हैं, क्योंकि उन पर केसों का भारी बोझ है.

सीजे मेनन ने कहा कि वैश्विक चुनौतियां नए कानूनी मुद्दों को जन्म दे रही हैं, मुद्दे पहले राजनीतिक हैं लेकिन अंततः उनके कानूनी आयाम हैं. उन्होंने कहा कि बढ़ते जटिल मुद्दों के साथ, न्यायपालिका केवल पारंपरिक तरीकों पर भरोसा नहीं कर सकती है. नए तौर तरीकों के साथ आना होगा. उन्होंने कहा कि कानूनी मुद्दे सीमाओं की अवहेलना करते हैं क्योंकि दुनिया पहले से कहीं अधिक आपस में जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को अब विदेशी कानूनों के प्रति संवेदनशील होने और विदेशी समकक्षों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता होगी.

उन्होंने इस बारे में भी बात की कि कैसे न्यायाधीशों को फैसलों के लिए निशाना बनाया जाता है. उन पर व्यक्तिगत पक्षपात का आरोप लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि यह अदालतों को कमजोर करता है और न्यायाधीशों के काम को कमजोर करता है.

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