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DDU जंक्शन पर ट्रेन के दरवाजे पीटते रहे यात्री, नहीं खुले कोच, 70 यात्री प्लेटफार्म पर छूटे

पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेलवे स्टेशन पर संघमित्रा एक्सप्रेस के 70 यात्री प्लेटफार्म पर ही छूट गए. बाद में उन्हें दूसरी ट्रेन से रवाना कराया गया.

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Published : Nov 13, 2022, 10:16 PM IST

चंदौलीः पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ के चलते संघमित्रा एक्सप्रेस के कोचों के दरवाजा नहीं खुले. इसके चलते करीब 70 यात्री ट्रेन पर नहीं चढ़ सके. इन सभी यात्रियों को चेन्नई जाना था. रेल अधिकारियों की लापरवाही की हद तब हो गई जब 15 घंटे तक स्टेशन पर खड़े इन यात्रियों का हाल जानने कोई नहीं पहुंचा.

हालांकि, बाद में आरपीएफ ने सभी को भोजन उपलब्ध कराया. साथ ही सभी यात्रियों को लोकमान्य ट्रेन से इटारसी भेजा गया, जहां से वे आगे की यात्रा कर सकेंगे. इस दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

यात्री बोले.

दरअसल, नौ दिन पहले चेन्नई के तिरूनामलाई जिले के 190 लोगों का दल काशी यात्रा पर आया था. काशी, प्रयागराज और गया भ्रमण के बाद शनिवार की रात 11 बजे संघमित्रा एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सभी का रिजर्वेशन था. सभी यात्री समय से रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और ट्रेन का इंतजार करने लगे. ट्रेन के स्टेशन पर आते ही यात्रियों ने कोचों का दरवाजा खुलवाने के काफी प्रयास किए लेकिन दरवाजे नहीं खुले.

यात्रियों के साथ गाइड के तौर पर आए लक्ष्मण ने बताया कि शनिवार रात को ट्रेन स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या चार पर ट्रेन पहुंची थी. ट्रेन के सभी कोचों के दरवाजे बंद थे और उसमें अत्यधिक यात्री थे. एस-1, एस-2, एस-3, एस-7, एस-9 सहित अन्य कोचों के दरवाजे पीटे गए, लेकिन अंदर से किसी ने दरवाजा नहीं खोला. दल के 120 यात्री किसी तरह एसी कोच में चढ़ गए, लेकिन उनके सामान और टिकट नीचे ही रह गए. वहीं, 70 यात्री ट्रेन पर चढ़ ही नहीं पाए.

लक्ष्मण ने बताया कि इस बीच सिग्नल होने पर ट्रेन चलने लगी. इस पर सभी लोगों ने आरपीएफ और जीआरपी के जवानों से गुहार लगाई और ट्रेन रोकने को कहा, लेकिन उन्होंने ट्रेन से दूर कर दिया. यहां तक कि टीटीई आदि से भी कहा लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी और आंखों से सामने से उनकी ट्रेन चली गई. बाद में इसकी शिकायत स्टेशन अधीक्षक से की गई, तो उन्होंने भी सहायता करने से हाथ खड़े कर दिए. रेल मंत्रालय को ट्वीट करने के बाद उनके टिकट को दूसरी ट्रेन से यात्रा करने के लिए वैध किया गया.

आरपीएफ वेस्ट पोस्ट प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि सुबह आरपीएफ ने यात्रियों के खाने की व्यवस्था की. इसके बाद यात्रियों को रविवार की दोपहर 2.30 बजे लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से इटारसी भेजा गया. यहां से वे दूसरी ट्रेन से चेन्नई जाएंगे.

टीटीई के खेल से यात्री चढ़ने में हुए फेल
गौरतलब है कि यह ट्रेन के कोच में यात्रियों के दाखिल न हो पाने की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं. पूर्व मध्य रेल की ट्रेन जब दानापुर मंडल में पहुंचती है तो जनरल टिकट के यात्री गलत तरीके रिजर्वेशन क्लास में दाखिल हो जाते हैं. इसके बाद टीटीई को सुविधा शुल्क देकर सीट हथिया लेते हैं. इस वजह से ज्यादातर ट्रेनों के कोच फुल हो जाते हैं.

पढ़ेंः चलती ट्रेन से गिरी तीन साल की बेटी को बचाने के लिए कूदा पिता, दोनों की मौत

चंदौलीः पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ के चलते संघमित्रा एक्सप्रेस के कोचों के दरवाजा नहीं खुले. इसके चलते करीब 70 यात्री ट्रेन पर नहीं चढ़ सके. इन सभी यात्रियों को चेन्नई जाना था. रेल अधिकारियों की लापरवाही की हद तब हो गई जब 15 घंटे तक स्टेशन पर खड़े इन यात्रियों का हाल जानने कोई नहीं पहुंचा.

हालांकि, बाद में आरपीएफ ने सभी को भोजन उपलब्ध कराया. साथ ही सभी यात्रियों को लोकमान्य ट्रेन से इटारसी भेजा गया, जहां से वे आगे की यात्रा कर सकेंगे. इस दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

यात्री बोले.

दरअसल, नौ दिन पहले चेन्नई के तिरूनामलाई जिले के 190 लोगों का दल काशी यात्रा पर आया था. काशी, प्रयागराज और गया भ्रमण के बाद शनिवार की रात 11 बजे संघमित्रा एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सभी का रिजर्वेशन था. सभी यात्री समय से रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और ट्रेन का इंतजार करने लगे. ट्रेन के स्टेशन पर आते ही यात्रियों ने कोचों का दरवाजा खुलवाने के काफी प्रयास किए लेकिन दरवाजे नहीं खुले.

यात्रियों के साथ गाइड के तौर पर आए लक्ष्मण ने बताया कि शनिवार रात को ट्रेन स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या चार पर ट्रेन पहुंची थी. ट्रेन के सभी कोचों के दरवाजे बंद थे और उसमें अत्यधिक यात्री थे. एस-1, एस-2, एस-3, एस-7, एस-9 सहित अन्य कोचों के दरवाजे पीटे गए, लेकिन अंदर से किसी ने दरवाजा नहीं खोला. दल के 120 यात्री किसी तरह एसी कोच में चढ़ गए, लेकिन उनके सामान और टिकट नीचे ही रह गए. वहीं, 70 यात्री ट्रेन पर चढ़ ही नहीं पाए.

लक्ष्मण ने बताया कि इस बीच सिग्नल होने पर ट्रेन चलने लगी. इस पर सभी लोगों ने आरपीएफ और जीआरपी के जवानों से गुहार लगाई और ट्रेन रोकने को कहा, लेकिन उन्होंने ट्रेन से दूर कर दिया. यहां तक कि टीटीई आदि से भी कहा लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी और आंखों से सामने से उनकी ट्रेन चली गई. बाद में इसकी शिकायत स्टेशन अधीक्षक से की गई, तो उन्होंने भी सहायता करने से हाथ खड़े कर दिए. रेल मंत्रालय को ट्वीट करने के बाद उनके टिकट को दूसरी ट्रेन से यात्रा करने के लिए वैध किया गया.

आरपीएफ वेस्ट पोस्ट प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि सुबह आरपीएफ ने यात्रियों के खाने की व्यवस्था की. इसके बाद यात्रियों को रविवार की दोपहर 2.30 बजे लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से इटारसी भेजा गया. यहां से वे दूसरी ट्रेन से चेन्नई जाएंगे.

टीटीई के खेल से यात्री चढ़ने में हुए फेल
गौरतलब है कि यह ट्रेन के कोच में यात्रियों के दाखिल न हो पाने की यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं. पूर्व मध्य रेल की ट्रेन जब दानापुर मंडल में पहुंचती है तो जनरल टिकट के यात्री गलत तरीके रिजर्वेशन क्लास में दाखिल हो जाते हैं. इसके बाद टीटीई को सुविधा शुल्क देकर सीट हथिया लेते हैं. इस वजह से ज्यादातर ट्रेनों के कोच फुल हो जाते हैं.

पढ़ेंः चलती ट्रेन से गिरी तीन साल की बेटी को बचाने के लिए कूदा पिता, दोनों की मौत

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