ETV Bharat / bharat

Indian Ocean Conference : आम चुनौतियों और अस्तित्वगत खतरों के रूप में IORA का सामना करना जारी: विशेषज्ञ

author img

By

Published : May 13, 2023, 4:13 PM IST

ढाका में चल रहे छठे हिंद महासागर सम्मेलन में महत्वपूर्ण देशों और प्रमुख समुद्री भागीदार एक मंच पर आए हैं. इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि सम्मेलन में आम चुनौतियों और अस्तित्वगत खतरों के रूप में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) सामना करना जारी है. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

Indian Ocean Conference
छठे हिंद महासागर सम्मेलन

नई दिल्ली: भारत पर चीन आर्थिक और रणनीतिक प्रभुत्व हासिल करने के साथ-साथ संचार और व्यापार गतिविधियों की निर्बाध समुद्री लाइनों को सुरक्षित रखने के लिए हिंद महासागर और एशिया प्रशांत क्षेत्रों में दशकों से अधिक समय से अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत का विस्तार कर रहा है. इतना ही नहीं चीन हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, निगरानी को मजबूत करने की रणनीति को भी मजबूत कर रहा है. ढाका में चल रहे छठे हिंद महासागर सम्मेलन (6th Indian Ocean Conference) एक ऐसी पहल है जिसमें महत्वपूर्ण देशों और प्रमुख समुद्री भागीदार एक मंच पर आए हैं ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा सके.

इस संबंध में पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायल (Ex ambassador Anil Trigunayat) ने कहा कि हिंद महासागर का समुद्री भूगोल में एक महत्वपूर्ण स्थान है. 6वें हिंद महासागर सम्मेलन में अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीति और वर्चस्व की प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देने के साथ ही सम्मेलन के थीम शांति का भी पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भविष्य के लिए समृद्धि और साझेदारी, विशेष रूप से आम चुनौतियों और अस्तित्वगत खतरों के रूप में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) सामना करना जारी है. त्रिगुणायत ने कहा कि सदस्यों के बीच तालमेल और नेविगेशन की स्वतंत्रता को पारस्परिक लाभ के लिए पूंजीकृत किया जाएगा.

बता दें कि शुक्रवार को छठे हिंद महासागर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr s Jaishankar) ने कहा था कि हिंद महासागर के राष्ट्रों पर आज मूल्यों, प्रथाओं और शुद्धता के बारे में कथा को आकार देने की जिम्मेदारी है. उनकी संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें लोकतांत्रिक खुलेपन का लाभ उठाते हुए चरमपंथ और कट्टरवाद से उत्पन्न सामाजिक ताने-बाने के खतरों के बारे में भी सचेत रहना चाहिए. ऐसा नहीं करने की कीमत भी आज हम सभी के लिए स्पष्ट है.

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर के भीतर, यह पहचानने की आवश्यकता है कि अलग-अलग क्षेत्र और पारिस्थितिकी तंत्र हैं. बंगाल की खाड़ी एक बहुत अच्छा उदाहरण है. इस भूगोल के देशों की अपनी विशेष आकांक्षाएं और एजेंडा हैं, साथ ही साथ प्रगति की दिशा में उनके संबंधित रास्ते भी हैं. उन्होंने कहा कि हम बिम्सटेक के सदस्य हैं, यह एक ऐसा संगठन है जो तेजी से अपने आप में आगे आ रहा है. लेकिन हम आपस में शासन, आधुनिकीकरण और सुरक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से भली-भांति परिचित हैं. और हम सहयोग और साझा प्रयासों के माध्यम से उनसे निपटने के प्रति आश्वस्त हैं. जयशंकर ने कहा कि हम हिंद महासागर - वास्तव में इंडो-पैसिफिक - को मजबूत और अधिक लचीला बनाएंगे.

विदेश मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत, हिंद महासागर और इसके घटक क्षेत्रों की जरूरतों को एक साथ संबोधित करने की आवश्यकता आज हमारे सामने है. ये विकल्प नहीं बल्कि स्वावलंबी गतिविधियां हैं. उन्होंने कहा कि स्वाभाविक रूप से विशिष्टता के पहलू हैं इसमें समान रूप से व्यापक सिद्धांत हैं जो सभी पर लागू होते हैं. उदाहरण के लिए, कानून का पालन करने, मानदंडों का पालन करने और नियमों का सम्मान करने का महत्व एक प्राकृतिक अभिसरण बिंदु है.

उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से एक महाद्वीप में ऐसा है जिसने इतनी वृद्धि और इतना परिवर्तन देखा है. जब राष्ट्र अपने कानूनी दायित्वों की अवहेलना करते हैं या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं तो भरोसे को भारी नुकसान होता है. इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के बारे में दीर्घ दृष्टिकोण अपनाएं. वहीं बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन से उम्मीद है कि बांग्लादेश के साथ क्षेत्रीय राजनीतिक क्षेत्र में हिंद महासागर से लगे देशों के साथ साझेदारी मजबूत होगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस सम्मेलन की चर्चा से भाग लेने वाले देशों को इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि मौजूदा वैश्विक घटनाओं को देखते हुए वे भविष्य में किस तरह के कदम उठाएंगे.

ये भी पढ़ें - जब राष्ट्र समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है : जयशंकर

नई दिल्ली: भारत पर चीन आर्थिक और रणनीतिक प्रभुत्व हासिल करने के साथ-साथ संचार और व्यापार गतिविधियों की निर्बाध समुद्री लाइनों को सुरक्षित रखने के लिए हिंद महासागर और एशिया प्रशांत क्षेत्रों में दशकों से अधिक समय से अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत का विस्तार कर रहा है. इतना ही नहीं चीन हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, निगरानी को मजबूत करने की रणनीति को भी मजबूत कर रहा है. ढाका में चल रहे छठे हिंद महासागर सम्मेलन (6th Indian Ocean Conference) एक ऐसी पहल है जिसमें महत्वपूर्ण देशों और प्रमुख समुद्री भागीदार एक मंच पर आए हैं ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा सके.

इस संबंध में पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायल (Ex ambassador Anil Trigunayat) ने कहा कि हिंद महासागर का समुद्री भूगोल में एक महत्वपूर्ण स्थान है. 6वें हिंद महासागर सम्मेलन में अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीति और वर्चस्व की प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देने के साथ ही सम्मेलन के थीम शांति का भी पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भविष्य के लिए समृद्धि और साझेदारी, विशेष रूप से आम चुनौतियों और अस्तित्वगत खतरों के रूप में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) सामना करना जारी है. त्रिगुणायत ने कहा कि सदस्यों के बीच तालमेल और नेविगेशन की स्वतंत्रता को पारस्परिक लाभ के लिए पूंजीकृत किया जाएगा.

बता दें कि शुक्रवार को छठे हिंद महासागर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr s Jaishankar) ने कहा था कि हिंद महासागर के राष्ट्रों पर आज मूल्यों, प्रथाओं और शुद्धता के बारे में कथा को आकार देने की जिम्मेदारी है. उनकी संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें लोकतांत्रिक खुलेपन का लाभ उठाते हुए चरमपंथ और कट्टरवाद से उत्पन्न सामाजिक ताने-बाने के खतरों के बारे में भी सचेत रहना चाहिए. ऐसा नहीं करने की कीमत भी आज हम सभी के लिए स्पष्ट है.

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर के भीतर, यह पहचानने की आवश्यकता है कि अलग-अलग क्षेत्र और पारिस्थितिकी तंत्र हैं. बंगाल की खाड़ी एक बहुत अच्छा उदाहरण है. इस भूगोल के देशों की अपनी विशेष आकांक्षाएं और एजेंडा हैं, साथ ही साथ प्रगति की दिशा में उनके संबंधित रास्ते भी हैं. उन्होंने कहा कि हम बिम्सटेक के सदस्य हैं, यह एक ऐसा संगठन है जो तेजी से अपने आप में आगे आ रहा है. लेकिन हम आपस में शासन, आधुनिकीकरण और सुरक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से भली-भांति परिचित हैं. और हम सहयोग और साझा प्रयासों के माध्यम से उनसे निपटने के प्रति आश्वस्त हैं. जयशंकर ने कहा कि हम हिंद महासागर - वास्तव में इंडो-पैसिफिक - को मजबूत और अधिक लचीला बनाएंगे.

विदेश मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत, हिंद महासागर और इसके घटक क्षेत्रों की जरूरतों को एक साथ संबोधित करने की आवश्यकता आज हमारे सामने है. ये विकल्प नहीं बल्कि स्वावलंबी गतिविधियां हैं. उन्होंने कहा कि स्वाभाविक रूप से विशिष्टता के पहलू हैं इसमें समान रूप से व्यापक सिद्धांत हैं जो सभी पर लागू होते हैं. उदाहरण के लिए, कानून का पालन करने, मानदंडों का पालन करने और नियमों का सम्मान करने का महत्व एक प्राकृतिक अभिसरण बिंदु है.

उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से एक महाद्वीप में ऐसा है जिसने इतनी वृद्धि और इतना परिवर्तन देखा है. जब राष्ट्र अपने कानूनी दायित्वों की अवहेलना करते हैं या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं तो भरोसे को भारी नुकसान होता है. इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के बारे में दीर्घ दृष्टिकोण अपनाएं. वहीं बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन से उम्मीद है कि बांग्लादेश के साथ क्षेत्रीय राजनीतिक क्षेत्र में हिंद महासागर से लगे देशों के साथ साझेदारी मजबूत होगी. उन्होंने यह भी कहा कि इस सम्मेलन की चर्चा से भाग लेने वाले देशों को इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि मौजूदा वैश्विक घटनाओं को देखते हुए वे भविष्य में किस तरह के कदम उठाएंगे.

ये भी पढ़ें - जब राष्ट्र समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है : जयशंकर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.