नई दिल्ली: भले ही 'द केरल स्टोरी' ने पूरे भारत में बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया, लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के 62 युवा 2014 से इस्लामिक आतंकवादी समूह आईएसआईएस में शामिल हो गए.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए ईटीवी भारत को बताया कि आईएसआईएस से जुड़े 68 भारतीय विदेशों में बसे हैं. अधिकारी ने कहा कि महत्वपूर्ण रूप से इन कुल पंजीकृत संख्या में से कम से कम 95 प्रतिशत दक्षिण भारतीय राज्यों से हैं.
अधिकारी ने कहा कि 'यह वह संख्या है जो जांच एजेंसियों द्वारा दर्ज की गई है. हालांकि कई मामले दर्ज नहीं होते ऐसे में यह संख्या और अधिक हो सकती है. भारत में सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार निगरानी और सक्रिय दृष्टिकोण के कारण आईएसआईएस या उसके सहयोगियों के साथ संबंधों के लिए अब तक लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया है.
हालांकि, 'द केरल स्टोरी' के निर्माता ने पहले दावा किया था कि केरल की 32,000 महिलाएं आतंकवादी समूह आईएसआईएस में शामिल हो गई थीं, हालांकि फिल्म के यूट्यूब प्रचार में यह संख्या बदलकर 3 कर दी गई है. गलत तरीके से तथ्यों को पेश करने के लिए की गई कड़ी आलोचना के बाद परिवर्तन किए गए.
जब संपर्क किया गया तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संवाददाता को बताया कि ऑनलाइन कट्टरता ने ऐसी चीजें की हैं जहां भोले-भाले युवा आतंकवादी संगठनों में जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 'चाहे वह आईएसआईएस हो या अन्य आतंकवादी संगठन, युवाओं को ऑनलाइन भर्ती किया जाता है और बाद में उन्हें सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए विदेशों में विशेष रूप से अफगानिस्तान भेजा जाता है.'
एनआईए ने जांच के दौरान पाया है कि ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम और यूट्यूब सहित विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट्स के जरिए ऐसा किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा, शुरुआत में आतंकी संगठन फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर के जरिए युवाओं से जुड़ता है. एक बार जब युवा कट्टरपंथी बन जाते हैं, तो उन्हें टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से संपर्क किया जाता है.'
अधिकारी ने कहा कि केरल की रहने वाली चार महिलाओं के खिलाफ पहले ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका है. कुछ साल पहले वह आईएसआईएस में शामिल हो गई थीं. वे वर्तमान में अफगानिस्तान में विभिन्न घटनाओं में कैद हैं.
अधिकारी ने इन महिलाओं सोनिया सेबेस्टियन, शमसिया कुरिया, राफेला और फातिमा ईसा के वापस भारत आने की किसी भी संभावना से इनकार किया. अधिकारी ने कहा कि 'हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आतंकी संगठन की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रहे हैं.'
'केरल और यहां के लोगों की छवि खराब करने की कोशिश' : इस बीच, ईटीवी भारत से बात करते हुए, राज्यसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि केरल की कहानी निराधार दावों, फर्जी खबरों और इस्लामोफोबिक प्रचार पर आधारित है और ये केरल और केरल के लोगों की छवि खराब करने के इरादे से है. विश्वम ने कहा कि 'फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर केरल और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ राजनीति से प्रेरित नफरत अभियान के अलावा और कुछ नहीं है.'
उन्होंने कहा कि 'दावा झूठ और एक्सट्रपलेशन पर आधारित है. फिल्म जानबूझकर केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों वी.एस.अचुदनाथन और ओमन चांडी के बयान को गलत तरीके से पेश करती है.'
तत्कालीन गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के एक पुराने बयान का हवाला देते हुए भाकपा नेता ने कहा कि तथाकथित 'लव जिहाद' ध्रुवीकरण के उद्देश्य से एक निराधार इस्लामोफोबिक साजिश सिद्धांत है.
बिनॉय विश्वम ने कहा कि 'जी किशन रेड्डी ने 5 फरवरी, 2020 को संसद को सूचित किया था कि लव जिहाद का कोई मामला सामने नहीं आया है. इस प्रकार, द केरल स्टोरी द्वारा प्रचारित स्टोरी स्पष्ट रूप से झूठ और तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों पर आधारित है और इसका उद्देश्य घृणा को बढ़ावा देना है.' सीपीआई के एक अन्य नेता ने सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को फिल्म के माध्यम से किए जा रहे झूठे दावों की जांच शुरू करने के लिए एक पत्र भी लिखा है.
पढ़ें- इंटेलिजेंस ब्यूरो की चेतावनी! 'अगर तमिलनाडु में 'The Kerala Story' हुई रिलीज तो...'