देहरादून(उत्तराखंड): उत्तराखंड में इन दोनों अधिकारियों की ग्रह चाल और नक्षत्र शायद ठीक नहीं चल रहे हैं. यही कारण है कि हर दूसरे दिन उत्तराखंड में किसी ना किसी अधिकारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई होती नजर आती है. ये कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति मामले, कार्य में लापरवाही, भ्रष्टाचार के मामलों में हुई हैं. अब तक उत्तराखंड में कई अधिकारियों को इसके लिए निलंबित किया जा चुका है. इसके साथ ही कई अधिकारी एसआईटी के फेर में भी फंसे हैं. उत्तराखंड कई अफसर विवादों के 'अधिकारी' हैं. आइये उन सभी पर एक नजर डालते हैं.
पूर्व IAS अधिकारी राम विलास यादव: आईएएस अधिकारी रामविलास यादव साल 2018 से ही चर्चाओं में थे. उत्तर प्रदेश के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर रामविलास यादव की संपत्ति की जांच करवाने की मांग की. इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा. उत्तर प्रदेश सरकार भी अपनी तरफ से इस मामले की जांच कर रही थी. 23 जून 2022 के दिन उत्तराखंड सतर्कता विभाग ने भी रामविलास यादव के खिलाफ ना केवल जांच की बल्कि उन्हें आय से अधिक 540 गुना संपत्ति अर्जित करने के मामले में गिरफ्तार किया.
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सीएम धामी ने भी लिया एक्शन: इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल प्रभाव से रामविलास यादव के खिलाफ निलंबन का आदेश जारी किये. उत्तराखंड में किसी आईएएस के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई का यह पहला मामला था. इसके बाद रामविलास यादव ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली. रामविलास यादव पीसीएस से प्रमोटेड अधिकारी थे. उस वक्त डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त हुए थे. 2016 तक वह अलग-अलग पदों पर उत्तर प्रदेश में तैनात रहे. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड में ट्रांसफर ले लिया. यहां वे अपर सचिव कृषि के पद पर तैनात थे. रामविलास यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज हैं.
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जांच के घेरे में PCS अधिकारी निधि यादव: रामविलास के बाद सबसे बड़ी कार्रवाई उत्तराखंड में पीसीएस अधिकारी और चर्चित नाम निधि यादव के खिलाफ हुई. आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस विभाग की नजर पहले से ही निधि यादव पर थी. जैसे ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से जांच के आदेश दिये गये वैसे ही सीनियर पीसीएस अधिकारी निधि यादव की मुश्किलें बढ़ गई. निधि यादव लंबे समय से उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दे रही हैं. निधि यादव चर्चित अधिकारियों में से एक हैं. कांग्रेस की सरकार हो या फिर त्रिवेंद्र सरकार, दोनों ही समय उनके पास बेहद महत्वपूर्ण विभाग रहे. हाल ही में निधि यादव पीसीएस अफसरों की डीपीसी के दौरान भी विवादों में घिर गई थी. आय से अधिक संपत्ति मामले के बाद निधि यादव के प्रमोशन पर भी तलवार लटकी हुई है.निधि यादव मामले में पहले ही खुली विजिलेंस जांच हो चुकी है. जिसमें कई सबूत मिले हैं.
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उद्यान विभाग के निदेशक भी निलंबित: हाल ही में उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक डॉक्टर हरविंदर सिंह बावेजा के खिलाफ भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे. जिसके बाद छह सदस्य एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए गए. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों पर गठित की गई एसआईटी उनके खिलाफ जांच करेगी. खास बात यह है कि धामी सरकार के कार्यकाल में ही बवेजा को अनियमितताओं के चलते निलंबित कर दिया गया था. हरविंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया. साथ ही वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा देने का आरोप भी उन पर लगा. अपने कार्यकाल के दौरान ही नर्सरी में अत्यधिक पैसा खर्च करना हो या फिर अपने आवास और दफ्तरों पर बेवजह खर्च करने के मामले में भी बावेजा घिरते हुए दिखाई दिये.
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एक साथ 4 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई: जून महीने में चार अधिकारियों के खिलाफ उस वक्त भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई हुई जब अलग-अलग मामलों में चार बड़े अधिकारियों के नाम राज्य सरकार के पास पहुंचे. मुख्यमंत्री कार्यालय के पास पहुंचे इन नामों के बारे में जैसे जानकारी जुटाई गई तो यह साफ हो गया कि कुमाऊं के पंतनगर स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ भंडारा के पास आय से अधिक संपत्ति है. तत्काल प्रभाव से विजिलेंस जांच को आदेश दिए गए. इस मामले में एक मुकदमा भी दर्ज किया गया. रजनीश कुमार पांडे के खिलाफ मौजूदा समय में मुकदमा दर्ज होने के बाद विजिलेंस जांच चल रही है.