ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में बुधवार को छह महीने के अबोध बालक को कोर्ट में पेश किया गया. बालक के पिता पर उसे अवैध रूप से बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने पति और पत्नी दोनों की दलीलें सुनने के बाद बच्चे की सुपुर्दगी मां को दे दी है. इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट ने पति पत्नी को सलाह देते हुए कहा कि वे कोर्ट कचहरी तो कभी भी कर सकते हैं, लेकिन बच्चे के लिए वे साथ रहें तो ज्यादा बेहतर होगा और यह बच्चे के भविष्य के लिहाज से भी अच्छा कदम होगा.
यह है पूरा मामला: ग्वालियर के बिलौआ इलाके की रहने वाली अंशु की शादी हापुड़(यूपी) के रहने वाले भरत त्यागी से हुई थी. इन दोनों के 6 महीने का एक बेटा भी है. भरत त्यागी की पत्नी अंशु ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि उसके बेटे को उसके पिता भरत त्यागी ने अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा हुआ है, जबकि इस समय बच्चे को मां की सबसे ज्यादा जरूरत है. सोमवार को यह मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आया था. तब कोर्ट के सामने यह बात आई कि बच्चा गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती है.जिसके बाद कोर्ट ने बच्चे को डॉक्टर और एंबुलेंस के जरिए मां के पास लाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने यह भी कहा था कि बच्चे की कम उम्र देखते हुए उसे मां की सबसे ज्यादा जरूरत है, इसलिए बच्चा मां के पास रहेगा.
पत्नी ने पति के साथ जाने से किया इनकार: इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महिला के पति को समझाइश दी है कि वह अपनी पत्नी को साथ रखे, लेकिन पत्नी अंशु ने भरत त्यागी के साथ जाने से मना कर दिया. महिला का आरोप है कि पति उसे खाने पीने पर टोकता है और शराब पीकर अपशब्द कहता है. कोर्ट ने फिलहाल दोनों को एक दूसरे के संपर्क में रहने और भविष्य में साथ रहने की सलाह दी है. महिला अंशु आदिवासी ने अपने बेटे की कस्टडी लेने के लिए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि वह बच्चे को कोर्ट में पेश करे. पिता ने बताया था कि उसका बच्चा बीमार है और वह 19 जून से गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती है. जिसपर कोर्ट ने बच्चे को एंबुलेंस के जरिए ग्वालियर बुलवाया है. कोर्ट ने पिता भरत त्यागी को को 5 लाख रुपए का बांड भरने का भी निर्देश दिया है.