हैदराबाद : 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक सुरक्षा का हवाला देकर देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को अमान्य ठहरा दिया था. कहा जाता है कि प.बंगाल के उस समय के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने इंदिरा को आपातकाल लगाने की सलाह दी थी.
आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे. विरोध करने वाले नेताओं को जेल में डाल दिया गया. प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई थी. बिना सूचना अधिकारी की सहमति से कोई भी खबर नहीं छापी जा सकती थी.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसका प्रभावशाली रूप से वर्णन करते हुए एक बार कहा था कि मीडिया तो रेंगने लगी, जबकि उन्हें केवल झुकने को कहा गया था.
करीब 21 महीने तक देश में आपातकाल लगा रहा. जनता पार्टी की सरकार ने आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों की जांच के लिए शाह कमीशन की नियुक्ति की थी. इसके अनुसार आपातकाल के दौरान 1.10 लाख से भी अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.
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क्या कहा था इंदिरा गांधी ने
इंदिरा गांधी ने 26 जून 1975 को सुबह में रेडियो पर देश को संबोधित किया. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है.
उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है. जयप्रकाश नारायण ने जो आंदोलन चलाए हैं, उसकी वजह से प्रजातंत्र खतरे में है. बाहरी ताकतें देश को कमजोर करने में लगी हैं. देश को तेज आर्थिक प्रगति की जरूरत है.
आपातकाल लगाने की क्या थी असल वजह
1971 में इंदिरा गांधी यूपी के रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव जीती थीं. उनके खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से राजनारायण चुनाव में खड़े थे. उन्होंने इंदिरा की जीत को कोर्ट में चुनौती दे डाली.
राजनारायण ने आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव के दौरान गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. उनके अनुसार प्रधानमंत्री हाउस के वाहन चुनाव क्षेत्र में देखे गए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण के आरोप को सही ठहराया. उन्होंने इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिए. फैसला 12 जून 1975 को सुनाया गया था.
फैसले में क्या कहा था जज ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी ने सरकारी साधनों का दुरुपयोग किया.'
सुप्रीम कोर्ट में अपील
इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्ण अय्यर ने इस फैसले पर आंशिक स्थगन का आदेश दिया. कोर्ट के अनुसार इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग ले सकती थीं, लेकिन वोट करने का अधिकार नहीं दिया गया. कोर्ट ने 24 जून को यह राहत प्रदान की थी.
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आपातकाल की घोषणा
जय प्रकाश नारायण ने 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी पर इस्तीफे का दबाव बनाने के लिए नागरिक अवज्ञा आंदोलन का कॉल दिया था. लेकिन 25 और 26 जून की मध्य रात्रि को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल से जुड़े कैबिनेट के फैसले पर हस्ताक्षर कर दिए.
किसने दी थी सलाह
कहा जाता है कि प. बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने आपातकाल लगाने की सलाह दी थी.
मूल अधिकार निलंबित
आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए. सरकार ने परिवार नियोजन को लेकर नया निर्देश जारी किया. 20 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की गई.
जयप्रकाश ने दिया था संपूर्ण क्रांति का नारा
बिहार सरकार के खिलाफ बिहार छात्र संघर्ष समिति ने आंदोलन छेड़ा था. जेपी ने उनका समर्थन किया. उन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया. छात्रों, किसानों और मजदूरों से सरकार के खिलाफ अहिंसक विरोध में शामिल होने का आह्वान किया. दिसंबर 1973 से मार्च1974 के बीच इसी तरह का एक आंदोलन गुजरात में भी चला था. इसका नाम नव निर्माण आंदोलन था.
आपातकाल के दौरान क्या-क्या हुआ
21 मार्च 1976
- आपातकाल हटाया गया.
आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को 154 सीटें और जनता पार्टी को 295 सीटें मिलीं. सहयोगियों के साथ जनता पार्टी को 330 सीटें मिलीं. इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों चुनाव हार गए.
जनता पार्टी की सरकार के गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा और संजय की गिरफ्तारी के आदेश दिए. उनका यह फैसला उलटा दांव साबित हुआ. 1980 के चुनाव में कांग्रेस फिर से सत्ता में वापस आ गई. इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बन गईं.
कब-कब लगाया जा सकता है आपातकाल
अनुच्छेद 352- राष्ट्रीय आपातकाल
अनुच्छेद 356- राष्ट्रपति शासन
अनुच्छेद 360- वित्तीय आपातकाल