लखनऊ : बीते रविवार को आतंकी संगठन ने जुड़े दो युवक यूपी से गिरफ्तार किए गए हैं, एक राजधानी लखनऊ और दूसरा मुरादाबाद से. ये दोनों यूपी में आतंकी (40 terrorists) हमला करने की साजिश रच रहे थे. इनकी भर्ती आईएसआई ने की थी. इन गिरफ्तारियों से ये एक बार फिर साफ हो गया है कि सीमा पार पाकिस्तान के निशाने पूरा भारत तो है ही लेकिन प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश को टारगेट रूप से रखा है. पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन उत्तर प्रदेश में बड़ी तबाही के लिए नापाक साजिशें रच रहे हैं. इसकी तस्दीक यूपी से हुई आतंकियों और आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारियां कर रही हैं, जो बीते पांच वर्षों में जम्मू कश्मीर को छोड़ अन्य किसी भी राज्य से कहीं ज्यादा हुई हैं.
उत्तर प्रदेश में बीते दिनों दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीन आतंकियों की गिरफ्तारी की है, जिसमें दो यूपी से गिरफ्त में आए हैं. पूछताछ में सामने आया है कि, लखनऊ से गिरफ्तार हुआ रिजवान व उसके अन्य साथी तीन लाख इनामी शाहनवाज और अरशद वारसी यूपी के अयोध्या समेत कई संवेदनशील इलाकों में आतंकी हमला करने की साजिश रच रहे थे, जिसे रिजवान लीड कर रहा था, हालांकि रिजवान अकेला नहीं है जिसने पहली बार यूपी को दहलाने की कोशिश की हो. ये साजिश बीते पांच वर्षों से रची जा रही हैं. वर्ष 2017 से अब तक करीब 40 आतंकी संगठनों के सदस्यों और 300 से अधिक पीएफआई के सदस्यों व रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी के बाद उनके नापाक मंसूबों से साफ हुआ था कि यूपी में योगी सरकार बनने के बाद पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने उत्तर प्रदेश को टारगेट पर रखा हुआ है.
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में हुई आतंकवादियों व आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी पर नजर डालें तो वर्ष 2009 से 2014 तक इन पांच वर्षों में राज्य में 6 आतंकी संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई, वहीं वर्ष 2017 से अब तक 40 आतंकियों और 300 से अधिक देश विरोधी तत्वों की गिरफ्तारी कर एनआईए और यूपी एटीएस आतंकी संगठनों के मंसूबों को निस्तानबूत कर चुकी है. इतना ही नहीं यह गिरफ्तारियां यूपी के संवेदनशील शहरों जिसमें लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से हुई हैं.
सैफुल्ला के ढेर होने के बाद शुरू हुआ गिरफ्तारियों का सिलसिला : उत्तर प्रदेश में आतंकियों की मौजूदगी तब एहसास हुई जब वर्ष 2017 में राजधानी के ठाकुरगंज इलाके के हाजी काॅलोनी में छात्र बन कर रह रहे आईएसआईएस आतंकी सैफुल्ला को यूपी एटीएस ने मार गिराया था. सैफुल्ला कानपुर का रहने वाला था और यूपी में बड़ी आतंकी हमले की तैयारी कर रहा था. सैफुल्ला को मार गिराए जाने के बाद उसके घर से मिले दस्तावेजों के आधार पर एक के बाद एक कानपुर और उन्नाव से आतंकी संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी तेज हुई थी. वर्ष 2018 में कानपुर के चकेरी के जाजमऊ अहिरवां से हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमां उर्फ कमरुद्दीन उर्फ डॉ. हुरैरा को गिरफ्तार किया, उसके निशानदेही पर हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर आतंकी ओसामा बिन जावेद का नाम सामने आया था, जिसे वर्ष 2019 में जिसे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने मार गिराया.
जैश एरिया कमांडर को यूपी तक आना पड़ा : सैफुल्ला और कमरुज्जमां जैसे दर्जनों युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ने के लिए आतंकी आका एड़ी चोटी का दम लगाए हुए हैं. वो चाहते हैं कि यूपी से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को स्लीपर मॉड्यूल बनाया जाए. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश को आतंक की फैक्ट्री बनाने के लिए आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद का एरिया कमांडर राज्य में आता है और बहके हुए युवाओं को भर्ती के लिए उनका इंटरव्यू लेता है. यह खुलासा तब हुआ जब मार्च 2019 में सहारनपुर के देवबंद से गिरफ्तार आतंकी शाहनवाज तेली और आकिब से यूपी एटीएस ने पूछताछ की थी. उन्होंने बताया था कि, 'जैश-ए-मोहम्मद का एरिया कमांडर देवबंद में आया था और कई जिलों का दौरा कर मुस्लिम लड़कों से मुलाकात की थी.'
साल 2003 से 2014 तक गिरफ्तार किए गए 12 आतंकी |
अगस्त 2014: मेरठ से आईएसआई एजेंट आसिफ अली गिरफ्तार |
अप्रैल 2014: कानपुर पनकी स्टेशन के पास से जाहिद गिरफ्तार |
जुलाई 2012: कानपुर सेंट्रल स्टेशन से फिरोज खान गिरफ्तार |
सितंबर 2011: कानपुर के रेलबाजार इलाके से आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान गिरफ्तार |
सितंबर 2009: कानपुर सचेंडी से आइएसआइ एजेंट इम्तियाज गिरफ्तार |
सितंबर 2009: कानपुर बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास गिरफ्तार |
जून 2007: बिजनौर में हूजी के दो आतंकी |
मार्च 2005: मेरठ से खलील हुसैन शाह |
अप्रैल 2004: मेरठ से रूबी बेगम आईएसआई एजेंट |
मार्च 2003: मुजफ्फरनगर से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी सज्जाद व इत्तफाक |
यूपी में योगी सरकार बनने के बाद अचानक एक्टिव हुए आतंकी : पूर्व पुलिस अधिकारी श्याम शुक्ला के मुताबिक, वर्ष 2017 के बाद से आतंकियों की गिरफ्तारी कोई इत्तेफाक नहीं है. असल में 2017 के बाद से आतंकी संगठनों ने सबसे अधिक यूपी में ही अपने स्लीपर मॉड्यूल प्लांट किए हैं. इसके पीछे का कारण यह है कि आतंकी संगठनों को यूपी में ऐसे मुस्लिम युवा अधिक मिल जाते हैं, जो यह मानते हैं कि देश में खासकर यूपी में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है. बस इन युवाओं को थोड़ा और बहकाने को जरूरत होती है और फिर आतंकी संगठन की फौज तैयार हो जाती है. इतना ही नहीं यूपी में योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनना तो इन कट्टरपंथियों और आतंकी संगठनों को बिलकुल नगवार गुजरा. ऐसे में जैसे ही योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने और यूपी में बीजेपी की सरकार बनी युवाओं को बहकाना और भड़काना और भी आसान हो गया. जिससे यूपी में अधिक आतंकी संगठन के सदस्य बनते गए, हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और सतर्कता के चलते ये गिरफ्तार भी होते जा रहे हैं.'
वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाल का कहना है कि 'यूपी में बीते पांच वर्षों में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिससे भोले भाले लड़कों को खासकर एक विशेष समुदाय के युवाओं को भड़काना बहुत आसान हो गया. अयोध्या राम मंदिर, वाराणसी में ज्ञानवापी मुद्दा, CAA-NRC यह ऐसे मुद्दे हैं जिनको आधार बनाकर देश विरोधी ताकतें आतंकी संगठनों के साथ मिलकर युवाओं को यह महसूस करवाते हैं कि यूपी में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है और फिर उन्हें आतंकी बनाते हैं और कुछ को आईएसआई का एजेंट बना देते हैं.'
ATS आतंकियों के हर मंसूबों पर फेर रही पानी : यूपी में लंबे समय तक डीजीपी रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी एके जैन कहते हैं कि, 'यह सच है कि बीते कुछ वर्षों में सबसे अधिक आतंकियों की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश से ही हुई है. इसके पीछे हमारी यूपी एटीएस का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पूर्व डीजीपी कहते हैं कि यूपी बहुत बड़ा राज्य है, जहां पर मुस्लिम समुदाय की संख्या बहुत अधिक है. वो खुद मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के मुस्लिम लड़कों को गुमराह करना कट्टरपंथियों और सीमा पार बैठे आतंकी आकाओं के लिए काफी आसान है, जिन्हें गुमराह कर सरकार और देश के खिलाफ खड़ा करते हैं फिर उन्हें आतंकी संगठनों के स्लीपर मॉड्यूल बना दिया जाता है.'