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नेशनल रीडिंग डे : इस महान शिक्षक को जाता है 100 फीसदी साक्षरता दर का श्रेय

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Published : Jun 19, 2021, 5:01 AM IST

19 जून को देशभर में 25वां नेशनल रीडिंग मनाया जा रहा है. 19 जून 1995 में केरल के प्रतिष्ठित शिक्षक और भारत में लाइब्रेरी आंदोलन के जनक पी.एन पनिकर का निधन हुआ था. वहीं, 19 जून को 1996 में 'नेशनल रीडिंग डे' घोषित किया गया.

पुथुवयिल नारायण पनिकर
पुथुवयिल नारायण पनिकर

हैदराबाद : इस साल देश 25वां राष्ट्रीय पठन दिवस (25th National Reading Day) मना रहा है. 19 जून भारत में लाइब्रेरी आंदोलन के जनक पुथुवयिल नारायण पनिकर (Puthuvayil Narayana Panicker) की पुण्यतिथि मनाई जाती है और उन्हीं की पुण्तिथि पर राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया जाता है. पनिकर ने न केवल अपने गृह राज्य केरल में पुस्तकालयों (Libraries in Kerala)) की शुरुआत की, बल्कि उन्हें राज्य में पढ़ने और पढ़ाने की वकालत करने वाले एक सांस्कृतिक आंदोलन का जनक भी माना जाता है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी हैं ये खास बातें...

कौन हैं पुथुवयिल नारायण पनिकर

पनिकर का जन्म 1 मार्च 1909 को नीलामपुरूर (केरल) गोविंदा पिल्लई और जानकी अम्मा के घर हुआ था. 1990 में केरल में साक्षरता दर 100 फीसदी करने में उनका अहम योगदान रहा है. बतौर शिक्षक पनिकर ने समाज में सकारात्मक बदलाव किए. उन्होंने हमेशा से ही शिक्षा के स्तर को उठाने के अथक प्रयास किए थे.

वर्ष 1926 में, पीएन पनिकर ने अपने सदानधर्मम पुस्तकालय में एक शिक्षक के रूप में काम शुरू किया था. 1945 में पनिकर के नेतृत्व में में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ तिरुविथमकूर ग्रंथशाला संघम (त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन) की स्थापना की गई थी. उस दौरान संघ का नारा था 'पढ़ो और बढ़ो.

केरल के गठन के बाद संघ का नाम बदलकर 'केरल ग्रंथशाला संघम' कर दिया गया. इसके तहत संघ ने छह हजार से अधिक पुस्तकालयों को जोड़ा.

वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में अपने सराहनीय योगदान के लिए 1975 में ग्रंथशाला को यूनेस्को से प्रतिष्ठित 'कृपास्कय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था. पनिकर ने संघम में महासचिव का पद 32 सालों तक बखूबी संभाला था.

बाद में भारत में सरकार ने इस संस्था को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया, जिसके बाद इसका नाम बदलकर 'केरल राज्य पुस्तकालय परिषद' (Kerala State Library Council) कर दिया गया. वहीं, 19 जून 1995 को पनिकर ने दुनिया से अलविदा कह दिया.

पीएन पनिकर फाउंडेशन

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की भयावह स्थिति के कारण देश में सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में पीएन पनिकर फाउंडेशन ने सरकार के साथ मिलकर डिजिटल रीडिंग (Digital Reading) की दिशा में सराहनीय काम किया है.

इसमें बच्चों के लिए क्वीज, ऑपन आर्ट, निबंध लेखन और छात्रों के लिए डिबेट का आयोजन किया जा रहा है. फाउंडेशन कोरोना काल में शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए क्वीज का भी आयोजन करेगा.

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की सराहना

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने फाउंडेशन के पी.एन. पनिकर नेशनल रीडिंग मिशन द्वारा शुरू की गई रीडिंग और डिजिटल रीडिंग के संदेश को फैलाने वाली जमीनी स्तर की गतिविधियों और अछूते वर्ग तक पहुंचने वाली मुहीम 'रीड इंडिया' के निर्माण के लिए बधाई देकर सराहना की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'नेशनल रीडिंग मिशन' के 2022 तक 'रीडिंग और डिजिटल रीडिंग' के संदेश के साथ देश की 30 करोड़ वंचित आबादी तक शिक्षा के पहुंचने की बात कही है. पीएम मोदी ने फाउंडेशन के काम को सराहा.

फाउंडेशन 'जन विज्ञान विकास यात्राओं' का आयोजन करता है, ताकि वंचितों तक शिक्षा आसानी से पहुंच सके. पी एन पनिकर फाउंडेशन 2002 में इंटरनेट सुविधा के साथ ग्रामीण जनता में ई-रीडिंग को लोकप्रिय बनाने वाला देश का पहला संगठन है. इस पहल ने 2010 में 25 हजार ग्रामीण घरेलू ई-पुस्तकालयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया.

ये भी पढे़ं : जानिये कहां ग्रामीणों ने मात्र सौ रुपये में दुर्लभ जीव यूरेशियन ऑटर को खरीदा

पनिकर कई शैक्षिक आंदोलनों के जनक

बता दें, पनिकर कई गैर-औपचारिक शैक्षिक आंदोलनों जैसे केरल 'एसोसिएशन फॉर नॉन-फॉर्मल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट' (KANFED), 'साक्षरता अभियान' जैसे 'टोटल लिटरेसी 1986' और 'केरल ग्रंथशाला संगम' (केरल स्टेट लाइब्रेरी काउंसिल) जैसे संस्थानों के जनक भी हैं.

ये भी पढे़ं : यूपी पुलिस ने Twitter इंडिया के MD को भेजा नोटिस, एक हफ्ते में मांगा जवाब

सीबीएसई का निर्देश

शैक्षिक बोर्ड सीबीएसई (CBSE) ने इस अवसर पर 'पठन माह' (Reading Month) मनाने का आह्वान किया है. इस संदर्थ में सीबीएसई ने एक पत्र जारी कर अपने सभी स्कूलों को 25वें 'पठन दिवस' के अवसर पर 19 जून को 'राष्ट्रीय पठन दिवस' मनाने का निर्देश दिया है.

हैदराबाद : इस साल देश 25वां राष्ट्रीय पठन दिवस (25th National Reading Day) मना रहा है. 19 जून भारत में लाइब्रेरी आंदोलन के जनक पुथुवयिल नारायण पनिकर (Puthuvayil Narayana Panicker) की पुण्यतिथि मनाई जाती है और उन्हीं की पुण्तिथि पर राष्ट्रीय पठन दिवस मनाया जाता है. पनिकर ने न केवल अपने गृह राज्य केरल में पुस्तकालयों (Libraries in Kerala)) की शुरुआत की, बल्कि उन्हें राज्य में पढ़ने और पढ़ाने की वकालत करने वाले एक सांस्कृतिक आंदोलन का जनक भी माना जाता है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी हैं ये खास बातें...

कौन हैं पुथुवयिल नारायण पनिकर

पनिकर का जन्म 1 मार्च 1909 को नीलामपुरूर (केरल) गोविंदा पिल्लई और जानकी अम्मा के घर हुआ था. 1990 में केरल में साक्षरता दर 100 फीसदी करने में उनका अहम योगदान रहा है. बतौर शिक्षक पनिकर ने समाज में सकारात्मक बदलाव किए. उन्होंने हमेशा से ही शिक्षा के स्तर को उठाने के अथक प्रयास किए थे.

वर्ष 1926 में, पीएन पनिकर ने अपने सदानधर्मम पुस्तकालय में एक शिक्षक के रूप में काम शुरू किया था. 1945 में पनिकर के नेतृत्व में में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ तिरुविथमकूर ग्रंथशाला संघम (त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन) की स्थापना की गई थी. उस दौरान संघ का नारा था 'पढ़ो और बढ़ो.

केरल के गठन के बाद संघ का नाम बदलकर 'केरल ग्रंथशाला संघम' कर दिया गया. इसके तहत संघ ने छह हजार से अधिक पुस्तकालयों को जोड़ा.

वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में अपने सराहनीय योगदान के लिए 1975 में ग्रंथशाला को यूनेस्को से प्रतिष्ठित 'कृपास्कय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था. पनिकर ने संघम में महासचिव का पद 32 सालों तक बखूबी संभाला था.

बाद में भारत में सरकार ने इस संस्था को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया, जिसके बाद इसका नाम बदलकर 'केरल राज्य पुस्तकालय परिषद' (Kerala State Library Council) कर दिया गया. वहीं, 19 जून 1995 को पनिकर ने दुनिया से अलविदा कह दिया.

पीएन पनिकर फाउंडेशन

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की भयावह स्थिति के कारण देश में सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में पीएन पनिकर फाउंडेशन ने सरकार के साथ मिलकर डिजिटल रीडिंग (Digital Reading) की दिशा में सराहनीय काम किया है.

इसमें बच्चों के लिए क्वीज, ऑपन आर्ट, निबंध लेखन और छात्रों के लिए डिबेट का आयोजन किया जा रहा है. फाउंडेशन कोरोना काल में शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए क्वीज का भी आयोजन करेगा.

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की सराहना

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने फाउंडेशन के पी.एन. पनिकर नेशनल रीडिंग मिशन द्वारा शुरू की गई रीडिंग और डिजिटल रीडिंग के संदेश को फैलाने वाली जमीनी स्तर की गतिविधियों और अछूते वर्ग तक पहुंचने वाली मुहीम 'रीड इंडिया' के निर्माण के लिए बधाई देकर सराहना की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'नेशनल रीडिंग मिशन' के 2022 तक 'रीडिंग और डिजिटल रीडिंग' के संदेश के साथ देश की 30 करोड़ वंचित आबादी तक शिक्षा के पहुंचने की बात कही है. पीएम मोदी ने फाउंडेशन के काम को सराहा.

फाउंडेशन 'जन विज्ञान विकास यात्राओं' का आयोजन करता है, ताकि वंचितों तक शिक्षा आसानी से पहुंच सके. पी एन पनिकर फाउंडेशन 2002 में इंटरनेट सुविधा के साथ ग्रामीण जनता में ई-रीडिंग को लोकप्रिय बनाने वाला देश का पहला संगठन है. इस पहल ने 2010 में 25 हजार ग्रामीण घरेलू ई-पुस्तकालयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया.

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पनिकर कई शैक्षिक आंदोलनों के जनक

बता दें, पनिकर कई गैर-औपचारिक शैक्षिक आंदोलनों जैसे केरल 'एसोसिएशन फॉर नॉन-फॉर्मल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट' (KANFED), 'साक्षरता अभियान' जैसे 'टोटल लिटरेसी 1986' और 'केरल ग्रंथशाला संगम' (केरल स्टेट लाइब्रेरी काउंसिल) जैसे संस्थानों के जनक भी हैं.

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सीबीएसई का निर्देश

शैक्षिक बोर्ड सीबीएसई (CBSE) ने इस अवसर पर 'पठन माह' (Reading Month) मनाने का आह्वान किया है. इस संदर्थ में सीबीएसई ने एक पत्र जारी कर अपने सभी स्कूलों को 25वें 'पठन दिवस' के अवसर पर 19 जून को 'राष्ट्रीय पठन दिवस' मनाने का निर्देश दिया है.

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