ETV Bharat / bharat

दिसंबर महीने में उत्तराखंड में जुटेंगे 22 देशों के वैज्ञानिक, आपदा से बचाव के तरीकों पर होगा मंथन, उत्तरकाशी टनल हादसा बनेगा सबसे बड़ा उदाहरण

22 countries Scientists will gather in Dehradun दिसंबर महीने में देहरादून में बड़ा मंथन होने जा रहा है. इस मंथन कार्यक्रम में 22 देशों के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ भाग लेंगे. देहरादून में होने वाले इस ग्रैंड कार्यक्रम का ब्रांड एंबेसडर अमिताभ बच्चन को बनाया गया है. इस कार्यक्रम में उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे और रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी चर्चा की जाएगी.

Natural disaster in Uttarakhand
दिसंबर महीने में उत्तराखंड में जुटेंगे 22 देशों के वैज्ञानिक
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 17, 2023, 5:17 PM IST

Updated : Nov 17, 2023, 10:30 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): दिसंबर महीने में आपदा और उससे बचाव को लेकर एक बड़ा मंथन होने जा रहा है. ये मंथन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में किया जाएगा. इस कार्यक्रम में दुनिया भर के विशेषज्ञ देहरादून में जुटेंगे. इस कार्यक्रम का ब्रांड एंबेसडर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को बनाया गया है. कार्यक्रम में हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं से कैसे बचा जाये, इस पर विचार विमर्श किया जाएगा. लगभग 22 देशों के वैज्ञानिक इस गहन मंथन में हिस्सा लेंगे. बैठक से पहले उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे पर चर्चा की जा सकती है.

प्राकृतिक आपदाओं से बचने के रास्तों पर मंथन: देहरादून में आयोजित होने वाली इस बैठक में भारत सरकार के पर्यावरण जल, जंगल और आपदा प्रबंधन से जुड़ी तमाम एजेंसियां भी शामिल होंगी. इस बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से बचने के रास्तों पर मंथन होगा. बारिश, भूस्खलन या भूकंप के झटकों से कैसे जल्द से जल्द बचा जा सके, इस पर भी चर्चा की जाएगी. उत्तराखंड सरकार ने भी इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली है. बैठक में किन-किन बिंदुओं पर चर्चा होगी, यह तो बाद की बात है लेकिन इस वक्त देशभर में सबसे बड़ा मुद्दा उत्तरकाशी टनल हादसा है. जिसमें 7 राज्यों के 40 मजदूर 6 दिनों से फंसे हुए हैं. भारत सरकार की भी इस उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर है. देश दुनिया के वैज्ञानिक भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

Natural disaster in Uttarakhand
उत्तराखंड में आपदा

पढे़ं- दिल्ली से एयरलिफ्ट कर लाई गई हैवी ऑगर ड्रिल मशीन, सिलक्यारा के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर

आपदा प्रबंधन तंत्र मजबूत करने की जरूरत: पहाड़ों में सालों से रिपोर्टिंग कर रहे वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि सिल्कयारा में जो कुछ भी हो रहा है वह उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ा सबक है. हमने साल 2013 की आपदा और चमोली त्रासदी को देखा. सवाल यह उठता है कि हमने इन आपदाओं से क्या सीखा ? चमोली रैणी आपदा में टनल में फंसे लोगों को भी कई दिनों तक नहीं निकाला जा सका. वहां से डेड बॉडीज को भी सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जा सका.

Natural disaster in Uttarakhand
चमोली एनटीपीसी टनल

अब सिलक्यारा टनल में 40 मजदूर पिछले 6 दिनों से फंसे हैं. इसके बाद भी उन्हें रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. यह पहाड़ों पर आपदा प्रबंधन तंत्र की हकीकत को बयां करता है. उन्होंने कहा राज्य सरकार भले ही कितने दावे कर ले, मगर हकीकत यही है कि हम अभी आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं. हमें आज भी दिल्ली और देश-विदेश के सहारे इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन करने पड़ते हैं.

Natural disaster in Uttarakhand
केदारनाथ आपदा

पढे़ं- उत्तरकाशी टनल हादसा: अमेरिकन ऑगर पर टिकी ऑपरेशन 'जिंदगी' की उम्मीदें, जानिए क्या है खासियत

कहीं फंसी मशीन ना बने बाधा: वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने कहा कि उत्तरकाशी टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन में एक मशीन पहले ही मलबे में दबी है. अब मलबे में दबी ये मशीन हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में बड़ी बाधा न बने. उन्होंने कहा टनल में ड्रिलिंग का काम चल रहा है, लेकिन बीच-बीच में ड्रिलिंग मशीन इसलिए रुक जा रही है क्योंकि वह किसी ठोस चीज से टकराकर आगे नहीं बढ़ पा रही है. ऐसे में राहत और बचाव कार्य में लगे एक्सपर्ट यही बता रहे हैं कि हो सकता है कि कोई मशीन इस मलबे के नीचे दबी हो, वह ड्रिलिंग मशीन के बीच में आ रही है. जिसके कारण देरी हो रही है.

Natural disaster in Uttarakhand
उत्तरकाशी टनल हादसा

पढे़ं- Uttarkashi Tunnel Collapse: हैवी ऑगर मशीन से डाले गए पांच पाइप, अभी रेस्क्यू में लग सकता है समय

अधिकारी बोले हमें धैर्य रखने की जरूरत: उत्तराखंड सरकार के साथ ही घटनास्थल पर मौजूद सभी अधिकारी इस समय टनल में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों से धैर्य बनाये रखने की अपील कर रहे हैं. उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा हमें इस वक्त संयम और विश्वास के साथ-साथ भरोसे की जरूरत है. सरकार, राहत टीमें बचाव कार्य में लगी हैं. सभी जल्द से जल्द फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश में लगे हैं.

देहरादून (उत्तराखंड): दिसंबर महीने में आपदा और उससे बचाव को लेकर एक बड़ा मंथन होने जा रहा है. ये मंथन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में किया जाएगा. इस कार्यक्रम में दुनिया भर के विशेषज्ञ देहरादून में जुटेंगे. इस कार्यक्रम का ब्रांड एंबेसडर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को बनाया गया है. कार्यक्रम में हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं से कैसे बचा जाये, इस पर विचार विमर्श किया जाएगा. लगभग 22 देशों के वैज्ञानिक इस गहन मंथन में हिस्सा लेंगे. बैठक से पहले उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे पर चर्चा की जा सकती है.

प्राकृतिक आपदाओं से बचने के रास्तों पर मंथन: देहरादून में आयोजित होने वाली इस बैठक में भारत सरकार के पर्यावरण जल, जंगल और आपदा प्रबंधन से जुड़ी तमाम एजेंसियां भी शामिल होंगी. इस बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से बचने के रास्तों पर मंथन होगा. बारिश, भूस्खलन या भूकंप के झटकों से कैसे जल्द से जल्द बचा जा सके, इस पर भी चर्चा की जाएगी. उत्तराखंड सरकार ने भी इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली है. बैठक में किन-किन बिंदुओं पर चर्चा होगी, यह तो बाद की बात है लेकिन इस वक्त देशभर में सबसे बड़ा मुद्दा उत्तरकाशी टनल हादसा है. जिसमें 7 राज्यों के 40 मजदूर 6 दिनों से फंसे हुए हैं. भारत सरकार की भी इस उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर है. देश दुनिया के वैज्ञानिक भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

Natural disaster in Uttarakhand
उत्तराखंड में आपदा

पढे़ं- दिल्ली से एयरलिफ्ट कर लाई गई हैवी ऑगर ड्रिल मशीन, सिलक्यारा के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर

आपदा प्रबंधन तंत्र मजबूत करने की जरूरत: पहाड़ों में सालों से रिपोर्टिंग कर रहे वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि सिल्कयारा में जो कुछ भी हो रहा है वह उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ा सबक है. हमने साल 2013 की आपदा और चमोली त्रासदी को देखा. सवाल यह उठता है कि हमने इन आपदाओं से क्या सीखा ? चमोली रैणी आपदा में टनल में फंसे लोगों को भी कई दिनों तक नहीं निकाला जा सका. वहां से डेड बॉडीज को भी सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जा सका.

Natural disaster in Uttarakhand
चमोली एनटीपीसी टनल

अब सिलक्यारा टनल में 40 मजदूर पिछले 6 दिनों से फंसे हैं. इसके बाद भी उन्हें रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. यह पहाड़ों पर आपदा प्रबंधन तंत्र की हकीकत को बयां करता है. उन्होंने कहा राज्य सरकार भले ही कितने दावे कर ले, मगर हकीकत यही है कि हम अभी आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं. हमें आज भी दिल्ली और देश-विदेश के सहारे इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन करने पड़ते हैं.

Natural disaster in Uttarakhand
केदारनाथ आपदा

पढे़ं- उत्तरकाशी टनल हादसा: अमेरिकन ऑगर पर टिकी ऑपरेशन 'जिंदगी' की उम्मीदें, जानिए क्या है खासियत

कहीं फंसी मशीन ना बने बाधा: वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने कहा कि उत्तरकाशी टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन में एक मशीन पहले ही मलबे में दबी है. अब मलबे में दबी ये मशीन हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में बड़ी बाधा न बने. उन्होंने कहा टनल में ड्रिलिंग का काम चल रहा है, लेकिन बीच-बीच में ड्रिलिंग मशीन इसलिए रुक जा रही है क्योंकि वह किसी ठोस चीज से टकराकर आगे नहीं बढ़ पा रही है. ऐसे में राहत और बचाव कार्य में लगे एक्सपर्ट यही बता रहे हैं कि हो सकता है कि कोई मशीन इस मलबे के नीचे दबी हो, वह ड्रिलिंग मशीन के बीच में आ रही है. जिसके कारण देरी हो रही है.

Natural disaster in Uttarakhand
उत्तरकाशी टनल हादसा

पढे़ं- Uttarkashi Tunnel Collapse: हैवी ऑगर मशीन से डाले गए पांच पाइप, अभी रेस्क्यू में लग सकता है समय

अधिकारी बोले हमें धैर्य रखने की जरूरत: उत्तराखंड सरकार के साथ ही घटनास्थल पर मौजूद सभी अधिकारी इस समय टनल में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों से धैर्य बनाये रखने की अपील कर रहे हैं. उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा हमें इस वक्त संयम और विश्वास के साथ-साथ भरोसे की जरूरत है. सरकार, राहत टीमें बचाव कार्य में लगी हैं. सभी जल्द से जल्द फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश में लगे हैं.

Last Updated : Nov 17, 2023, 10:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.