नई दिल्ली: यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियान (Russian military operation in Ukraine) पर वैश्विक उथल-पुथल के बीच, फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने की कोशिशें जारी हैं. इस बीच दक्षिण एशियाई पड़ोसी भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास की गहरी खाई, भरती नजर नहीं आ रही है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि भारत ने पाकिस्तान से उसके एयर स्पेस का उपयोग करने की अनुमति नहीं मांगी.
बीते मंगलवार की रात जब साउथ ब्लॉक में सरकार के उच्चतम स्तर पर विचार-विमर्श हुआ कि क्या ऑपरेशन गंगा के हिस्से के रूप में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के विमान ग्लोबमास्टर C-17 परिवहन विमान को पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरने के लिए पाकिस्तान की अनुमति मांगी जाए? हालांकि यूक्रेन से एयरलिफ्ट मिशन के लिए अंततः यह तय किया गया कि पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से टाला जाएगा.
IAF के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ETV भारत को बताया कि भारत से यूक्रेन के लिए सबसे छोटा उड़ान मार्ग पाकिस्तान के ऊपर होगा. इससे यात्रा का समय करीब 20 मिनट कम हो जाएगा. लेकिन तब पाकिस्तान के चारों ओर चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. हालांकि हम यह भी नहीं जानते कि पाकिस्तान हमें अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देने के बदले में क्या मांग सकता है.
ऑपरेशन गंगा के तहत उड़ान
वर्तमान में भारत से यूक्रेन के लिए एक विमान को उड़ान पूरी करने में करीब 8 घंटे का समय लगता है. ऑपरेशन गंगा यूक्रेन से लगभग 20000 भारतीय नागरिकों के निकासी प्रयास को दिया गया नाम है, जिनमें से कई को तब से सुरक्षित वापस लाया जा चुका है. युद्धग्रस्त देश में फंसे भारतीयों को लाने के लिए सुबह तीन C-17 विमान यूक्रेन के रास्ते रवाना हुए और प्रत्येक विमान में लगभग 200 यात्री सवार थे, जिनमें अधिकतर छात्र शामिल थे. वहीं चार भारतीय मंत्री, हरदीप सिंह पुरी, मंत्री किरेन रिजिजू, मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनरल वीके सिंह, क्रमशः हंगरी, स्लोवाकिया, रोमानिया और पोलैंड-मोल्दोवा में रेस्क्यू प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं.
दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप
अतीत की अशांत विरासत के बोझ से दबे भारत ने पाकिस्तान पर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. जबकि पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा है. हालांकि उग्रवाद से त्रस्त घाटी में पाकिस्तानी हाथ होने के सबूत मौजूद हैं. नया सिरदर्द अफगानिस्तान संकट का नतीजा है. जिसमें काबुल में कट्टरपंथी तालिबान की सत्ता काबिज हो गई है. भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान, पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के खुले और गुप्त समर्थन से पाकिस्तान से भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ की प्रबल संभावना से चिंतित हैं.
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गर्मियों में घुसपैठ की संभावना
अफगानिस्तान से पाकिस्तान और फिर भारत में आतंकवाद के संभावित फैलाव के मुद्दे से निपटने वाले एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने ETV भारत को बताया कि इस तरह के किसी भी स्पिलओवर का प्रभाव गर्मियों में जाना जाएगा. आतंकवादी पाकिस्तान से भारत के कश्मीर में घुसपैठ गर्मियों में ही ज्यादा करते हैं, क्योंकि भारी बर्फ सर्दियों के दौरान उच्च दर्रे सहित घुसपैठ के मार्गों को ढंक लेती है.