देहरादून: भारत का विदेश मंत्रालय अब उत्तराखंड और नेपाल की सीमा पर दो नए मोटर पुल बनवाने जा रहा है. इन पुलों के बनने से भारत और नेपाल के बीच ना केवल व्यापारिक संबंधों में सुधार आएगा, बल्कि दोनों देशों के रिश्ते और भी अधिक मजबूत होंगे. इस संबंध में उत्तराखंड मुख्य सचिव को भारत सरकार ने पत्र लिखकर पुलों को बनाने की मंजूरी दे दी है.
आदि कैलाश से चीन की दूरी मात्र 20 किलोमीटर: उत्तराखंड से नेपाल की सीमा लगी हुई है. बीते दिनों पीएम मोदी नेपाल, भारत और चीन सीमा के नजदीक आए थे. पीएम मोदी जिस जगह से आदि कैलाश के दर्शन कर रहे थे, वहां से चीन की दूरी मात्र 20 किलोमीटर थी, जबकि नेपाल सीमा की दूरी लगभग 40 किलोमीटर थी. भारत और नेपाल को लेकर भले ही लोग कुछ भी कहें, लेकिन उत्तराखंड के रास्ते से आज भी दोनों देशों के लोग व्यापारिक और सांस्कृतिक कार्यों से आना-जाना करते हैं.
झूलाघाट और सिर्खा में बनेंगे पुल: दोनों देशों के बीच आवाजाही के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में धारचूला और झूलाघाट में झूला पुल हैं. वहीं, चंपावत के टनकपुर बनबसा से होते हुए नेपाल के महेंद्रनगर को जोड़ने वाला मोटर पुल बना है. इस मोटर पुल से ही वाहनों की आवाजाही हो सकती है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने जिन दो मोटर पुलों को बनाने की मंजूरी दी है, उसमें से एक पुल पिथौरागढ़ के झूलाघाट और दूसरा पुल सिर्खा में बनेगा. इस पुल को बनाने में जितना भी खर्च आएगा, उसका पैसा विदेश मंत्रालय उत्तराखंड सरकार को देगा. उत्तराखंड सरकार जल्द ही एक डीपीआर तैयार करवाने जा रही है.
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भारत नेपाल के संबंध होंगे मजबूत: पीडब्लूडी सचिव पंकज पांडेय ने बताया कि इस संबंध में उच्च अधिकारियों को पत्राचार किया गया है. इन पुलों के बनाने का रास्ता पहले भी साफ हो गया था, जब नेपाल के पीएम भारत आए थे और पीएम मोदी से इस विषय में चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इन पुलों के बनने से दोनों देशों को व्यापारिक रूप से काफी फायदा होगा. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जैसे जिलों में नेपाल के लोगों का आवागमन लगा रहता है.
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