नई दिल्ली: पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने प्रत्येक पर्वतीय क्षेत्र की सटीक वहन क्षमता का निर्धारण करते समय हिल-स्टेशन-विशिष्ट तथ्यात्मक पहलुओं की पहचान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक संक्षिप्त हलफनामे में मंत्रालय ने कहा कि उसने पहले 30 जनवरी, 2020 के पत्र में सभी 13 हिमालयी राज्यों में शहरों और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों सहित हिल स्टेशनों की वहन क्षमता का आकलन करने के लिए दिशानिर्देश प्रसारित किए थे.
इसके बाद 19 मई 2023 के पत्र के साथ राज्यों से अनुरोध किया गया है कि यदि ऐसा अध्ययन नहीं किया गया है तो राज्य कृपया कार्य योजना प्रस्तुत कर सकते हैं ताकि वहन क्षमता को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके. मंत्रालय ने कहा: 'प्रतिवादी मंत्रालय द्वारा उठाए गए उपरोक्त कदमों के संदर्भ में जहां क्षेत्र में विशेषज्ञों द्वारा व्यापक अध्ययन किया गया. प्रत्येक हिल-स्टेशन के तथ्यात्मक पहलुओं को कई विषयों में स्थानीय अधिकारियों की मदद पहचाना गया और जानकारी एकत्र की गई.
मंत्रालय ने प्रत्येक हिल स्टेशन की सटीक वहन क्षमता का आकलन करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में विस्तार से बताया. मंत्रालय ने कहा, 'सभी 13 हिमालयी राज्यों को जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार वहन क्षमता मूल्यांकन करने के लिए कदम उठाने के लिए समयबद्ध तरीके से की गई कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वारा जवाब यह जवाब दिया गया.
मंत्रालय ने सुझाव दिया कि इन कदमों में सभी 13 हिमालयी राज्यों को समयबद्ध तरीके से एक समिति के गठन का निर्देश भी शामिल है. इसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे. इसमें बहु-विषयक कार्य करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा उचित समझे जाने वाले सदस्यों को शामिल किया जाएगा. जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों के अनुसार अध्ययन, जिसे दिनांक 30.01.2020 के पत्र के माध्यम से सभी 13 हिमालयी राज्यों को प्रसारित किया गया था और 19.05.2023 को अनुस्मारक भेजा गया था. इसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए भी भेजा गया था.
मंत्रालय ने कहा कि क्षमता अध्ययन करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में संस्थान के अनुभव को देखते हुए, यह सुझाव दिया गया है कि 13 हिमालयी राज्यों द्वारा तैयार किए गए अध्ययनों की जांच जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक की अध्यक्षता वाली एक तकनीकी समिति द्वारा की जा सकती है. मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया कि सदस्य विभिन्न विभागों से होने चाहिए.
मंत्रालय की प्रतिक्रिया में कहा गया, 'गठित समिति को समयबद्ध तरीके से निष्पादन और कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्यों को संपूर्ण सुझावों के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दें, जिसकी समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए. मंत्रालय की प्रतिक्रिया ग्रेटर नोएडा स्थित अशोक कुमार राघव द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आई.
उन्होंने तर्क दिया कि पर्यटकों के भारी प्रवाह के बावजूद, पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों में स्थित हिल स्टेशनों के पास नियोजित विकास सुनिश्चित करने के लिए कोई मास्टर प्लान, क्षेत्र विकास या क्षेत्रीय योजना नहीं है. हाल ही में भारी मानसूनी बारिश ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तबाही मचाई. इसके परिणामस्वरूप भूस्खलन, सड़कों के क्षतिग्रस्त होने और इमारतों के ढहने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई.