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Namami Gange Project: पानी की गुणवत्ता में सुधार, प्रचार पर खर्च किए 126 करोड़

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सोमवार को संसद में 2015 से अब तक गंगा में प्रदूषण के स्तर में सुधार पर सवाल पूछा था. जल शक्ति मंत्रालय के राज्य मंत्री विशेश्वर टुडू (Minister of State Visheshwar Tudu) ने बताया कि नमामि गंगे योजना के विभिन्न घटक के तहत बिहार में 6433 करोड़ की लागत से 58 परियोजनाओं का चयन किया गया है. इनमें से 19 योजनाएं पूरी हो गई हैं और बिहार को 2663.53 करोड़ दिया जा चुका है.

Namami Gange
नमामि गंगे
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Published : Feb 8, 2022, 9:50 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न पर केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं में 648 मिलियन लीटर प्रतिदिन सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता तथा 1754 किलोमीटर सीवर नेटवर्क लिया गया है जो 2015 के पूर्व से 10 गुना ज्यादा है. नमामि गंगे योजना प्रारंभ के पूर्व गंगा किनारे के शहर पटना (109 एमएलडी) भागलपुर (11एमएलडी) बक्सर (2 एमएलडी) तथा छपरा (2 एमएलडी) में कुल 122 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट स्थापित थे.

इनकी वास्तविक क्षमता मात्र 60 एमएलडी थी. जबकि गंगा किनारे के शहर 455 एमएलडी सीवेज उत्सर्जित करते हैं. गंगा किनारे के शहरों में 618 एमएलडी क्षमता के सीवेज प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं जिसमें 150 एमएलडी क्षमता के प्लांट स्थापित किये जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त सोन और कोसी नदियों के किनारे के शहरों में भी 30 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं.

2021 के सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी में पाई गई पानी की गुणवत्ता इंगित करती है कि घुलित ऑक्सीजन जो नदी के स्वास्थ्य का एक संकेतक है, अधिसूचित प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता मानदंड की स्वीकार्य सीमा के भीतर पाया गया है और इसका समर्थन करने के लिए संतोषजनक है. सीपीसीबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 की तुलना में 97 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार हुआ है.

वहीं परियोजना के प्रचार पर खर्च किए गए 126 करोड़ रुपये पिछले 6 वर्षों में पानी की गुणवत्ता में सुधार के अलावा विपक्षी नेता का ध्यान किस ओर आकर्षित हुआ है कि परियोजना के प्रचार पर 126 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. हालांकि मंत्रालय ने संसद में इस सवाल के जवाब में इसे संचार और सार्वजनिक आउटरीच शीर्ष के तहत धन के व्यय के रूप में उल्लेख किया है जिसमें मीडिया और प्रचार शामिल हैं.

यह भी पढ़ें- 'बजट में 'गरीब' शब्द केवल दो बार, साल में 12 लाख को रोजगार, तो बाकी क्या पकौड़े तलेंगे'

गंगा में फेंके शवों पर कोई डाटा नहीं

गंगा में फेंके गए कोविड-19 से संबंधित शवों की संख्या पर सवाल के जवाब मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है. सोशल मीडिया पर मंत्रालय के जवाब को साझा करते हुए तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस मुद्दे पर जानकारी नहीं होने के लिए सरकार पर कटाक्ष किया. कहा कि नमामि गंगे पर संसद में मेरे अतारांकित प्रश्न पर सरकार अनजान है. गंगा में फेंके गए शवों की संख्या या गंगा को साफ करने की समय सीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं लेकिन प्रचार पर खर्च ₹ 126 करोड़ है. उन्होंने अपने बयान में कहा और यह भी ट्विटर पर पोस्ट किया गया.

नई दिल्ली : राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न पर केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं में 648 मिलियन लीटर प्रतिदिन सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता तथा 1754 किलोमीटर सीवर नेटवर्क लिया गया है जो 2015 के पूर्व से 10 गुना ज्यादा है. नमामि गंगे योजना प्रारंभ के पूर्व गंगा किनारे के शहर पटना (109 एमएलडी) भागलपुर (11एमएलडी) बक्सर (2 एमएलडी) तथा छपरा (2 एमएलडी) में कुल 122 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट स्थापित थे.

इनकी वास्तविक क्षमता मात्र 60 एमएलडी थी. जबकि गंगा किनारे के शहर 455 एमएलडी सीवेज उत्सर्जित करते हैं. गंगा किनारे के शहरों में 618 एमएलडी क्षमता के सीवेज प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं जिसमें 150 एमएलडी क्षमता के प्लांट स्थापित किये जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त सोन और कोसी नदियों के किनारे के शहरों में भी 30 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं.

2021 के सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी में पाई गई पानी की गुणवत्ता इंगित करती है कि घुलित ऑक्सीजन जो नदी के स्वास्थ्य का एक संकेतक है, अधिसूचित प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता मानदंड की स्वीकार्य सीमा के भीतर पाया गया है और इसका समर्थन करने के लिए संतोषजनक है. सीपीसीबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 की तुलना में 97 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार हुआ है.

वहीं परियोजना के प्रचार पर खर्च किए गए 126 करोड़ रुपये पिछले 6 वर्षों में पानी की गुणवत्ता में सुधार के अलावा विपक्षी नेता का ध्यान किस ओर आकर्षित हुआ है कि परियोजना के प्रचार पर 126 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. हालांकि मंत्रालय ने संसद में इस सवाल के जवाब में इसे संचार और सार्वजनिक आउटरीच शीर्ष के तहत धन के व्यय के रूप में उल्लेख किया है जिसमें मीडिया और प्रचार शामिल हैं.

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गंगा में फेंके शवों पर कोई डाटा नहीं

गंगा में फेंके गए कोविड-19 से संबंधित शवों की संख्या पर सवाल के जवाब मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है. सोशल मीडिया पर मंत्रालय के जवाब को साझा करते हुए तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस मुद्दे पर जानकारी नहीं होने के लिए सरकार पर कटाक्ष किया. कहा कि नमामि गंगे पर संसद में मेरे अतारांकित प्रश्न पर सरकार अनजान है. गंगा में फेंके गए शवों की संख्या या गंगा को साफ करने की समय सीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं लेकिन प्रचार पर खर्च ₹ 126 करोड़ है. उन्होंने अपने बयान में कहा और यह भी ट्विटर पर पोस्ट किया गया.

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