छिदंवाड़ा : धर्म के नाम पर समाज को बांटने वालों के लिए जिले में रहने वाली 12 साल की मुस्लिम लड़की मुशर्रिफ खान ने मिशाल पेश की है. मुशर्रिफ ने श्रीमद्भागवत के 500 श्लोक अर्थ सहित कंठस्थ याद किए हैं.
कर्म करना सिखाती है गीता इसलिए किया पाठ
छिंदवाड़ा के निजी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 12 साल की मुस्लिम लड़की मुशर्रिफ खान का कहना है कि गीता कर्म करना सिखाती है, इसलिए उन्होंने गीता पढ़ना शुरू किया. उन्होंने बताया कि जब महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन कौरवों की सेना से युद्ध लड़ने जा रहे थे, तो उन्हें लगा कि वे अपने ही परिवार वालों से लड़ रहे हैं और उन्हें वह कैसे मार सकेंगे. इस पर गीता के दूसरे अध्याय के 38वें श्लोक में श्रीकृष्ण बताते हैं कि जब आप कर्म करने जा रहे हैं, तो फल की इच्छा नहीं करना चाहिए. क्या अच्छा होगा और क्या बुरा होगा यह आपके लिए कर्म ही प्रधान होना चाहिए.
इंसानियत को दी प्राथमिकता
मुशर्रिफ खान की मां कहती हैं कि मुस्लिम उनका धर्म है और उसका पालन वह कुरान के हिसाब से पूरी तरह से करती हैं, लेकिन घर के भीतर तक ही वे अपने धर्म को सीमित रखते हैं. घर के बाहर निकलने के बाद वे सिर्फ एक इंसान होती हैं और इंसानियत ही उनका सबसे बड़ा धर्म है. उनके लिए जितना कुरान अहमियत रखती है, उतनी श्रीमद्भागवत भी. इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी यही संस्कार दिए हैं.
चुनौती स्वीकार कर मेमोरी रिटेंशन के जरिए किया याद
मुशर्रिफ खान ने कुछ अलग करने की चाहत में श्रीमद्भागवत और संस्कृत पढ़ने की चुनौती स्वीकार की और फिर छिंदवाड़ा की एक शिक्षिका रोहिणी मेनन के पास मेमोरी रिटेंशन कोर्स ज्वाइन किया, जिसमें शब्दों को चित्रों में बदलने की प्रक्रिया के जरिए आसानी से 500 श्लोक अर्थ सहित याद कर लिए जिन्हें वे बेधड़क सुनाती हैं.
अर्जुन की तरह लक्ष्य पर ध्यान हो, तो मंजिल होती है आसान
मुस्लिम छात्रा के माता-पिता कहते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी के लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम शुरू किया है. गीता में भी यही सिखाया जाता है कि लक्ष्य पर ध्यान हो, तो मंजिल मिल जाती है. अगर बच्चे अच्छा काम रहे हैं, तो उनका सपोर्ट करना चाहिए. उन्होंने भी अपनी बेटी की इच्छा पूरी करते हुए उसे गीता पढ़ने में कोई गुरेज नहीं किया और जल्द ही वह पूरी गीता कंठस्थ याद कर लेगी.