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बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के 113 सामाजिक संगठनों ने बनाया संयुक्त युवा मोर्चा, 15 जुलाई को दिल्ली में होगा महाधिवेशन - National youth movement news today

बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के 113 सामाजिक संगठनों ने संयुक्त युवा मोर्चा बनाया है. जिसका महाधिवेशन 15 जुलाई को दिल्ली में होने जा रहा है. जिसमें केंद्र सरकार की रोजगार नीतियों और वादा खिलाफी के विरोध में एक बड़े आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी.

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Published : Jul 12, 2023, 10:18 AM IST

Updated : Jul 12, 2023, 11:23 AM IST

113 सामाजिक संगठनों ने बनाया संयुक्त युवा मोर्चा

जयपुर. केंद्र सरकार की रोजगार नीतियों और वादा खिलाफी के विरोध में एक बार फिर देश मे बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है. बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के 113 सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. इन सबने मिलकर एक युवा संयुक्त मोर्चा बनाया है जो देश मे बढ़ती बेरोजगारी और केंद्र सरकार की रोजगार संबंधी वादा खिलाफी के विरोध में देश भर में आंदोलन खड़ा करेगा. मोर्चा के संयोजक अनुपम ने बताया कि देश में आज सबसे बड़ी चुनौती रोजगार है. बीजेपी ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि हर साल देश भर में 2 करोड़ नौकरी देंगे. उस लिहाज से 9 साल में 18 करोड़ नौकरी मिलनी चाहिए, जबकि हुआ ये की केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते लोगों की नौकरियां चली गई.

113 सामाजिक संगठन एक मंच पर : अनुपम ने बताया कि केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर के 113 सामाजिक संगठन मिलकर देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर देशव्यापी आंदोलन करने जा रहे हैं. इसके लिए देशभर के 113 संगठनों ने मिलकर के एक संयुक्त युवा मोर्चा बनाया है. संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बेरोजगारी के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया है. बेरोजगारी अब राष्ट्रीय आपदा का रूप ले चुकी है. आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन बेरोजगारी पर होने वाला है. आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने और बेरोजगारी जैसे राष्ट्रीय आपदा वाले मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आगामी शनिवार 15 जुलाई को राजधानी दिल्ली में संयुक्त युवा मोर्चा का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है.

2 करोड़ रोजगार का वादा किया था : अनुपम ने देश में बढ़ रही बेरोजगारी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जब सरकार आई थी तो उन्होंने 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. आज स्थिति पहले से भी बदतर हो चुकी है. रोजगार मिलना तो दूर चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बन रही पॉलिसी के चलते युवाओं को रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार का वायदा करती रहती है और रोजगार मेला जैसे आडम्बरपूर्ण इवेंट आयोजित करती है, परंतु सच्चाई यह है कि सरकारी नौकरियां लगातार खत्म की जा रही हैं. पिछले कुछ सालों में लाखों लोगों की नौकरियाँ चली गई है. अनुपम ने कहा कि प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा करते हैं पर कभी पेपर लीक पर चर्चा नहीं करते, लेकिन रोजगार को लेकर किये गए वायदे का क्या हुआ उस पर चर्चा नहीं करते हैं. आज देशभर के युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के कारण हताशा का माहौल है और इस निराशा को उम्मीद में बदलने के लिए ही संयुक्त युवा मोर्चा की शुरुआत हुई है.

पढ़ें युवा बेरोजगारों का महासम्मेलन, युवाओं ने दिखाया वोटों का डर तो मंत्री ने कर दी ये बड़ी घोषणा

"भ-रो-सा" चाहिए : अनुपम ने कहा की 45 साल का बेरोजगारी का रिकॉर्ड टूट गया है. विडंबना है कि जो सरकार 8 साल में महज 7.22 लाख नौकरियां दे सकी, वह अब अगले 1 साल में 10 लाख सरकारी नौकरियों का वायदा कर रही है. ऐसे वायदे अतीत में भी जुमले से अधिक नहीं साबित हुए. इस गहराते अंधेरे से निकलने का रास्ता है उम्मीद, हमारे देश के युवाओं को सरकार से यह 'भ-रो-सा" चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा. यह "भ-रो-सा" है 'भारत रोजगार संहिता', जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा. अनुपम ने कहा कि "भ-रो-सा" में चार बिंदु हैं, पहला भारत के हर नागरिक को न्यूनतम आय के साथ रोजगार मिले वो भी उसके निवास स्थान के 50 किलोमीटर के दायरे में. कोई बड़ी नौकरी के लिए शहर और राज्य से बाहर जाए तो लेकिन मजबूर को मजदूरी के लिए घर परिवार छोड़ कर शहर या राज्य से बाहर जाना नहीं पड़े. दूसरा देश मे जितनी भी सरकारी नोकरियों में पोस्ट वेकेंट है उसे निर्धारित समय पर निष्पक्षता के साथ भरा जाए. तीसरा स्थाई प्रकृति के कामों को ठेके पर नहीं दिया जाए, चौथा ' मोड़ानिकरण ' यानी घाटे के राष्ट्रीयकरण और मुनाफे के निजीकरण की नीति पर रोक लगाई जाए.

113 सामाजिक संगठनों ने बनाया संयुक्त युवा मोर्चा

जयपुर. केंद्र सरकार की रोजगार नीतियों और वादा खिलाफी के विरोध में एक बार फिर देश मे बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है. बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के 113 सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. इन सबने मिलकर एक युवा संयुक्त मोर्चा बनाया है जो देश मे बढ़ती बेरोजगारी और केंद्र सरकार की रोजगार संबंधी वादा खिलाफी के विरोध में देश भर में आंदोलन खड़ा करेगा. मोर्चा के संयोजक अनुपम ने बताया कि देश में आज सबसे बड़ी चुनौती रोजगार है. बीजेपी ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि हर साल देश भर में 2 करोड़ नौकरी देंगे. उस लिहाज से 9 साल में 18 करोड़ नौकरी मिलनी चाहिए, जबकि हुआ ये की केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते लोगों की नौकरियां चली गई.

113 सामाजिक संगठन एक मंच पर : अनुपम ने बताया कि केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर के 113 सामाजिक संगठन मिलकर देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर देशव्यापी आंदोलन करने जा रहे हैं. इसके लिए देशभर के 113 संगठनों ने मिलकर के एक संयुक्त युवा मोर्चा बनाया है. संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बेरोजगारी के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया है. बेरोजगारी अब राष्ट्रीय आपदा का रूप ले चुकी है. आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन बेरोजगारी पर होने वाला है. आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने और बेरोजगारी जैसे राष्ट्रीय आपदा वाले मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आगामी शनिवार 15 जुलाई को राजधानी दिल्ली में संयुक्त युवा मोर्चा का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है.

2 करोड़ रोजगार का वादा किया था : अनुपम ने देश में बढ़ रही बेरोजगारी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि जब सरकार आई थी तो उन्होंने 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. आज स्थिति पहले से भी बदतर हो चुकी है. रोजगार मिलना तो दूर चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बन रही पॉलिसी के चलते युवाओं को रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार का वायदा करती रहती है और रोजगार मेला जैसे आडम्बरपूर्ण इवेंट आयोजित करती है, परंतु सच्चाई यह है कि सरकारी नौकरियां लगातार खत्म की जा रही हैं. पिछले कुछ सालों में लाखों लोगों की नौकरियाँ चली गई है. अनुपम ने कहा कि प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा करते हैं पर कभी पेपर लीक पर चर्चा नहीं करते, लेकिन रोजगार को लेकर किये गए वायदे का क्या हुआ उस पर चर्चा नहीं करते हैं. आज देशभर के युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के कारण हताशा का माहौल है और इस निराशा को उम्मीद में बदलने के लिए ही संयुक्त युवा मोर्चा की शुरुआत हुई है.

पढ़ें युवा बेरोजगारों का महासम्मेलन, युवाओं ने दिखाया वोटों का डर तो मंत्री ने कर दी ये बड़ी घोषणा

"भ-रो-सा" चाहिए : अनुपम ने कहा की 45 साल का बेरोजगारी का रिकॉर्ड टूट गया है. विडंबना है कि जो सरकार 8 साल में महज 7.22 लाख नौकरियां दे सकी, वह अब अगले 1 साल में 10 लाख सरकारी नौकरियों का वायदा कर रही है. ऐसे वायदे अतीत में भी जुमले से अधिक नहीं साबित हुए. इस गहराते अंधेरे से निकलने का रास्ता है उम्मीद, हमारे देश के युवाओं को सरकार से यह 'भ-रो-सा" चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा. यह "भ-रो-सा" है 'भारत रोजगार संहिता', जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा. अनुपम ने कहा कि "भ-रो-सा" में चार बिंदु हैं, पहला भारत के हर नागरिक को न्यूनतम आय के साथ रोजगार मिले वो भी उसके निवास स्थान के 50 किलोमीटर के दायरे में. कोई बड़ी नौकरी के लिए शहर और राज्य से बाहर जाए तो लेकिन मजबूर को मजदूरी के लिए घर परिवार छोड़ कर शहर या राज्य से बाहर जाना नहीं पड़े. दूसरा देश मे जितनी भी सरकारी नोकरियों में पोस्ट वेकेंट है उसे निर्धारित समय पर निष्पक्षता के साथ भरा जाए. तीसरा स्थाई प्रकृति के कामों को ठेके पर नहीं दिया जाए, चौथा ' मोड़ानिकरण ' यानी घाटे के राष्ट्रीयकरण और मुनाफे के निजीकरण की नीति पर रोक लगाई जाए.

Last Updated : Jul 12, 2023, 11:23 AM IST
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