रायपुर : बिलासपुर में स्थित रतनपुर में तंबोली परिवार की तमाम बहुओं ने अपनी सास के देहांत के बाद उनकी यादों को संजोए रखने के लिए मंदिर बनवाया है. वे रोज उनकी पूजा करतीं हैं और पूरे मनोभाव से आरती उतारती हैं. बहुओं ने अपनी सास का मंदिर 2010 में बनवाया.
बहुएं माह में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन करतीं हैं. सास-बहुओं के बीच ऐसा प्रेम समाज के लिए नजीर बन गया है. बहुओं ने सास की मूर्ति को सोने के गहनों से श्रृंगार किया है.
रतनपुर में रिटायर्ड शिक्षक शिवप्रसाद तंबोली का परिवार 39 सदस्यों वाला संयुक्त परिवार है. उनकी 11 बहुएं हैं. बहुओं की सास गीता देवी का 2010 में स्वर्गवास हो गया. गीता देवी जब तक जीवित रहीं तब तक अपने बहुओं से अगाध प्रेम करती थीं. उन्हें अपनी बेटियों की तरह स्नेह दिया करती थीं. बहुओं को अपनी सास से भी उतना ही लगाव है. बहुओं की मानें, तो उनकी स्वर्गवासी सास को भी ये संस्कार अपनी सास से मिले थे.
गीता देवी के पति शिव प्रसाद कहते हैं कि गीता के अच्छे संस्कार और धार्मिक सदाचार ने ही आज तक परिवार को जोड़कर रखा है.
तंबोली परिवार को स्वर्गीय गीता तंबोली को खोने का गम आज भी सता रहा है. परिवार के सदस्यों का मानना है कि गीता देवी के प्रयासों से ही परिवार में सुख, समृद्धि और एकता है. इस परिवार में कभी झगड़ा नहीं हुआ. हर काम सलाह से करते हैं.
रतनपुर की यह बहुएं अपने आप में एक नजीर पेश कर रही हैं, जिनके लिए उनकी सास किसी देवी से कम नहीं है.