Gariyaband: वनवासियों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है तेंदूपत्ता

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गरियाबंद : वनवासियों का हरा सोना यानी तेंदूपत्ता की बहार इन दिनों जंगलों में देखने को मिल रही है. वनवासी भी इसका पूरा फायदा उठाने में जुटे हैं. तेंदूपत्ता संग्राहकों को शासन कई प्रकार की शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करती है. यही कारण है कि इसका संग्रह करने वाले इसमें खासी रुचि दिखाते हैं. सुबह 4:00 बजे उठकर जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़कर इकट्ठा करने के बाद शाम को घर लाकर बेचने तक के काम में ग्रामीण जुटे हैं. डेढ़ महीने तक चलने वाले तेंदूपत्ता संग्रहण करने वालों को इतनी राशि मिल जाती है. जिससे उनका 6 माह का खर्च चल जाता है. यही कारण है कि तेंदूपत्ता तोड़ने में वनवासी खासा उत्साह दिखाते हैं. प्रदेश भर में गरियाबंद जिले के छोरा रसीला क्षेत्र का तेंदूपत्ता सबसे बेस्ट माना जाता है. जिस के दाम राज्य सरकार को अधिक मिलते हैं. खास बात ये है कि जितनी राशि तेंदूपत्ता का भुगतान में संग्राहकों को मिलता है.उसके तीन महीने बाद उन्हें बोनस भी दिया जाता है. तेंदूपत्ता संग्रहण के दिनों में गांव खाली नजर आते हैं. जंगल में जगह-जगह ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ते नजर आ रहे हैं. 

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