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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस - डॉक्टर्स डे

कोरोना वायरस के कारण देश ही नहीं पूरी दुनिया प्रभावित है. बड़ी संख्या में लोग इस वायरस से संक्रमित हो रहे है और इसके बचाव के लिए चिकित्सक दिन रात मेहनत कर रहे है. उनके इस प्रयास के लिए आभार प्रकट करते हुए हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है.

national doctors day
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस
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Published : Jul 1, 2020, 7:00 AM IST

Updated : Jul 1, 2020, 10:45 AM IST

चीन की देन कोरोना वायरस के कारण न सिर्फ भारत में बल्कि सारी दुनिया में भय और डर फैला हुआ है. लेकिन इस अकथित युद्ध में जो अपना जीवन ताक पर रख कर मानव सेवा में लगे है, वो हैं हमारे चिकित्सक. इन चिकित्सकों के प्रति आज पूरा देश सिर झुकाए खड़ा है. कोरोना वायरस के इन योद्धाओं के लिए आज हर कोई 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' मना रहे हैं, इसलिए इन जीवनदाताओं को हमारा खास नमन.

साल 1991 से लेकर अब तक चिकित्सकों को मानवता के प्रति किए जा रहे उनके कार्यों के लिए धन्यवाद स्वरूप हम हर साल 1 जुलाई को भारत में 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' मनाते है. हमेशा की तरह हम इस साल भी डॉक्टर्स डे मना रहें है, लेकिन एक खास उद्देश्य के साथ. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को एक संकल्प 'मृत्यु दर में कमी- कोरोना वायरस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.

कोरोना के सायें में बीतें पिछले कुछ महीनों में हमने क्या जाना, क्या सबक लिया और भविष्य में हम कैसे खुद को विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार कर सकते है, इस विषय पर हमने कुछ चिकित्सकों से चर्चा की है.

इंदौर शहर में कोरोना मरीजों की सेवा में लगे मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार जैन बताते है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी अंत नहीं है और भविष्य में अतिविकट समय की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. डॉक्टर जैन कहते है कि लॉकडाउन खुलने से संक्रमण के रास्तें भी खुल गए हैं. हालांकि तमाम परेशानियों के बावजूद सभी डॉक्टर्स मुस्तैदी के साथ आपने काम पर लगे हुए है, लेकिन कोरोना एक वायरल बीमारी है, तो कुछ कहां नहीं जा सकता की वो भविष्य में किस रूप में पनपेगा. वायरल संक्रमण अपनी संरचना बदलते रहते हैं और कोरोना वायरल संक्रमण का ही एक प्रकार है. फिलहाल हम एक ऐसे संकट से घिरे हैं, जहां हमारी सुरक्षा सिर्फ हमारे हाथ में है. हमें संयम के साथ चलते हुए नई जीवनशैली को अपनाना होगा, तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे.

बाल चिकित्सक डॉ. सोनाली नवलपुरकर का भी कहना है कि कोरोना एक ऐसी आपदा है, जिससे जल्दी छुटकारा पाना संभव नहीं है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, हमें इन नई परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए रहना सीखना होगा. आपसी मेलजोल को कम करते हुए सभी निर्देशित सुरक्षा मानकों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा. ये समय सिर्फ आम जन के लिए ही नहीं बल्कि डॉक्टर्स के लिए भी बहुत कठिन है. तमाम उपायों के बावजूद भी अधिकांश समय संक्रमित मरीजों के बीच रहने के कारण उन्हें सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा रहता है.

प्रसूतिशास्त्री (Gynecologist) डॉ. मीता का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में कमी के संकल्प को लेकर चिकित्सक जो एक नई लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे है, वो आसान नहीं होगी. समय कठिन है, लेकिन हमें तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आगे बढ़ना होगा.

मनोचिकित्सक डॉ. वीणा कृष्णन इसे आम जन के मानसिक स्वास्थ्य के लिए त्रासदी बताती है. डॉ. कृष्णन बताती है कि लॉकडाउन के कारण लगातार घर में बंद रहने से आर्थिक अनिश्चितता का डर बना रहता है. वहीं कोरोना के डर के कारण लोगों में तनाव, डिप्रेशन और निराशा की भावनाएं बढ़ीं हैं. यही नहीं लॉकडाउन के दौरान नियमित स्वस्थ दिनचर्या का पालन न करने के कारण कई लोगों को शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है. विभिन्न तरह के डिप्रेशन और परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है की नियमित और अनुशासित दिनचर्या का पालन किया जाए. परिवार जन और दोस्त आपस में बात करें और यदि कोई व्यक्ति बहुत परेशान दिखे, तो उसे चिकित्सीय परामर्श दिलाएं.

चीन की देन कोरोना वायरस के कारण न सिर्फ भारत में बल्कि सारी दुनिया में भय और डर फैला हुआ है. लेकिन इस अकथित युद्ध में जो अपना जीवन ताक पर रख कर मानव सेवा में लगे है, वो हैं हमारे चिकित्सक. इन चिकित्सकों के प्रति आज पूरा देश सिर झुकाए खड़ा है. कोरोना वायरस के इन योद्धाओं के लिए आज हर कोई 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' मना रहे हैं, इसलिए इन जीवनदाताओं को हमारा खास नमन.

साल 1991 से लेकर अब तक चिकित्सकों को मानवता के प्रति किए जा रहे उनके कार्यों के लिए धन्यवाद स्वरूप हम हर साल 1 जुलाई को भारत में 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' मनाते है. हमेशा की तरह हम इस साल भी डॉक्टर्स डे मना रहें है, लेकिन एक खास उद्देश्य के साथ. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को एक संकल्प 'मृत्यु दर में कमी- कोरोना वायरस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.

कोरोना के सायें में बीतें पिछले कुछ महीनों में हमने क्या जाना, क्या सबक लिया और भविष्य में हम कैसे खुद को विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार कर सकते है, इस विषय पर हमने कुछ चिकित्सकों से चर्चा की है.

इंदौर शहर में कोरोना मरीजों की सेवा में लगे मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार जैन बताते है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का अभी अंत नहीं है और भविष्य में अतिविकट समय की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. डॉक्टर जैन कहते है कि लॉकडाउन खुलने से संक्रमण के रास्तें भी खुल गए हैं. हालांकि तमाम परेशानियों के बावजूद सभी डॉक्टर्स मुस्तैदी के साथ आपने काम पर लगे हुए है, लेकिन कोरोना एक वायरल बीमारी है, तो कुछ कहां नहीं जा सकता की वो भविष्य में किस रूप में पनपेगा. वायरल संक्रमण अपनी संरचना बदलते रहते हैं और कोरोना वायरल संक्रमण का ही एक प्रकार है. फिलहाल हम एक ऐसे संकट से घिरे हैं, जहां हमारी सुरक्षा सिर्फ हमारे हाथ में है. हमें संयम के साथ चलते हुए नई जीवनशैली को अपनाना होगा, तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे.

बाल चिकित्सक डॉ. सोनाली नवलपुरकर का भी कहना है कि कोरोना एक ऐसी आपदा है, जिससे जल्दी छुटकारा पाना संभव नहीं है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, हमें इन नई परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए रहना सीखना होगा. आपसी मेलजोल को कम करते हुए सभी निर्देशित सुरक्षा मानकों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा. ये समय सिर्फ आम जन के लिए ही नहीं बल्कि डॉक्टर्स के लिए भी बहुत कठिन है. तमाम उपायों के बावजूद भी अधिकांश समय संक्रमित मरीजों के बीच रहने के कारण उन्हें सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा रहता है.

प्रसूतिशास्त्री (Gynecologist) डॉ. मीता का कहना है कि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में कमी के संकल्प को लेकर चिकित्सक जो एक नई लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे है, वो आसान नहीं होगी. समय कठिन है, लेकिन हमें तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आगे बढ़ना होगा.

मनोचिकित्सक डॉ. वीणा कृष्णन इसे आम जन के मानसिक स्वास्थ्य के लिए त्रासदी बताती है. डॉ. कृष्णन बताती है कि लॉकडाउन के कारण लगातार घर में बंद रहने से आर्थिक अनिश्चितता का डर बना रहता है. वहीं कोरोना के डर के कारण लोगों में तनाव, डिप्रेशन और निराशा की भावनाएं बढ़ीं हैं. यही नहीं लॉकडाउन के दौरान नियमित स्वस्थ दिनचर्या का पालन न करने के कारण कई लोगों को शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है. विभिन्न तरह के डिप्रेशन और परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है की नियमित और अनुशासित दिनचर्या का पालन किया जाए. परिवार जन और दोस्त आपस में बात करें और यदि कोई व्यक्ति बहुत परेशान दिखे, तो उसे चिकित्सीय परामर्श दिलाएं.

Last Updated : Jul 1, 2020, 10:45 AM IST
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