सूरजपुर: वन परिक्षेत्र पिल्खा पहाड़ में अब भालुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. पिल्खा पहाड़ से सटे रविन्द्रनगर गांव समेत दर्जन भर गांव में शाम ढलते ही खाने की तलाश में भालू गांव का रुख कर लेते हैं. ग्रामीण और भालुओं का सामना होने से दोनों को ही जान का खतरा बना रहता है. जिले में भालुओं के रिहायशी इलाकों में प्रवेश को रोकने के लिए जामवंत योजना लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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जंगल से ढंके सूरजपुर जिले में भालुओं और हाथियों का होना आम बात है. यहां आए दिन हाथियों और भालुओं के हमले की खबरें आती रहती हैं. पिछले कुछ साल में ग्रामीण और भालुओं के द्वंद्व में दर्जनभर से ज्यादा भालुओं की मौत हो चुकी है. वहीं दर्जनों ग्रामीण घायल भी हुए हैं. भालुओं के रिहायशी इलाकों में लगातार मिल रही मौजदूगी से ग्रामीण भी डर गए हैं और जामवंत योजना को शुरू करने की मांग कर रहे हैं. डीएफओ ने बताया कि जामवंत योजना के लिए शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. अगले एक साल में योजना के शुरू होने की पूरी संभावना जताई जा रही है.
जामवंत योजना
जामवंत योजना के तहत भालुओं का संरक्षण उनके ही इलाके में किया जाता है. इस योजना में वन विभाग भालू के रहने वाली पहाड़ियों का चयन करता है. ऐसी पहाड़ियों पर फलदार पौधे लगाए जाते हैं. भालुओं को पानी मिल सके, इसके लिए तालाब का निर्माण कराया जाता है. इससे भालू अपनी पहाड़ी छोड़कर खाने की तलाश में बाहर नहीं निकलते हैं. जिस उद्देश्य से इस योजना को बनाया गया था, वह पूरी तरह से फेल होती नजर आ रही है.