सूरजपुर: लॉकडाउन के कारण गांवों में किसी भी जरूरतमंदों को भोजन से वंचित न होना पड़े, इसके लिए कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो-दो क्विंटल 'जीवन रक्षक' चावल रखा गया है. इस चावल का उपयोग गांव के गरीब, निराश्रित, घुमंतु लोगों के लिए रखा गया है, जिससे लोगों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था की जा सके, लेकिन सूरजपुर ब्लॉक के कल्याणपुर में उसका उलट नजारा देखने को मिला.
सूरजपुर के कल्याणपुर गांव के लोगों ने सरपंच-सचिव पर अनदेखी करने का आरोप लगाया है. गांव के असल हालात कपड़ा सिलाई करने वाले ग्रामीण ने बताया कि 'लॉकडाउन की वजह से काम धंधा बंद हो गया है, जिसकी वजह से वह सरपंच-सचिव के पास चावल लेने गए थे, लेकिन उनको भला-बुरा कहकर 5 किलो चावल देकर भगा दिया गया.
रोते हुए ETV भारत से बयां किया था दर्द
वहीं गांव के ही झम्मन पांडेय, जिनकी आर्थिक स्तिथि बेहद दयनीय है, उनके बुढ़े पिता, जो बीमार हैं, वह बताते हुए रो पड़े कि किस तरह सरपंच-सचिव ने उनकी परेशानी नहीं सुनी और उन्हें 'जीवन रक्षक' चावल देने से मना कर दिया. झम्मन पांडेय ने बताया कि अब भगवान है, जो उनकी रक्षा करेगे.
CEO ने भिजवाया घर पर चावल
मामले को लेकर ETV भारत की टीम ने जिला पंचायत CEO अश्विनी देवांगन से बातचीत की, जिसपर CEO ने तत्काल एक्शन लेते हुए सचिव नितेश सिंह को फटकार लगायी. साथ ही झम्मन पांडेय के घर राशन भिजवाया. वहीं सचिव का कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है. हम लोगों ने 8 लोगों में 68 किलो 'जीवन रक्षक' चावल दिया है.
बहरहाल, देश में जिस तरह लॉकडाउन की स्थिति है, वहीं सूरजपुर जिले के इन ग्रामीणों को ETV भारत की पहल के बाद 2 जून की रोटी नसीब हो पाई.