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सूरजपुर: आदिवासियों ने मनाया करमा पर्व, कोरोना संकट से मुक्ति दिलाने भगवान से की प्रार्थना - छत्तीसगढ़ के त्योहार

सूरजपुर में आदिवासी समाज के लोगों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए करमा पर्व मनाया. लोगों ने पूरी आस्था से देश और प्रदेश को कोराना वायरस से निजात दिलाने की प्रार्थना की.

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आदिवासियों ने मनाया करमा का पर्व
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Published : Sep 1, 2020, 11:22 AM IST

सूरजपुर: आदिवासी समाज के लोगों ने सोमवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए करमा पर्व मनाया. इस बार ग्रामीणों ने करमा देवता से देश और प्रदेश को कोरोना वायरस से निजात दिलाने की प्रार्थना की. ग्रामीणों का मानना है कि अगर सच्चे मन से करमा भगवान की पूजा की जाती है, तो भगवान सभी की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.

आदिवासियों ने मनाया करमा का पर्व

इस दौरान कर्मा के पेड़ की पूजा की जाती है और लोग खेत खलिहान में अच्छी फसल की कामना करते हैं. इसके अलावा महिलाएं उपवास रखकर अपने भाइयों के अच्छे स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य की भी कामना करती हैं.

ढोल-नगाड़ों के साथ होती है पूजा

पूजा के विधि-विधानों में करमा पेड़ का बड़ा महत्व है. ढोल, नगाड़े और मांदर की थाप के बीच करमा पेड़ से डाली काटकर लगाई जाती है. साथ ही अखाड़े में पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है. इस दिन आदिवासी करमा देवता की कहानियां सुनते हैं और समूह बनाकर महिलाएं और पुरुष नृत्य करते हैं. इसके अलावा सामूहिक भोजन का भी आयोजन किया जाता है.

कोरोना काल में आस्था पर टिका पर्व

हालांकि, इस बार कोरोना वायरस की वजह से जिले के ज्यादातर जगहों में सामूहिक दूरी बनाकर करमा पर्व मनाया जा रहा है. राज्य सरकार ने लोगों को भीड़-भाड़ में पूजा नहीं करने के निर्देश दिए हैं. इस वजह से कोरोना काल में करमा पर्व का स्वरूप मस्ती और आनंद के बजाय आस्था पर टिका हुआ है.

सूरजपुर: आदिवासी समाज के लोगों ने सोमवार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए करमा पर्व मनाया. इस बार ग्रामीणों ने करमा देवता से देश और प्रदेश को कोरोना वायरस से निजात दिलाने की प्रार्थना की. ग्रामीणों का मानना है कि अगर सच्चे मन से करमा भगवान की पूजा की जाती है, तो भगवान सभी की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.

आदिवासियों ने मनाया करमा का पर्व

इस दौरान कर्मा के पेड़ की पूजा की जाती है और लोग खेत खलिहान में अच्छी फसल की कामना करते हैं. इसके अलावा महिलाएं उपवास रखकर अपने भाइयों के अच्छे स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य की भी कामना करती हैं.

ढोल-नगाड़ों के साथ होती है पूजा

पूजा के विधि-विधानों में करमा पेड़ का बड़ा महत्व है. ढोल, नगाड़े और मांदर की थाप के बीच करमा पेड़ से डाली काटकर लगाई जाती है. साथ ही अखाड़े में पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है. इस दिन आदिवासी करमा देवता की कहानियां सुनते हैं और समूह बनाकर महिलाएं और पुरुष नृत्य करते हैं. इसके अलावा सामूहिक भोजन का भी आयोजन किया जाता है.

कोरोना काल में आस्था पर टिका पर्व

हालांकि, इस बार कोरोना वायरस की वजह से जिले के ज्यादातर जगहों में सामूहिक दूरी बनाकर करमा पर्व मनाया जा रहा है. राज्य सरकार ने लोगों को भीड़-भाड़ में पूजा नहीं करने के निर्देश दिए हैं. इस वजह से कोरोना काल में करमा पर्व का स्वरूप मस्ती और आनंद के बजाय आस्था पर टिका हुआ है.

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