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भालुओं के संरक्षण में वन विभाग नाकाम, अब तक शुरू नहीं हुई जामवंत योजना - जामवंत योजना

वन विभाग भालुओं के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. खाना और पानी की तलाश में सूरजपुर के भालू अब रिहायीशी इलाकों का रुख कर रहे हैं. भालुओं के गांवो में आने से ग्रामीण दहशत में हैं. इसके चलते ग्रामीण अपने बचाव के चक्कर में कभी-कभी भालुओं को भी नुकसान पहुंचा देते हैं.

भालुओं के संरक्षण में नाकाम वन विभाग, लगातार हो रही भालुओ की मौत
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Published : Sep 13, 2019, 3:36 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 7:39 PM IST

सूरजपुर: पिलखा पहाड़ से सटे रविंद्रनगर गांव समेत दर्जनभर गांव में शाम ढलते ही खाना और पानी की तलाश में भालू गांव का रुख कर रहे हैं. इसका खामियाजा कभी ग्रामीणों को तो कभी भालुओं को भुगतना पड़ता है.

अब तक शुरू नहीं हुई जामवंत योजना

अब तक शुरू नहीं हुई जामवंत योजना
इस योजना के तहत जंगल में ही भालू के खाने और पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए. ऐसे में ग्रामीण और भालूओं के बीच की दूरी भी बनी रहेगी,लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण अब तक जामवंत योजना शुरू नहीं हो सकी है. अब भालुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. पूरे मामले में वन विभाग की कार्यशैली पर शुरू से ही सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं.

भालुओं के अस्तित्व पर खतरा
गांव के लोग भालू के दहशत में जीने को मजबूर हैं, तो दूसरी ओर खाना और पानी के अभाव में भालुओं को रिहायशी इलाके का रुख करना पड़ता है. ऐसे में भालुओ के हमले से कई ग्रामीणों की जान जा चुकी है तो कई घायल हो चुके हैं. इसके चलते ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए कभी भालुओं को नुकसान भी पहुंचा देते है. इसी का नतीजा है कि पिछले 4 सालों में दर्जनभर भालू की संदिग्ध हालत में मौत हुई है. वह भालू के अस्तित्व पर खतरे को बयां कर रही है. ऐसे में स्थानीय लोग भी भालू के अस्तित्व को बचाने के लिए जामवंत योजना की मांग कर चुके हैं.

जब ETV भारत की टीम ने जिले के नए पदस्थ DFO से बात की तब उन्होंने जल्द ही भालू का सर्वे कराकर गणना के बाद शासन स्तर पर जामवंत योजना लागू करने की बात कही.

सूरजपुर: पिलखा पहाड़ से सटे रविंद्रनगर गांव समेत दर्जनभर गांव में शाम ढलते ही खाना और पानी की तलाश में भालू गांव का रुख कर रहे हैं. इसका खामियाजा कभी ग्रामीणों को तो कभी भालुओं को भुगतना पड़ता है.

अब तक शुरू नहीं हुई जामवंत योजना

अब तक शुरू नहीं हुई जामवंत योजना
इस योजना के तहत जंगल में ही भालू के खाने और पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए. ऐसे में ग्रामीण और भालूओं के बीच की दूरी भी बनी रहेगी,लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण अब तक जामवंत योजना शुरू नहीं हो सकी है. अब भालुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. पूरे मामले में वन विभाग की कार्यशैली पर शुरू से ही सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं.

भालुओं के अस्तित्व पर खतरा
गांव के लोग भालू के दहशत में जीने को मजबूर हैं, तो दूसरी ओर खाना और पानी के अभाव में भालुओं को रिहायशी इलाके का रुख करना पड़ता है. ऐसे में भालुओ के हमले से कई ग्रामीणों की जान जा चुकी है तो कई घायल हो चुके हैं. इसके चलते ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए कभी भालुओं को नुकसान भी पहुंचा देते है. इसी का नतीजा है कि पिछले 4 सालों में दर्जनभर भालू की संदिग्ध हालत में मौत हुई है. वह भालू के अस्तित्व पर खतरे को बयां कर रही है. ऐसे में स्थानीय लोग भी भालू के अस्तित्व को बचाने के लिए जामवंत योजना की मांग कर चुके हैं.

जब ETV भारत की टीम ने जिले के नए पदस्थ DFO से बात की तब उन्होंने जल्द ही भालू का सर्वे कराकर गणना के बाद शासन स्तर पर जामवंत योजना लागू करने की बात कही.

Intro:सूरजपुर वन परिक्षेत्र के भालू विचरण क्षेत्र के पिलखा पहाड़ भालू के अस्तित्व के लिए खतरा बना जा रहा है सूरजपुर के पिलख पहाड़ से सटे रविंद्रनगर गांव समेत दर्जन भर गांव में शाम ढलते ही भोजन पानी की तलाश में भालू गांव का रुख कर लेते हैं और खामियाजा कभी भालू के हमले से ग्रामीण घायल या फिर लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है या फिर भालू की ही मौत हो जाती है


Body:जहां पिछले कई वर्षों से रविंद्र नगरगांव समेत कई गांव के ग्रामीण भालू के दहशत में जीने को मजबूर होने का दावा करते हैं तो दूसरी ओर भोजन पानी के अभाव में भालुओ को रिहायशी गांव का रुख करना पड़ता है ऐसे में भालुओ के हमले से कई ग्रामीणों की जान जा चुकी है तो कई घायल हो चुके हैं सूचना आए दिन आते रहते हैं जिसका नतीजा है कि पिछले 4 सालों में दर्जनभर भालू की संदिग्ध हालत में मौत भालू के अस्तित्व पर खतरे को बयां कर रहा है ऐसे में स्थानीय भी भालू के अस्तित्व को बचाने के लिए कई जामवंत योजना की मांग कर चुके हैं जिस योजना के तहत जंगल में ही भालू के भोजन पानी की व्यवस्था हो सके ऐसे में ग्रामीण और भालूओं के बीच की दूरी भी बनी रहेगी लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण अब तक जामवंत योजना शुरू नहीं हो सका है और भालू के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है पूरे मामले में वन विभाग के कार्यशैली पर शुरू से ही सवालिया निशान लगते आ रहे हैं वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले के नौ पदस्थ डीएफओ से बात की तब उन्होंने जल्द ही भालू के सर्वे करा कर गणना के बाद शासन स्तर पर जामवंत योजना लागू करने की बात करते नजर आ रहे हैं


Conclusion:बाहरहाल जल जंगल से भरा पूरा सूरजपुर क्षेत्र में पर्यावरण के संतुलन के लिए सभी वन्य प्राणियों की बहुमूल्यता खत्म होते जा रही है ऐसे में भालुओं की विलुप्त होने के हालात पर वन विभाग कब तक गंभीर होता है यह देखने वाली बात होगी

बाईट - प्रवेश गोयल,,,, स्थानीय जानकार

बाईट - जे आर भगत,,,, डीएफओ सूरजपुर
Last Updated : Sep 14, 2019, 7:39 PM IST
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