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सूरजपुर में धान घोटाला, भाजपा ने कार्रवाई नहीं होने पर घेरा

paddy scam in Surajpur सूरजपुर जिले के धान संग्रहण केंद्र लोधिमा में करोड़ों का धान घोटाला हुआ है. इस मामले में कार्रवाई के लिए कलेक्टर को आदेश पारित किए साल भर का समय भी बीत चुका है लेकिन अबतक किसी भी कर्मचारी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. भाजपा ब इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर रही है.

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Published : Oct 17, 2022, 4:43 PM IST

सूरजपुर में धान घोटाला
सूरजपुर में धान घोटाला

सूरजपुर: धान संग्रहण केंद्र लोधिमा में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में बड़े पैमाने पर धान की हेराफेरी की शिकायत मिली. जिला प्रशासन ने जांच भी कराई. इस जांच में संग्रहण केंद्र में 79 हजार 425 क्विंटल धान और 92 हजार 987 बारदाना की कमी मिली, जिसकी कीमत लगभग 20 करोड़ 67 लाख 50 हजार 375 रुपए थी. इस घोटाले में 13 कर्मचारी और अधिकारियों के नाम सामने आए. तत्कालीन कलेक्टर ने 2 अक्टूबर 2021 को एक आदेश निकाला, जिसमें दोषी सभी 13 अधिकारी और कर्मचारियों की तत्काल सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया था.

यह भी पढ़ें: Bhupesh Cabinet Meeting: भूपेश कैबिनेट की बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय, आदिवासी आरक्षण पर नहीं हुई चर्चा

तत्कालीन कलेक्टर के आदेश के बाद भी दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. फिर 25 मार्च 2022 को कलेक्टर सूरजपुर ने दो आदेश निकाले. एक पत्र में सभी दोषियों से आर्थिक क्षति वसूली करने का आदेश था. दूसरे पत्र में सभी दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआरदर्ज करने के निर्देश थे. कलेक्टर के आदेश के लगभग 7 महीना से ज्यादा बीत जाने के बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के ऊपर कार्रवाई नहीं हुई है. सूरजपुर के एसडीएम रवि सिंह ने कहा कि '' नए विपणन अधिकारी के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी. आदेश के मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी. ''

भाजपा भी इस पूरे मुद्दे पर आक्रामक हो गई है. भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भीमसेन अग्रवाल का कहना है कि ''यह पूरा गोलमाल जिला प्रशासन के स्तर पर हुआ था. भाजपा ने ही इस भ्रष्टाचार को उजागर किया था. बावजूद इसके राज्य सरकार और जिला प्रशासन का कोई कार्रवाई नहीं करना कई सवाल खड़े करता है.'' भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने से लेकर आंदोलन तक की बात कह रही है.

सूरजपुर: धान संग्रहण केंद्र लोधिमा में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में बड़े पैमाने पर धान की हेराफेरी की शिकायत मिली. जिला प्रशासन ने जांच भी कराई. इस जांच में संग्रहण केंद्र में 79 हजार 425 क्विंटल धान और 92 हजार 987 बारदाना की कमी मिली, जिसकी कीमत लगभग 20 करोड़ 67 लाख 50 हजार 375 रुपए थी. इस घोटाले में 13 कर्मचारी और अधिकारियों के नाम सामने आए. तत्कालीन कलेक्टर ने 2 अक्टूबर 2021 को एक आदेश निकाला, जिसमें दोषी सभी 13 अधिकारी और कर्मचारियों की तत्काल सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया था.

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तत्कालीन कलेक्टर के आदेश के बाद भी दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. फिर 25 मार्च 2022 को कलेक्टर सूरजपुर ने दो आदेश निकाले. एक पत्र में सभी दोषियों से आर्थिक क्षति वसूली करने का आदेश था. दूसरे पत्र में सभी दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआरदर्ज करने के निर्देश थे. कलेक्टर के आदेश के लगभग 7 महीना से ज्यादा बीत जाने के बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के ऊपर कार्रवाई नहीं हुई है. सूरजपुर के एसडीएम रवि सिंह ने कहा कि '' नए विपणन अधिकारी के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी. आदेश के मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी. ''

भाजपा भी इस पूरे मुद्दे पर आक्रामक हो गई है. भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भीमसेन अग्रवाल का कहना है कि ''यह पूरा गोलमाल जिला प्रशासन के स्तर पर हुआ था. भाजपा ने ही इस भ्रष्टाचार को उजागर किया था. बावजूद इसके राज्य सरकार और जिला प्रशासन का कोई कार्रवाई नहीं करना कई सवाल खड़े करता है.'' भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने से लेकर आंदोलन तक की बात कह रही है.

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