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इस गांव को है विकास का इंतजार, सड़क के लिए ग्रामीण लगा रहे गुहार - lack of basic facilities

गांव में सड़क नहीं होने से ग्रमीणों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

जर्जर सड़क
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Published : Aug 9, 2019, 6:21 PM IST

Updated : Aug 9, 2019, 7:16 PM IST

सरगुजा: सीतापुर जनपद पंचायत के ग्राम रायकेरा के घाघीपारा में रहने वाले ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि गांव में सड़क तक का इंतजाम नहीं है.

सड़क की हालत है जर्जर

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव में 70 से 80 लोग रहते हैं, जो आज के दौर में भी विकास का इंतजार कर रहे हैं. सीतापुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत रायकेरा घाघीपारा के रहने वाले जाकिर हुसैन ने ETV भारत को बताया कि, अमरजीत भगत जब भी वोट मांगने आते हैं, उस दौरान वो हर बार यह करते हैं कि इस बार हमें जिताइए, हम जल्द गांव में रोड की व्यवस्था कराएंगे.

प्रशासन से मिलता है महज आश्वासन
ग्रामीणों का कहना है कि, 'उनके गांव का विकास पूरी तरह से ठप्प है. उन्होंने बताया कि रोड बनवाने को लेकर उन्होंने कई बार प्रशासन के अफसरों से शिकायत भी की, लेकिन उन्होंने भी आश्वासन देकर टाल दिया'.

कीचड़ में तब्दील हो जाती है सड़क
बता दें कि यह गांव आज भी कई बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा हैं. इक्कीसवीं सदी की अहम जरूरत सड़क के अभाव में ग्रामीण कैसे आवागमन करते होंगे. इसका आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं. घाघीपारा की बुजुर्ग महिला ने ETV भारत को बताया कि मुख्यालय से गांव दूरी करीब दो किलोमीटर है, वहीं सड़क कच्ची होने की वजह से बरसात ने दिनों में इसपर चलना बहुत मुश्किल होता है, कई बार कच्ची सड़क पर कीचड़ का अंबार लग जाता है और एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में इंसान को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है.

बाइक पर ले जाते हैं अस्पताल
ग्रामीणों ने बताया कि 'बरसात के दिनों में बाइक को छोड़ यहां किसी और वाहन का परिचालन नहीं होता है, ऐसे में अगर गांव में रहने वाला कोई भी शख्स बीमार हो जाए, तो उसे बाइक या फिर खाट के सहारे रोड तक पहुंचाया जाता है और फिर वहां से एंबुलेंस के सहारे मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है'.

गांव में ही फंसे रहते हैं ग्रामीण
कई बार तो गंभीर रूप से बीमार मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सड़क नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि 'कच्चा रास्ता होने से बरसात में स्थिति बद से बदतर हो जाती है. वहीं बारिश के दिनों में गांव के लोग गांव में ही सिकुड़ कर रह जाते हैं'.

जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली सुध
गांव में पक्की सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण यहां के विकास ग्रहण लग गया है. ग्रामीणों ने सड़क को पक्का करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई, बावजूद इसके इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

स्कूल जाने के लिए करना पड़ता है सफर
गांव में स्कूल की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से यहां के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए कई किलोमीटर का सफर कर स्कूल जाना पड़ता है और ऐसे में कई बच्चे थोड़ा-बहुत शिक्षा लेने के बाद बीच में ही छोड़ देते हैं.
जनपद CEO ने दिया आश्वासन
Etv Bharat ने जब इस मामले में सीतापुर जनपद पंचायत के CEO विनय कुमार गुप्ता से बात कि, तो उनका कहना था कि 'यह बिल्कुल सही है कि ग्रामीणों को काफी दिक्कत हो रही है और इस मामले में हम प्रस्ताव बनवाकर जिला कलेक्टर को भेजेंगे.

सरगुजा: सीतापुर जनपद पंचायत के ग्राम रायकेरा के घाघीपारा में रहने वाले ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि गांव में सड़क तक का इंतजाम नहीं है.

सड़क की हालत है जर्जर

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव में 70 से 80 लोग रहते हैं, जो आज के दौर में भी विकास का इंतजार कर रहे हैं. सीतापुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत रायकेरा घाघीपारा के रहने वाले जाकिर हुसैन ने ETV भारत को बताया कि, अमरजीत भगत जब भी वोट मांगने आते हैं, उस दौरान वो हर बार यह करते हैं कि इस बार हमें जिताइए, हम जल्द गांव में रोड की व्यवस्था कराएंगे.

प्रशासन से मिलता है महज आश्वासन
ग्रामीणों का कहना है कि, 'उनके गांव का विकास पूरी तरह से ठप्प है. उन्होंने बताया कि रोड बनवाने को लेकर उन्होंने कई बार प्रशासन के अफसरों से शिकायत भी की, लेकिन उन्होंने भी आश्वासन देकर टाल दिया'.

कीचड़ में तब्दील हो जाती है सड़क
बता दें कि यह गांव आज भी कई बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा हैं. इक्कीसवीं सदी की अहम जरूरत सड़क के अभाव में ग्रामीण कैसे आवागमन करते होंगे. इसका आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं. घाघीपारा की बुजुर्ग महिला ने ETV भारत को बताया कि मुख्यालय से गांव दूरी करीब दो किलोमीटर है, वहीं सड़क कच्ची होने की वजह से बरसात ने दिनों में इसपर चलना बहुत मुश्किल होता है, कई बार कच्ची सड़क पर कीचड़ का अंबार लग जाता है और एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में इंसान को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है.

बाइक पर ले जाते हैं अस्पताल
ग्रामीणों ने बताया कि 'बरसात के दिनों में बाइक को छोड़ यहां किसी और वाहन का परिचालन नहीं होता है, ऐसे में अगर गांव में रहने वाला कोई भी शख्स बीमार हो जाए, तो उसे बाइक या फिर खाट के सहारे रोड तक पहुंचाया जाता है और फिर वहां से एंबुलेंस के सहारे मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है'.

गांव में ही फंसे रहते हैं ग्रामीण
कई बार तो गंभीर रूप से बीमार मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. सड़क नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि 'कच्चा रास्ता होने से बरसात में स्थिति बद से बदतर हो जाती है. वहीं बारिश के दिनों में गांव के लोग गांव में ही सिकुड़ कर रह जाते हैं'.

जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली सुध
गांव में पक्की सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण यहां के विकास ग्रहण लग गया है. ग्रामीणों ने सड़क को पक्का करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई, बावजूद इसके इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

स्कूल जाने के लिए करना पड़ता है सफर
गांव में स्कूल की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से यहां के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए कई किलोमीटर का सफर कर स्कूल जाना पड़ता है और ऐसे में कई बच्चे थोड़ा-बहुत शिक्षा लेने के बाद बीच में ही छोड़ देते हैं.
जनपद CEO ने दिया आश्वासन
Etv Bharat ने जब इस मामले में सीतापुर जनपद पंचायत के CEO विनय कुमार गुप्ता से बात कि, तो उनका कहना था कि 'यह बिल्कुल सही है कि ग्रामीणों को काफी दिक्कत हो रही है और इस मामले में हम प्रस्ताव बनवाकर जिला कलेक्टर को भेजेंगे.

Intro:सीतापुर~सीतापुर जनपद पंचायत के ग्राम रायकेरा अंतर्गत आने वाले घाघीपारा के कई ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते नजर आ रहे है जिन्हें अब तक सड़क की व्यवस्था नहीं हो पायी वहीं यह तस्वीरें ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की बयार बहने की ढोल पीट रही सरकार को झुठला रही है। रायकेरा पंचायत मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर घाघीपारा में 70 से 80 लोग निवासरित है जो आज भी विकास की उम्मीद को लेकर सड़क के लिए जूझते नजर आ रहे है।

मेहनत मजदूरी व खेती के बदौलत अपनी जीविका चलाने वाले यह ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से विकास के झूठे दावे सुनकर थक चुके है इनका कहना है कि चुनाव के समय यहाँ सरपंच सहित अनेकों जनप्रतिनिधि आते है और वोट माँगकर विकास के सपने दिखाकर चले जाते है किन्तु एक बार भी यहाँ की स्थिति झाँकने नहीं आते है।Body:सीतापुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत रायकेरा घाघीपारा निवासी जाकिर हुसैन ने Etv Bharat को बताया कि अमरजीत भगत यहाँ आते है तो कहते है कि इस बार हमको जिताइये और हम जल्द रोड की व्यवस्था बनाएंगे और यहाँ की कमी को दूर करेंगे कहकर चले जाते है इनका कहना है कि इनके गाँव का विकास पूरी तरह से ठप्प है इन्होंने बताया कि रोड की व्यवस्था को लेकर इन्होंने कई बार शिकायत भी की लेकिन ठीक करेंगे कहकर इनका बात को टाल दिया जाता है।

आपको बता दे कि यह गाँव आज तक कई बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। इक्कीसवीं सदी की अहम जरूरत सड़क के अभाव में ग्रामीण कैसे आवागमन करते है,इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि तो दूर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भी इस गांव की दुर्दशा दूर नहीं कर सकी है।

घाघीपारा की वृद्ध महिला ने Etv Bharat को बताया कि यहाँ से गांव दूरी लगभग दो किलोमीटर है वहीं यहाँ रोड नहीं होने से कच्ची सड़क पर बरसात ने दिनों में चलना बहुत मुश्किल होता है कई बार तो यहाँ कच्ची सड़कों पर कीचड़ का अंबार लग जाता है और एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में स्थिति डमाडोल हो जाती है। इन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में यहाँ बाइक छोड़ किसी तरह की वाहन का परिचालन नहीं होता है ऐसे में बीमार होने पर लोग बाइक व खाट के सहारे मरीज को रोड तक पहुंचाया करते है। यहाँ रोड के अभाव में कीचड़ों के बीच कई बार तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते है यहाँ रोड नहीं होने से इस पर से उस पार कीचड़ों के बीच जाने में सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है। 

वहीं यहाँ के ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कच्ची रास्ता होने से यहाँ की स्थिति बरसात में और भी बदहाल हो जाती है वहीं बारिश के दिनों में गांव के लोग गांव में ही सिकुड़ कर रह जाते है। गांव में पक्की सड़क सुविधा नहीं होने के कारण गांव की विकास पूर्णतः बाधित है। ग्रामीणों ने सड़क मार्ग को पक्कीकरण करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई इसके बावजूद भी इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 

यहां सरकार के सारे वायदे झूठे साबित हो रहे है। यहां आज तक देश के आजादी के बाद भी प्रशासन का कोई आका झांकने तक नहीं आया। जिससे इस गांव के विकास के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों के क्रिया कलाप पर सवाल खड़ा हो रहा है।

यहाँ के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई किलोमीटर कीचड़ों से होकर स्कूल जाना होता है। ऐसे में कई बच्चे कुछ हद तक शिक्षा प्राप्त कर बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि सबसे अधिक दिक्कत उस समय होती है जब कोई बीमार होता है। कई लोग यातायात सुविधा के अभाव में असमय काल का ग्रास बन जाते है।Conclusion:इस संबंध में Etv Bharat ने जब सीतापुर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनय कुमार गुप्ता से बात की तब उनके द्वारा रटा रटाया जवाब मिला उनका कहना है कि यह बिल्कुल सत्य है कि ग्रामीणों को काफी दिक्कत हो रही है,,,इस मामलें में हम प्रस्ताव बनवाकर जिला कलेक्टर को प्रेषित करेंगे।

बाईट 01~जाकिर हुसैन
(घाघीपारा निवासी)
पहचान,,,काला सावला व बाल काले रंग का,,,पतला दिखता होगा।

बाईट 02~शहीदुनिशा
(महिला,,,घाघीपारा निवासी)
पहचान,,,वृद्ध महिला।

बाईट 03~फकरु हसन
(घाघीपारा निवासी)
पहचान,,,वृद्ध एवं सफेद बाल।

बाईट 04~विनय कुमार गुप्ता
(जनपद सी.ई.ओ सीतापुर)
पहचान,,,टोपी पहने हुए।

विजुअल 01~बरसात में दूभर और बदहाल कच्ची सड़क का दृश्य जो पानी गिरने पर कीचड़ों से भरकर जमा हो जाता है।

विजुअल 02~कार्यालय जनपद पंचायत सीतापुर।

बाईट 03~ग्राम पंचायत रायकेरा का विजुअल।

Report~Roshan Soni
Srg_Sitapur_Chhattisgarh...!!!
Last Updated : Aug 9, 2019, 7:16 PM IST
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