बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने डेंगू के बढ़ते मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को उपचार सुविधाएं बेहतर करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए भी कड़े कदम उठाने होंगे. इसके तहत ऐसे नियम लागू करने को कहा गया है, जिससे डेंगू फैलाने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों, संगठनों और आवासीय परिसरों पर भारी जुर्माना लगाया जा सके.
क्या कहा कोर्ट नेः मुख्य न्यायाधीश एन.वी. अंजारिया और न्यायमूर्ति के.वी. अरविंद की पीठ ने राज्य में डेंगू के मामलों में वृद्धि के संबंध में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. पीठ ने कहा कि नगर निगम अधिकारियों को हमेशा उन संस्थानों से निपटने में सक्रिय रहना चाहिए जो लंबे समय तक पानी जमा रहने देते हैं. ठोस अपशिष्ट निपटान की उपेक्षा करते हैं, जिससे मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है.
"संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार अच्छा और स्वस्थ वातावरण पाना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है. नागरिकों को स्वस्थ और रोगमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना सरकार और प्राधिकारियों का वैधानिक कर्तव्य है."- कर्नाटक उच्च न्यायालय
शोध रिपोर्ट का हवालाः पीठ ने भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे की एक शोध रिपोर्ट का हवाला दिया. जिसमें कहा गया था कि तापमान में बदलाव, बारिश और स्थिर पानी से मच्छरों का प्रजनन बढ़ेगा. पीठ ने कहा कि मच्छरों के प्रजनन को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए. कहा कि, समाचार पत्रों में संपादक को लिखे गए पत्र समाज की नब्ज को दर्शाते हैं. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि संपादक को लिखे गए पत्रों में आम नागरिकों द्वारा व्यक्त की गई राय सत्य और महत्वपूर्ण है.
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