सुकमा: छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर कोंटा में भाजपा के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने स्थानीय ग्रामीणों और भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ नेशनल हाईवे 30 में चक्काजाम कर धरना प्रदर्शन किया. करीब 1 घंटे तक नेशनल हाईवे जाम रहने से सड़क के दोनों तरफ गाड़ियों की कतार लग गई. मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया. 1 सप्ताह के भीतर पीड़ित ग्रामीणों को भुगतान दिलाने का एसडीएम के आश्वासन के बाद यह धरना स्थगित किया (villagers Protest non payment of collection of tendu leaves in Bastar) गया.
सैकड़ों ग्रामीण ब्लॉक मुख्यालय पहुंचे: दरअसल, सुकमा जिले के रेगड़गट्टा गांव में 61 आदिवासियों की अज्ञात बीमारी से हुए मौत व कोंटा में बाढ़ पीड़ितों का जायजा लेने के लिए पूर्व मंत्री केदार कश्यप व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष लता उसेंडी आज कोंटा पहुंचे हुए थे. कोंटा पहुंचकर केदार कश्यप व टीम ने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात करके जानकारी ली. इधर, कोंटा ब्लॉक के तेंदूपत्ता संग्रहण का भुगतान नहीं मिलने की वजह से सैकड़ों ग्रामीण ब्लॉक मुख्यालय पहुंचे.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया चक्काजाम: इस विषय में ग्रामीणों ने बताया कि "लंबे समय से ठेकेदार तेंदूपत्ता का भुगतान नहीं कर रहे हैं. दिन-प्रतिदिन उन्हें मुख्यालय बुलाकर उनसे वादाखिलाफी किया जा रहा है. लगभग 6 गांव के सैकड़ों ग्रामीण 5 महीने से तेंदूपत्ता भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं और आज उन्होंने अपनी समस्या केदार कश्यप के सामने रखी. जिसके बाद ग्रामीणों के साथ ही भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ब्लॉक मुख्यालय में चक्का जाम किया."
यह भी पढ़ें: दंतेवाड़ा में भाजपा युवा मोर्चा का बेरोजगारी फॉर्म भरवा अभियान जारी
कांग्रेस आदिवासियों की हितैषी नहीं: इस विषय में पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि, "प्रदेश की कांग्रेस सरकार आदिवासियों को लेकर गंभीर नहीं है. कांग्रेस सरकार को आदिवासियों की चिंता नहीं है. एक तरफ सरकार आदिवासियों का हितैषी होने की बात कहती है. वहीं, संज्ञान में होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम इस गांव तक नहीं पहुंची. यही कारण है कि रेगड़गट्टा गांव के 61 लोगों की मौत हो गई. दो-ढाई वर्षो से लगातार गांव में मौतें हो रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और कांग्रेस सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी. इन सारे सवालों का जवाब लेने के लिए आज भाजपा की टीम रेगड़गट्टा जाने के लिए निकली थी. लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें जाने से रोक दिया. बस्तर सुदूर वनांचल क्षेत्र है. बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराई हुई है और अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के आपसी मतभेद का खामियाजा बस्तर के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और जिम्मेदारों के लिए आदिवासियों की मौत बस एक आंकड़ा बनकर रह गयी है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार और जिला प्रशासन आदिवासियों के कभी हितैषी नहीं हो सकते."
घोटाले में लखमा का भी हाथ: तेंदुपत्ता के मामले में केदार कश्यप ने कहा कि "कांग्रेस सरकार के दावे बस्तर में खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब तेंदूपत्ता संग्राहक को तत्काल ही नगद भुगतान किया जाएगा. लेकिन 5 महीने बीत जाने के बावजूद भी कोंटा ब्लॉक के ग्रामीणों को आज तक तेंदूपत्ता का भुगतान नहीं मिला. यही कारण है कि सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के ग्रामीणों को अपनी मांगों को लेकर 3 महीने से मजबूरन आंदोलन करना पड़ रहा है. तेंदूपत्ता मामले में आंदोलन के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होना अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के सांठगांठ को दर्शाता है. प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का यह विधानसभा क्षेत्र है और इस घोटाले में कवासी लखमा का भी हाथ है. यदि कवासी लखमा का हाथ तेंदूपत्ता मामले में नहीं है तो वह सामने आकर पीड़ितों को तत्काल न्याय दिलाएं और उन्हें तेंदूपत्ता का भुगतान ठेकेदारों से दिलाएं. जिम्मेदार ठेकेदार के ऊपर एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई करे."