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सुकमा नगर पालिका: 20 साल से विधानसभा में जीतती आ रही कांग्रेस, पालिका में नहीं खुला खाता

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Published : Oct 31, 2019, 12:06 AM IST

Updated : Oct 31, 2019, 1:16 PM IST

बस्तर के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कांग्रेस के कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से पिछले 20 साल से विधायक हैं, सुकमा नगर पालिका भी इसी विधानसभा क्षेत्र का जिला मुख्यालय है. बावजूद इसके नगर पालिका में बीजेपी का दबदबा है. 15 साल से बीजेपी नगरीय निकाय चुनाव में जीतती आ रही है. सुकमा नगर पालिका बनने के बाद से कांग्रेस यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.

sukma nagar palika

सुकमा: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 3 साल बाद सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनाया गया. जिसके बाद 2004 में हुए नगरी निकाय चुनाव में सुकमा नगर पंचायत में बीजेपी की सरकार बनी. 2014 में तत्कालीन राज्य की बीजेपी सरकार ने सुकमा को नगर पंचायत से नगर पालिका बना दिया. जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला. पंचायत से पालिका बनने के बाद एक बार फिर नगर में बीजेपी की ही सरकार बनी.

सुकमा नगर पालिका

बस्तर के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कांग्रेस के कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से पिछले 20 साल से विधायक हैं, सुकमा नगर पालिका भी इसी विधानसभा क्षेत्र का जिला मुख्यालय है. बावजूद इसके नगर पालिका में बीजेपी का दबदबा है. 15 साल से बीजेपी नगरीय निकाय चुनाव में जीतती आ रही है. सुकमा नगर पालिका बनने के बाद से कांग्रेस यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.

सुकमा नगर पालिका में कुल मतदाता 11 हजार 789 है. जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 5 हजार 833 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 5 हजार 956 है.

नगर पालिका क्षेत्र के कुल 15 वार्ड हैं. इसमें 9 में बीजेपी और 4 में कांग्रेस का कब्जा है.

कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल है ये सीट

वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेसी सरकार है. वहीं कोंटा विधानसभा क्षेत्र से पिछले 20 साल से विधायक निर्वाचित होने वाले कवासी लखमा इस वक्त छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. इस लिहाज से सुकमा नगर पालिका में खाता खोलने के लिए कांग्रेस के पास अनुकूल माहौल है. ऐसे में सुकमा नगर पालिका सीट को फतह करना कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है. ये कांग्रेस का लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल है.

2004 में पहली बार हुए निकाय चुनाव

सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद 2004 में पहली बार यहां निकाय चुनाव हुए. नगर सरकार के लिए अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं. इनमें दो बार महिलाएं और एक बार पुरुष नगर अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए हैं. सुकमा नगर पंचायत अध्यक्ष का सीट इस बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है.

सुकमा: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 3 साल बाद सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनाया गया. जिसके बाद 2004 में हुए नगरी निकाय चुनाव में सुकमा नगर पंचायत में बीजेपी की सरकार बनी. 2014 में तत्कालीन राज्य की बीजेपी सरकार ने सुकमा को नगर पंचायत से नगर पालिका बना दिया. जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला. पंचायत से पालिका बनने के बाद एक बार फिर नगर में बीजेपी की ही सरकार बनी.

सुकमा नगर पालिका

बस्तर के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कांग्रेस के कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से पिछले 20 साल से विधायक हैं, सुकमा नगर पालिका भी इसी विधानसभा क्षेत्र का जिला मुख्यालय है. बावजूद इसके नगर पालिका में बीजेपी का दबदबा है. 15 साल से बीजेपी नगरीय निकाय चुनाव में जीतती आ रही है. सुकमा नगर पालिका बनने के बाद से कांग्रेस यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.

सुकमा नगर पालिका में कुल मतदाता 11 हजार 789 है. जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 5 हजार 833 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 5 हजार 956 है.

नगर पालिका क्षेत्र के कुल 15 वार्ड हैं. इसमें 9 में बीजेपी और 4 में कांग्रेस का कब्जा है.

कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल है ये सीट

वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेसी सरकार है. वहीं कोंटा विधानसभा क्षेत्र से पिछले 20 साल से विधायक निर्वाचित होने वाले कवासी लखमा इस वक्त छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. इस लिहाज से सुकमा नगर पालिका में खाता खोलने के लिए कांग्रेस के पास अनुकूल माहौल है. ऐसे में सुकमा नगर पालिका सीट को फतह करना कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है. ये कांग्रेस का लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल है.

2004 में पहली बार हुए निकाय चुनाव

सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद 2004 में पहली बार यहां निकाय चुनाव हुए. नगर सरकार के लिए अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं. इनमें दो बार महिलाएं और एक बार पुरुष नगर अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए हैं. सुकमा नगर पंचायत अध्यक्ष का सीट इस बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है.

Intro:पिछले 15 वर्षों से सुकमा की नगर सरकार में भाजपा का कब्जा

सुकमा. छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 3 साल बाद सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ। 2004 में हुए नगरी निकाय चुनाव के बाद से सुकमा की नगर सरकार में भाजपा का कब्जा है। जिसे भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है। 2014 में तत्कालीन राज्य की भाजपा सरकार ने सुकमा को नगर पंचायत से नगर पालिका का दर्जा दिया। पंचायत से पालिका के रूप में उन्नयन होने के बाद एक बार फिर नगर के सरकार में भाजपा का बीच हुई।

बस्तर के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कांग्रेसी कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से पिछले 20 वर्षों से विधायक हैं। सुकमा नगरपालिका इसी विधानसभा क्षेत्र का जिला मुख्यालय है। बावजूद इसके नगर पालिका में भाजपा का दबदबा है। 15 वर्षों से लगातार भाजपा नगरी सीट से जीत दर्ज करते आ रही है। सुकमा नगरपालिका से कांग्रेसी अब तक अपना खाता नहीं खोल पाई है



Body:सुकमा नगर पालिका में कुल मतदाता 11789 है। जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 5833 है और पुरुष मतदाताओं की संख्या 5956 है। नगर पालिका क्षेत्र के कुल 15 वार्डों में 9 में भाजपा का कब्जा है तो वहीं चार कांग्रेश और 2 वार्ड सीता के नाम है।

मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेसी सरकार है। वही कोंटा विधानसभा क्षेत्र से पिछले 20 वर्षों से विधायक निर्वाचित होने वाले कवासी लखमा इस वक्त छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। इस लिहाज से सुकमा नगर पालिका में खाता खोलने के लिए कांग्रेसियों के पास अनुकूल माहौल है विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अपना नगरी क्षेत्र से लीड करते आ रही हैं। सुकमा नगर पालिका सीट को फतेह करना कांग्रेस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा।


Conclusion: एक नजर में नगरपालिका सुकमा ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद साल 2004 में नगर के प्रथम नागरिक के लिए चुनाव हुए नगर सरकार के लिए अब तक तीन बार नगरी निकाय चुनाव हुए हैं जिनमें दो बार महिलाएं और एक बार पुरुष नगर अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए सुकमा नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ पहली बार हुए चुनाव में अपर्णा देव अध्यक्ष चुनी गई जो वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष की पत्नी है इसके बाद 2009 में नगर पंचायत सुकमा सीट ओबीसी मुक्त हुआ और भाजपा से पीलू राम यादव अध्यक्ष निर्वाचित हुए वर्ष 2014 नगरपालिका में उन्नयन होने के बाद अध्यक्ष सीट ओबीसी महिला के लिए रिजर्व हुआ इस बार भाजपा से श्रीमती लक्ष्मी बाई अध्यक्ष निर्वाचित हुई।

अध्यक्ष पद सामान्य इस बार चुनाव में जात-पात वर्ग का भेद नहीं...
सुकमा नगर सरकार की कमान चौथी बार अनारक्षित वर्ग के हाथों में रहेगी। यानी किसी भी वर्ग के लिए महिला पुरुष अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकेंगे। हालांकि अब पार्टियां तय करेंगे कि टिकट किसे देना है। अध्यक्ष पद अनारक्षित होने से सुकमा नगर अध्यक्ष पद के लिए लड़ाई दिलचस्प हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त देखने को मिल सकती है।

बाइट 01: राजू साहू, नेताप्रतिपक्ष(गुलाबी शर्ट)
बाइट 02: अब्दुल गफ्फार स्थानीय(नीला चेक शर्ट)
बाइट03: संतोष पुराणिक, स्थानीय(सफेद शर्ट)
बाइट 04: राजू राठौर, स्थानीय(ग्रे शर्ट, पीछे पिला बैकग्राउंड)
बाइट 05: नूपुर वैदिक, स्थानीय(ग्रे टीशर्ट)
बाइट 06: कैलाश जैन, अधिवक्ता(ग्रे शर्ट चश्मा के साथ)
बाइट 07: अब्दुल रहीम, स्थानीय(काला टीशर्ट)
Last Updated : Oct 31, 2019, 1:16 PM IST
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