सुकमा: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 3 साल बाद सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनाया गया. जिसके बाद 2004 में हुए नगरी निकाय चुनाव में सुकमा नगर पंचायत में बीजेपी की सरकार बनी. 2014 में तत्कालीन राज्य की बीजेपी सरकार ने सुकमा को नगर पंचायत से नगर पालिका बना दिया. जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला. पंचायत से पालिका बनने के बाद एक बार फिर नगर में बीजेपी की ही सरकार बनी.
बस्तर के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कांग्रेस के कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से पिछले 20 साल से विधायक हैं, सुकमा नगर पालिका भी इसी विधानसभा क्षेत्र का जिला मुख्यालय है. बावजूद इसके नगर पालिका में बीजेपी का दबदबा है. 15 साल से बीजेपी नगरीय निकाय चुनाव में जीतती आ रही है. सुकमा नगर पालिका बनने के बाद से कांग्रेस यहां अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.
सुकमा नगर पालिका में कुल मतदाता 11 हजार 789 है. जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 5 हजार 833 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 5 हजार 956 है.
नगर पालिका क्षेत्र के कुल 15 वार्ड हैं. इसमें 9 में बीजेपी और 4 में कांग्रेस का कब्जा है.
कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल है ये सीट
वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेसी सरकार है. वहीं कोंटा विधानसभा क्षेत्र से पिछले 20 साल से विधायक निर्वाचित होने वाले कवासी लखमा इस वक्त छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. इस लिहाज से सुकमा नगर पालिका में खाता खोलने के लिए कांग्रेस के पास अनुकूल माहौल है. ऐसे में सुकमा नगर पालिका सीट को फतह करना कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है. ये कांग्रेस का लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल है.
2004 में पहली बार हुए निकाय चुनाव
सुकमा को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद 2004 में पहली बार यहां निकाय चुनाव हुए. नगर सरकार के लिए अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं. इनमें दो बार महिलाएं और एक बार पुरुष नगर अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए हैं. सुकमा नगर पंचायत अध्यक्ष का सीट इस बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ है.