सुकमा: धुर नक्सल प्रभावित इलाका पलोड़ी, जहां लाला आतंक ने घना अंधेरा कर रखा, वहां जवानों ने उम्मीद की रोशनी बिखेरी है. पलोड़ी गांव में प्रदेश पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने देश की आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंचाई है. ये वही इलाका है जहां नक्सलियों के हमले में 9 जवान शहीद हुए थे.
पलोड़ी गांव के ग्रामीणों को चिमनी के सहारे रात नहीं काटनी पड़ेगी क्योंकि जवानों की मदद से बिजली गांव तक पहुंच चुकी है. लोगों के घरों में पंखे होंगे रौशनी होगी, टेलीविजन से सीधे देश-दुनिया की हलचलों से जुड़ेंगे.
क्यों खास है यहां बिजली पहुंचना-
- सबसे खास बात इस गांव और जवानों की मेहनत से ये जुड़ी है कि इस धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 9 जवान शहीद हो गए थे. इस इलाके में नक्सलियों ने एंटी लैंड व्हीकल ब्लास्ट कर दिया था, जिसमें 9 जवान शहीद हो गए थे.
- इस इलाके में आजादी के 70 साल बाद बिजली पहुंची है. सुरक्षाबलों और जिला प्रशासन की मेहनत रंग लाई है. पूर्व एसपी डीएस मरावी और वर्तमान पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा की कोशिश से पुलिस, कोबरा 208, सीआरपीएफ 212 वाहिनी के जवानों की मेहनत से यहां रोशनी पहुंची है.
- जवानों ने बिजली के खंभों की तस्वीरें साझा की हैं. बताया जा रहा है कि बिजली कैंप तक शुरू कर दी गई हैं और जल्द ही आस-पास के घर जगमगा उठेंगे.
- बिजली पहुंचने से यहां के ग्रामीण बेहद खुश नजर आ रहे हैं.
- ये वो इलाका है जहां पिछले वर्ष पालोड़ी के पास नक्सलियों ने एन्टीलैण्ड माइंस व्हीकल ब्लास्ट कर उड़ाया था, जिसमे सीआरपीएफ 212 वाहिनी के 9 जवान शहीद हुए थे.
- इस काम को पूरा करने में सीआरपीएफ 212 बटालियन और कोबरा 208 बटालियन के अधिकारी एवं कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा है.
- शासन द्वारा किसी योजनाओं को इन इलाकों में पहुंचाना इतना आसान नहीं है क्योंकि नक्सली शासन की योजनाओं का बहिष्कार लगातार करते आए हैं, वहीं कई दफा बिजली के पोल भी नक्सलियों ने तोड़े हैं. ऐसे में इन योजनाओं को गांवों से जोड़ने की सबसे अहम कड़ी सुरक्षाबलों की भी होती है.
- इसी तरह ड्यूटी के दौरान सीआरपीएफ की एंटीलैंड माइंस व्हीकल को भी नक्सलियों ने निशाना बनाया था, जिसमें 9 जवान शहीद हुए थे. बताया जाता है कि इसके बावजूद जवानों का मनोबल नहीं गिरा और सड़क बिजली गांव से जोड़ने जवानों ने भी सुरक्षा के साथ ऊर्जा दिखाई.
- बिजली पहुंचने से दिखा ग्रामीणों में उत्साह
- पिछले साल ही किस्टाराम को बिजली से जोड़ा गया था लेकिन पालोड़ी की घटना के बाद काम रुक गया था, जिसके बाद 7 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद गांव में आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंच पाई.
- बिजली फिलहाल कैंप के सामने तक ही शुरू हुई है, जहां से कनेक्शन घरों में लगाया जाना है लेकिन ग्रामीणों में बिजली को लेकर इतना उत्साह है कि वो चाहते हैं आज ही रोशनी हो जाए.
- सालों बाद जब बिजली को ग्रामीणों ने गांव में पाया तो उनकी खुशी देखने को मिली और ग्रामीणो ने इसके लिए शासन, जिला प्रशासन और सुरक्षाबलों का धन्यवाद किया.
नक्सल प्रभावित इन-इन इलाकों में पहुंची बिजली-
- पिछले साल ही किस्टाराम तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है.
- वहीं भेज्जी समेत एलाड़मड़गु भी रौशन हो चुका है.
- जहां बात की जाए खूनी सड़क कहे जाने वाले दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग की तो चिंतागुफा, चिंतलनार समेत आखिरी कोने तक बिजली पहुंच गई.
- सुजला योजना के तहत जिन गांवों में बिजली पहुंचाई नहीं जा सकी, वहां भी बिजली पहुंचाई जा रही है. हालांकि कई गांवों से सोलर प्लेट के खराब होने की व कई घरों में सोलर प्लेट न मिलने की शिकायतें सामने आ रही हैं.