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VIDEO: सरकारी वादों की 'अर्थी', सड़क नहीं बनी तो घुटने तक पानी में उठाकर ले गए शव

जिले के दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा बने 10 साल बीत गए लेकिन आज तक यहां पक्की सड़क नहीं बनी हैं. हालत यह है कि श्मशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. इसकी वजह से लोग खेतों में भरे पानी से गुजर कर अर्थी ले जाने को मजबूर हैं.

सड़क नहीं बनी तो घुटने तक पानी में उठाकर ले गए शव
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Published : Oct 14, 2019, 4:50 PM IST

सुकमा: 15 साल तक विकास का दावा करने वाली, पिछले 10 महीने से खुद को छत्तीसगढ़िया और लोगों की हैतषी बताने वाली सरकारें ये तस्वीरें देखें और शर्मिंदा हों. आपकी बहाई विकास की गंगा का हाल ये है कि जिंदा लोग तो सुविधाओं को तरस ही रहे हैं, मुर्दों को भी चिता की आग मुश्किलों के बाद नसीब हो रही है. शव को श्मशान तक लोग घुटने तक पानी में डूब कर ले जाने को मजबूर हैं. जिम्मेदारों ने मुक्तिधाम तो बना दिया लेकिन वहां तक पक्की सड़क बनाना भूल गए.

सड़क नहीं बनी तो घुटने तक पानी में उठाकर ले गए शव

दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा बने 10 साल बीत गए लेकिन आज तक यहां के लोग पक्की सड़क के लिए मोहताज हैं. हालत यह है कि श्मशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. लोगों को खेतों से श्मशान तक पहुंचना पड़ता है. सामान्य दिनों में तो ठीक है लेकिन बारिश के चार महीने खेतों में घुटनों तक पानी भर जाता है. लोग खेतों में भरे पानी से गुजर कर अर्थी ले जाने को मजबूर हैं.

रविवार को महिला की अर्थी को श्मशान तक ले जाने में परिजनों और रिश्तेदारों को जब कोई रास्ता नहीं मिला तो पानी से भरे खेत के रास्ते कई लोगों की मदद से अर्थी पार कराई गई.
सरकार ने ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में उन्नयन करने में तो जल्दबाजी दिखाई लेकिन काम में नहीं. यही कारण है कि दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब 10 साल होने को आया है लेकिन तस्वीरें देख कर कलेजा मुंह को आ जाए.

पढे: NIA कोर्ट में पेश हुआ सिमी आतंकी, 24 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर भेजा

श्मशान के लिए पक्की सड़क न होने को लेकर लोगों में खासी नाराजगी भी है. इस तरफ अब तक न जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही नगर प्रशासन ने.

हर साल इस तरह के हालात बनते हैं, जहां लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रशासन ने मुक्ति धाम तो बना दिया मगर पहुंच मार्ग को दुरुस्त नहीं कर पाई है.

सुकमा: 15 साल तक विकास का दावा करने वाली, पिछले 10 महीने से खुद को छत्तीसगढ़िया और लोगों की हैतषी बताने वाली सरकारें ये तस्वीरें देखें और शर्मिंदा हों. आपकी बहाई विकास की गंगा का हाल ये है कि जिंदा लोग तो सुविधाओं को तरस ही रहे हैं, मुर्दों को भी चिता की आग मुश्किलों के बाद नसीब हो रही है. शव को श्मशान तक लोग घुटने तक पानी में डूब कर ले जाने को मजबूर हैं. जिम्मेदारों ने मुक्तिधाम तो बना दिया लेकिन वहां तक पक्की सड़क बनाना भूल गए.

सड़क नहीं बनी तो घुटने तक पानी में उठाकर ले गए शव

दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा बने 10 साल बीत गए लेकिन आज तक यहां के लोग पक्की सड़क के लिए मोहताज हैं. हालत यह है कि श्मशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. लोगों को खेतों से श्मशान तक पहुंचना पड़ता है. सामान्य दिनों में तो ठीक है लेकिन बारिश के चार महीने खेतों में घुटनों तक पानी भर जाता है. लोग खेतों में भरे पानी से गुजर कर अर्थी ले जाने को मजबूर हैं.

रविवार को महिला की अर्थी को श्मशान तक ले जाने में परिजनों और रिश्तेदारों को जब कोई रास्ता नहीं मिला तो पानी से भरे खेत के रास्ते कई लोगों की मदद से अर्थी पार कराई गई.
सरकार ने ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में उन्नयन करने में तो जल्दबाजी दिखाई लेकिन काम में नहीं. यही कारण है कि दोरनापाल को नगर पंचायत का दर्जा मिले करीब 10 साल होने को आया है लेकिन तस्वीरें देख कर कलेजा मुंह को आ जाए.

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श्मशान के लिए पक्की सड़क न होने को लेकर लोगों में खासी नाराजगी भी है. इस तरफ अब तक न जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही नगर प्रशासन ने.

हर साल इस तरह के हालात बनते हैं, जहां लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रशासन ने मुक्ति धाम तो बना दिया मगर पहुंच मार्ग को दुरुस्त नहीं कर पाई है.

Intro:मौत अभी मत आना, हमारी सरकार सो रही है

सुकमा. शर्म नहीं आती यहां सियासत को और बेशर्म हो चुकी है सरकारी मशीनरी को. । जी जां, दोरनापाल में श्मशान घाट को जाने वाले रास्ते को देखकर यही लगता है। हालत यह है कि श्मशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. लोगों को खेतों से श्मशान तक पहुंचना पड़ता है. सामान्य दिनों में तो ठीक है लेकिन बारिश के चार महीने खेतों मै घुटनों तक पानी भर जाता है। लोग खेतों से होकर अर्थी श्मशान तक लेकर जाते हैं।

Body:सरकारें ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में उन्नयन करने में जो जल्द बजी दिखाई है वैसे जल्द बजी इसके विकास में नहीं. यही कारण है कि दोरनापाल को नगरवपंचायत का दर्जा मिले करीब दस साल होने को आया है लेकिन यहां जिंदा तो दूर मुर्दों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है.

रविवार को यहां अजीबो-गरीब स्थिति उत्पन्न हो गई। दोरनापाल की एक ब्राम्हण महिला की मौत हो गई. अर्थी को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तल लें जाया जा रहा था और श्मशान जाने वाले रास्ते के खेतों में पूरी तरह पानी भरा हुआ था. जब लोगों को कोई दूसरा रास्ता नही मिला तो पानी से लबालब भरे खेतों से ही दर्जन भर से अधिक लोगों की मदद से खेतों से अर्थी को पार कराया गया. वहीं लकड़ियां और अन्य सामान को उसपार करने की जद्दोजहद करनी पड़ी.

Conclusion:आपको बता दें कि दोरनापाल को नगर पंचायत बने 10 साल हो गए और आज तक शमशान के लिए पक्की सड़क नही बन पाई इसको लेकर लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली. इस मामले को लेकर न तो अब तक जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही नगर को प्रशासन ने. हर साल इस तरह के हालात बनते है, जहां लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रशासन ने मुक्ति धाम तो बना दिया मगर पहुंच मार्ग को दुरस्त नही कर पाई है.

बाइट: कोशी ठाकुर, अध्यक्ष नगर पंचायत, दोरनापाल
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