सरगुजा: सरगुजा में प्रथम सत्र न्यायाधीश ने एक महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई (Woman sentenced to life imprisonment in Surguja) है. दरअसल, ये मामला बड़ा ही अजीब है. एक मां ने अपने ही 3 बच्चों की हत्या की थी. मां की ममता को दागदार करने वाले मामले में गुरुवार को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. महिला ने बच्चों का गला घोंटकर कुंए में फेंककर हत्या कर दी थी. मामले में न्यायालय ने गुरुवार को महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई (Woman sentenced to life imprisonment for killing her own children in Surguja) है.
पति-पत्नी का विवाद: जिले के लखनपुर में रहने वाले जमशेद अंसारी की शादी साल 2013 में झारखंड के गढ़वा जिले के भुसवा में शाहीन सुबैदा से हुई थी. उनके तीन बच्चे थे. शादी के बाद पति पत्नी के बीच आये दिन विवाद होता रहता था. 7 अप्रैल 2020 को घर में बोर चालू बंद करने को लेकर पति ने पत्नी को फटकार लगाई. इस बात पर दोनों में विवाद शुरू हो गया. पति ने पत्नी को दो तीन थप्पड़ मार दिया.
सरपंच ने दी जानकारी: दूसरे दिन फिर दोनों के बीच विवाद हुआ. 8 अप्रैल को पति खाना खा कर दोपहर में घर में लेटा हुआ था. बच्चे घर में खेल रहे थे. तभी बड़े बेटे ने घूमने जाने को कहा. बच्चे के कहने पर मां तीनों बच्चों को लेकर घर से निकल गई. लेकिन ढाई बजे दोपहर में पति के पास गांव के सरपंच का फोन आया, उसने बताया कि उसकी पत्नी एक बच्ची को लेकर घर में है. जबकी दो बच्चे कुंए में डूब गए हैं.
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पुलिस जांच में सामने आया सच: घटना की जनाकारी मिलते ही पति मौके पर पहुंचा. लेकिन मौके पर बच्ची मृत थी. वहीं दोनों बेटे कुंए में डूबे हुए थे. कुंए से निकालने पर दोनों बेटे भी मृत पाए गए. जब मामले की जांच शुरू हुई तो जांच में सामने आया की महिला ने पति से हुये विवाद के बाद बच्चों को कुंए में फेंक कर उनकी हत्या कर दी थी. कुंए में बच्चों को फेंकने के बाद एक बच्ची को कुंए से निकाला और अपने घर जाने के जगह सरपंच के घर चली गई. तीन बच्चों की हत्या के आरोप में पुलिस ने महिला को गिरफ्तार किया था.
प्रथम सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा: अपने ही बच्चों की हत्या के मामले में प्रथम सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलिमा सिंह बघेल की कोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में हेमंत तिवारी ने पैरवी की. मामले में न्यायालय ने आज फैसला सुनाया है.
न्यायाधीश की टिप्पणी: कोर्ट ने फैसले में टिप्पणी की है कि माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है, माता के समान कोई रक्षक नहीं है और ना ही माता के समान कोई प्रिय चीज है. लेकिन इस मामले में मां ने ही अपने तीन मासूम बच्चों की कुंए में फेंककर हत्या की है. इसलिए कोर्ट ने आरोपी महिला को तीन हत्याओं के आरोप में आजीवन कारावास की सजा और एक हजार रुपये अर्थ दंड की सजा सुनाई है.