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बिना स्कूली बच्चों के वैक्सीनेशन के स्कूल खोलने की तैयारी, बढ़ सकता है तीसरी लहर का खतरा !

2 अगस्त से छत्तीसगढ़ सरकार बिना बच्चों का वैक्सीनेशन किए स्कूल खोलने जा रही है. जिस कारण अभिभावक काफी चिंता में है. कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच सरजुगा के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. इसके लिए अभिभावक संघ ने सरगुजा कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है.

Schools opening amid Corona
कोरोना के बीच खुल रहे स्कूल
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Published : Jul 31, 2021, 9:19 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: 2 अगस्त से छत्तीसगढ़ सरकार स्कूल खोलने जा रही है. ऑफलाइन कक्षाओं के संचालन के लिए प्रशासन तेजी से तैयारी में जुट गया है. कोरोना के बीच फिर से खुलने जा रहे स्कूलों में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए कई नियम बनाए हैं और इनका पालन कराने के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

कोरोना के बीच खुल रहे स्कूल

संशय में अभिभावक

छ्त्तीसगढ़ सरकार की इन तैयारियों के बीच अगस्त महीने में कोरोना की तीसरी लहर आने की चर्चाएं सुर्खियों में हैं. बताया जा रहा है कि संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों को ही सबसे ज्यादा खतरा है. ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग का फैसला जोखिमों से भरा दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) वार्ड बना रहा है, जिसमें पीडियाट्रिक आइसीयू समेत अलग से सेंट्रलाइज ऑक्सीजन यूनिट लगाई जा रही है. सरकार की इन तैयारियों के बीच बच्चों को स्कूल भेजने का फरमान अब अभिभावकों को संशय में डाल रहा है.

2 अगस्त को प्रदेशभर के साथ ही सरजुगा में भी स्कूल खोले जाएंगे. जिला प्रशासन इसके लिए जोरों से तैयारियां कर रहा है, लेकिन इस बीच अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने सरकार के स्कूल खोलने का निर्णय और बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर कई अभिभावकों से बात की है. अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चे को एक साल बिना पढ़ाए रख लेंगे, लेकिन स्कूल नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा कि खतरे को भांपने के बाद भी कौन अपने जिगर के टुकड़े को मौत के मुंह में जान बूझकर धकेलेगा.

सरगुजा कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच सरजुगा के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. इसके लिए अभिभावक संघ ने सरगुजा कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है. अभिभावकों का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में कक्षाओं का कार्यक्रम तो वह अपने तरीके से बना लेंगे. जिससे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. वहीं, स्कूल दोबारा खुलने पर अब सरकारी शिक्षकों पर भी स्कूलों के संचालन का दबाव बना हुआ है. इसके लिए ब्लॉक, जिले और प्रदेश स्तर पर बैठकें हो रही हैं. शिक्षकों पर इस दबाव के चलते आशंका है कि सरकारी टीचर ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे और इसके लिए भी अभिभावक चिंतित हैं.

फ्लू के टीके से बच्चों को कोरोना वायरस से बचाया जा सकता है :रिसर्च

देश में युवाओं और बुजुर्गों को तो कोविड के टीके लग चुके हैं और लग रहे हैं, लेकिन अभी बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो यह बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है. कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो गई है, देश में ऐसा माना जा रहा है, लेकिन संक्रमण के मामले अभी आ रहे हैं.

संक्रमण के खतरे के बीच प्रशासन बच्चों की सुरक्षा के तमाम दावे कर रहा है और सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने की बातें हो रही हैं, लेकिन इससे अब भी अभिभावकों के दिमाग से डर खत्म नहीं हुआ है. अभिभावकों का मानना है कि छोटे बच्चों से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाना बेहद मुश्किल है, स्कूल में सार्वजनिक टॉयलेट होते हैं जिन्हें सभी बच्चे यूज करते हैं. इसके अलावा भी कई गतिविधियों में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पाते हैं, जो संक्रमण फैलने का कारण बन सकता है.

कोरोना की पहली लहर के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूल खोलने का फरमान जारी किया था. स्कूल खुलते ही स्कूलों से इतनी तेजी से कोरोना संक्रमण फैला की दोबारा स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा था. अब एक बार फिर वही गलती दोहराई जा रही है और यह गलती बड़े पैमाने पर की जा रही है.

सरगुजा: 2 अगस्त से छत्तीसगढ़ सरकार स्कूल खोलने जा रही है. ऑफलाइन कक्षाओं के संचालन के लिए प्रशासन तेजी से तैयारी में जुट गया है. कोरोना के बीच फिर से खुलने जा रहे स्कूलों में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए कई नियम बनाए हैं और इनका पालन कराने के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

कोरोना के बीच खुल रहे स्कूल

संशय में अभिभावक

छ्त्तीसगढ़ सरकार की इन तैयारियों के बीच अगस्त महीने में कोरोना की तीसरी लहर आने की चर्चाएं सुर्खियों में हैं. बताया जा रहा है कि संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों को ही सबसे ज्यादा खतरा है. ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग का फैसला जोखिमों से भरा दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) वार्ड बना रहा है, जिसमें पीडियाट्रिक आइसीयू समेत अलग से सेंट्रलाइज ऑक्सीजन यूनिट लगाई जा रही है. सरकार की इन तैयारियों के बीच बच्चों को स्कूल भेजने का फरमान अब अभिभावकों को संशय में डाल रहा है.

2 अगस्त को प्रदेशभर के साथ ही सरजुगा में भी स्कूल खोले जाएंगे. जिला प्रशासन इसके लिए जोरों से तैयारियां कर रहा है, लेकिन इस बीच अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने सरकार के स्कूल खोलने का निर्णय और बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर कई अभिभावकों से बात की है. अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चे को एक साल बिना पढ़ाए रख लेंगे, लेकिन स्कूल नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा कि खतरे को भांपने के बाद भी कौन अपने जिगर के टुकड़े को मौत के मुंह में जान बूझकर धकेलेगा.

सरगुजा कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच सरजुगा के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. इसके लिए अभिभावक संघ ने सरगुजा कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है. अभिभावकों का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में कक्षाओं का कार्यक्रम तो वह अपने तरीके से बना लेंगे. जिससे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. वहीं, स्कूल दोबारा खुलने पर अब सरकारी शिक्षकों पर भी स्कूलों के संचालन का दबाव बना हुआ है. इसके लिए ब्लॉक, जिले और प्रदेश स्तर पर बैठकें हो रही हैं. शिक्षकों पर इस दबाव के चलते आशंका है कि सरकारी टीचर ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करेंगे और इसके लिए भी अभिभावक चिंतित हैं.

फ्लू के टीके से बच्चों को कोरोना वायरस से बचाया जा सकता है :रिसर्च

देश में युवाओं और बुजुर्गों को तो कोविड के टीके लग चुके हैं और लग रहे हैं, लेकिन अभी बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो यह बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है. कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो गई है, देश में ऐसा माना जा रहा है, लेकिन संक्रमण के मामले अभी आ रहे हैं.

संक्रमण के खतरे के बीच प्रशासन बच्चों की सुरक्षा के तमाम दावे कर रहा है और सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने की बातें हो रही हैं, लेकिन इससे अब भी अभिभावकों के दिमाग से डर खत्म नहीं हुआ है. अभिभावकों का मानना है कि छोटे बच्चों से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाना बेहद मुश्किल है, स्कूल में सार्वजनिक टॉयलेट होते हैं जिन्हें सभी बच्चे यूज करते हैं. इसके अलावा भी कई गतिविधियों में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पाते हैं, जो संक्रमण फैलने का कारण बन सकता है.

कोरोना की पहली लहर के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूल खोलने का फरमान जारी किया था. स्कूल खुलते ही स्कूलों से इतनी तेजी से कोरोना संक्रमण फैला की दोबारा स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा था. अब एक बार फिर वही गलती दोहराई जा रही है और यह गलती बड़े पैमाने पर की जा रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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