सरगुजा: घुमंतू समुदाय की एक बच्ची का दो महीने पहले अपहरण हुआ था, जिसका आज तक पता नहीं चल सका है. वहीं पीड़ित परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़ित परिजनों का कहना है कि मणिपुर चौकी प्रभारी ने इस मामले में उनसे 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी, जिसमें से अब तक 30 हजार रुपए दिए भी जा चुके हैं. वहीं पुलिस की जांच में सहयोग के नाम पर भी 12 हजार रुपए खर्च हो गए हैं. गरीब परिवार ने आरोप लगाया कि इसके बाद भी पुलिस ने उनकी 12 वर्षीय बच्ची जो 1 मार्च से लापता है, उसे नहीं ढूंढा.
परिजनों ने कहा कि वे पिछले 2 महीनों से पुलिस थाने के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हैं. कुल 42 हजार रुपए पुलिस अब तक उनसे ले चुकी है, लेकिन उनकी बेटी का कहीं पता नहीं चला. बच्ची के भाई ने बताया कि वो घुमंतू समुदाय से आते हैं. उसने बताया कि होली के दिन एक और घुमंतू परिवार उनके पास आया था. वे लोग उनकी पहचान के थे और मध्यप्रदेश के रहने वाले थे. पीड़ित भाई ने बताया कि आरोपी बीरजू बुली अपने भाई किशन और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पास में ही टेंट लगाया था, लेकिन एक दिन वे लोग रात को अचानक बिना बताए निकल गए और साथ में उसकी बहन को भी ले गए. उसने बताया कि घटना के वक्त उसके माता-पिता कहीं गए हुए थे.
पीड़ित परिवार ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन दो माह का समय बीत जाने के बाद भी उसका कोई पता नहीं चल सका है. बच्ची के पिता का आरोप है कि वे घटना के दिन किसी काम से परिवार के सदस्यों को छोड़कर पत्नी के साथ बाहर गए हुए थे. इसी बात का फायदा उठाकर आधी रात को बिरजू का परिवार उनकी बेटी को उठाकर ले गए. रात को जब भाई की नींद खुली और वह बाहर निकला, तो बीरजू की गाड़ी गायब थी. वहीं उसके परिवार के सदस्य भी नहीं थे. इसके बाद जब वह वापस अंदर आया, तो उसकी नजर अपनी बहन के बिस्तर पर पड़ी. उसकी बहन भी लापता थी. बहन के गायब होने की सूचना उन्होंने अपने माता-पिता को दी.
पुलिस पर भी आरोप
परिवार ने आरोप लगाया है कि वे अगले दिन मणिपुर पुलिस चौकी पहुंचे और घटना की जानकारी दी. जिस पर चौकी प्रभारी प्रमोद यादव ने उनसे 50 हजार रुपए देने की मांग की. पैसे मिलने पर ही रिपोर्ट लिखने की बात कही. उन्होंने बताया कि पत्नी के जेवर बेचकर 30 हजार रुपए चौकी प्रभारी को दिए. जिसके बाद 2 मार्च को बेटी के अपहरण का मामला दर्ज किया गया. पुलिस को आरोपियों के नाम, पता, नंबर सब दिए गए, लेकिन पैसे लेकर भी पुलिस अब तक बच्ची को नहीं खोज सकी है. जबकि बाद में भी 12 हजार रुपए परिवार ने पुलिस को और दिए.
अब थक-हारकर परिजनों ने मदद के लिए IG रतनलाल डांगी को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने मामले में जांच और दोषियों पर उचित कार्रवाई की मांग की है. मामले में एएसपी ओम चंदेल ने कार्रवाई की बात कही है.