सरगुजा: अम्बिकापुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के निवास तपस्या का घेराव कर दिया. हसदेव में पेड़ काटे जाने के कारण भाजपाइयों में जमकर नारेबाजी की. सरगुजा में हसदेव पर सियायत तेज हो चुकी है. भाजपा टीएस सिंह मुर्दाबाद के नारे लगा रही थी तो बेरिकेड्स के दूसरी ओर खड़े कांग्रेसी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे.
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हसदेव पर बीजेपी का एक बार फिर प्रदर्शन: भाजपा का कहना है सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में परसा ईस्ट केते बासेन फेस 2 कोल खदान के लिए हसदेव के जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है. जबकि टीएस सिंह देव का कहना था कि कोल खदान के लिए पेड़ कटे तो पहली गोली मैं खाऊंगा. मुख्यमंत्री ने कहा था की पेड़ तो क्या एक भी डंगाल नहीं कटने दूंगा. लेकिन सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल लगाकर पेड़ों की कटाई हो रही है. यही वजह है भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता आज टीएस सिंह देव के निवास का घेराव कर जगाने आये है.
साल 2011 में परसा ईस्ट केते बासेन फेस 2 खदान की स्वीकृत हुई थी. तब प्रदेश में भजपा की ही सरकार थी. वर्तमान में जो पेड़ काटे जा रहे हैं वो इसी परियोजना ले लिए हैं. 43 हेक्टेयर वन क्षेत्र मे पेड़ों की कटाई होनी है. इसकी पर्यावरणीय सुनवाई और स्वीकृति भी पहले ही हो चुकी है. इस परियोजना के लिये प्रशासन के मुताबिक इस साल करीब हजार 8 हजार पेड़ काटे जाएंगे.
घेराव स्थल पर मंत्री निवास के अंदर सुबह से ही कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहा. पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया था. जैसे भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू की. दूसरी तरफ से कांग्रेसियों ने नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद, टीएस बाबा जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिया.
इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी श्रीवास्तव ने कहा "निजी बंगले को घेरने की प्रथा गलत है, ये सरगुजा की संस्कृति के खिलाफ है. 2011 में रमन सिंह की सरकार ने इस खदान की स्वीकृति दी थी. भाजपाई उनका बंगला घेरे. आज जिस परियोजना के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. उसे निरस्त करने का अधिकार केंद्र की सरकार और प्रधानमंत्री के पास है. भाजपाई प्रधानमंत्री निवास का घेराव करें. स्वास्थ्य मंत्री इसमें क्या कर सकते हैं.
हसदेव पर सियासत तेज: बहरहाल हसदेव पर सियासत तेज हो चुकी है. राजनीतिक दल और नेता श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं. पेड़ कटने से बचे या ना बचे लेकिन राजनीति जरूर चमक रही है. कोल खदान की स्वीकृति और उसे निरस्त करना सब कुछ केंद्र सरकार के हाथ में है. भाजपा हो या कांग्रेस अगर वाकई प्रस्तावित खदानों को बंद कराना चाहते हैं तो दिल्ली जाकर प्रयास करें. वहां जाकर लड़ाई लड़ें. यहां बैठकर बयानबाजी और सियासी ड्रामों में कोई हल नहीं निकलने वाला है.