सरगुजा: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जीवनदीप समिति में कर्मचारियों के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां 170 कर्मचारियों के नाम पर वर्षों से कागजों पर भुगतान किया जा रहा है, जबकि हकीकत में यहां महज 65 कर्मचारी ही काम करते हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब कोरोना काल में थम्ब मशीन से हाजिरी लगाने की जगह रजिस्टर में नाम लिखकर अटेंडेंस लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई. खुलासा हुआ कि जिन कर्मचारियों के नाम पर भुगतान हो रहा है, उनमें से 100 से ज्यादा तो गायब हैं और उनका कोई अता-पता ही नहीं. मेडिकल स्टाफ के लोगों ने ही ये जानकारी अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर पीएस सिसोदिया को दी है.
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर पीएस सिसोदिया ने बताया कि मामला सामने आने के बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया गया है. जांच समिति इस पूरे मामले की बारीकी से पड़ताल करेगी. जिसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी. वहीं इसकी जानकारी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव तक भी पहुंच चुकी है. स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई है और कड़ाई से जांच करने के आदेश दिए हैं.
तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस बात को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा है कि अस्पताल में एक गिरोह है, जो लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा था. स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर पीएस सिसोदिया ने डॉक्टर दास के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये भी जांच की जाएगी कि कहीं किसी संदिग्ध की क्राइम हिस्ट्री तो नहीं है.
जीवनदीप समिति करती है कर्मचारियों का भुगतान
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में साफ-सफाई, भोजन बनाने सहित कई कामों के लिए जीवनदीप समिति के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति जिला चिकित्सालय के हिसाब से ही की गई थी, लेकिन अब इसे मेडिकल कॉलेज बना दिया गया है. फिर भी यहां जीवनदीप समिति के ही कर्मचारी काम करते आ रहे हैं. इन कर्मचारियों को वर्षों से जीवनदीप समिति के माध्यम से भुगतान किया जाता है. अस्पताल के जीवनदीप समिति में 170 कर्मचारियों के काम करने का रिकॉर्ड है. हर महीने उनके नाम पर 15 लाख रुपए का भुगतान भी किया जाता है, लेकिन यहां महज 65 कर्मचारी ही काम करते हैं.
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इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब लॉकडाउन की अवधि में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए अस्पताल में हाजरी के लिए थम्ब इम्प्रेशन मशीन के स्थान पर रजिस्टर की प्रक्रिया शुरू की गई. इस दौरान यह बात सामने आई कि वास्तविक में 65 कर्मचारी काम कर रहे हैं, तो सवाल यह उठता है कि बाकी के 105 कर्मचारी कहां गए?