सरगुजा : धान खरीदी के बाद समितियों में हुए धान शॉर्टेज को लेकर अब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सख्त हो गया है. बैंक अब समिति प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में है. सरगुजा खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में संभाग के चार जिलों में 15 करोड़ रुपए से अधिक का धान शॉर्टेज होने की बात कही जा रही है और इस मामले में 100 समितियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं.
वहीं धान की शॉर्टेज के लिए एकतरफा दोषी मानते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी होने के बाद समिति प्रबंधक भी एकजुट हो गए हैं और उन्होंने इस समस्या को लेकर सीईओ से मुलाकात करने के साथ ही एफआईआर दर्ज होने पर संभागभर में समिति का कार्य ठप करने की चेतावनी दे दी है.
छत्तीसगढ़ : देसी धान से बस्तर को महका रही महिला किसान प्रभाती
दरअसल प्रदेश सरकार के निर्देश पर सरगुजा जिले में जनवरी-फरवरी में धान की खरीदी 1,825 रुपए के समर्थन मूल्य पर की गई. संभाग के सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया जिले में इस बार बम्पर खरीदी हुई, लेकिन धान खरीदी होने के बाद कई समितियों में धान उठाव की समस्या रही. धान खरीदी प्रारम्भ होने के बाद से अब तक धान उठाव को लेकर शिकायतें आती रहीं. गर्मी में जहां धान सूखने की समस्या थी, तो वहीं बारिश में धान भीगने की तस्वीरें भी आती रही. इस बीच यह बात निकलकर सामने आई है कि चारों जिलों में 80 हजार क्विंटल से अधिक धान का शॉर्टेज पाया गया है. धान के शॉर्टेज के लिए संग्रहण केंद्र, डीएमओ और समिति में जांच कराई गई, जिसमें बड़े पैमाने पर समिति प्रबंधकों की गड़बड़ी बताई गई.
धान के शॉर्टेज को लेकर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित द्वारा समिति प्रबंधकों को नोटिस जारी किया गया था. बैंक द्वारा समिति प्रबंधकों को कहा गया है कि वे शॉर्टेज का कारण बताने के साथ ही इसका निराकरण कराए. दो नोटिस के बाद भी जिन समितियों ने मामले का निराकरण नहीं कराया है, उन्हें बैंक द्वारा धारा 64 के तहत अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के सीईओ द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है.
बेमेतरा: एक लाख क्विंटल धान खराब होने के कगार पर
जिलेवार शॉर्टेज
बताया जा रहा है कि इस वर्ष 153 समितियों के माध्यम से 164 केंद्रों में धान की खरीदी की गई. समितियों में अब तक की जांच में सरगुजा जिले में 8,556 क्विंटल, बलरामपुर में 23 हजार 925 क्विंटल, सूरजपुर जिले में 42 हजार 773 क्विंटल, कोरिया में 4 हजार 781 क्विंटल धान की कमी हुई है. धान की शॉर्टेज का मुख्य कारण समय पर उठाव नहीं होना है. इस बात को बैंक भी मान रहा है. समितियों में धान जाम होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई, तो इसके लिए विपणन संघ जिम्मेदार है, लेकिन कई समितियों में हजारों क्विंटल धान का शॉर्टेज सामने आया है, जो सम्भव नहीं है. ऐसे में कहीं ना कहीं समिति प्रबंधक भी जिम्मेदार हैं.
समितियों से धान का उठाव नहीं
समिति प्रबंधकों का कहना है कि समय पर धान उठाव नहीं होने से धान आज भी समितियों में पड़े हुए हैं. गर्मी के समय धान में सूखत की समस्या आई, जबकि बारिश के मौसम में धान भीगकर खराब हुआ. डीएमओ द्वारा समय पर धान का उठाव नहीं कराया गया. धान उठाव की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होती है. धान खरीदी के लिए समिति, मार्कफेड और बैंक के बीच त्रिस्तरीय अनुबंध होता है, ऐसे में कार्रवाई सिर्फ समिति पर की जाती है. संघ के सदस्यों ने कहा कि यदि एक समिति पर भी एफआईआर दर्ज किया गया, तो सभी में काम ठप कर दिया जाएगा और इसका सीधा असर वर्तमान में चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य योजनाओं पर पड़ेगा.
एफआईआर के निर्देश से हड़कंप
बैंक द्वारा 100 समितियों पर 15 करोड़ 20 लाख से अधिक रुपए के धान शॉर्टेज की बात कही जा रही है और इसे लेकर उन्हें नोटिस जारी किया गया है. नोटिस जारी होने के बाद समिति प्रबंधकों में हड़कंप मच गया है. आदिम जाति सेवा सहकारी कर्मचारी संघ के बैनर तले चारों जिलों से बड़ी संख्या में समिति प्रबंधक बैंक पहुंचे थे. समिति प्रबंधकों का कहना है कि उन पर जबरन कार्रवाई की जा रही है. संघ के उपाध्यक्ष संलित कुमार कुशवाहा ने बताया कि विपणन वर्ष 2020-21 में समिति ने मांग की थी कि सूखत को मान्य किया जाए और अनुबंध का पालन किया जाए. अनुबंध के अनुसार 72 घंटे के अंदर धान का उठाव होना चाहिए, जबकि बफर लिमिट से अधिक धान जमा होने पर धान का परिवहन समय पर किया जाना चाहिए.